दुखद: बारिश के पानी से भरे गड्ढे में गिरकर दो मासूमों की मौत, सुबह खेलते समय पैर फिसलने से गड्ढे में गिर गए बच्चे


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हरियाणा के झज्जर जिले के बादली में झज्जर रोड स्थित एक ईंट भट्टे पर काम कर रहे भट्ठा मजदूरों के दो मासूम बच्चों की बारिश के पानी से भरे गड्ढे में गिर कर मौत हो गई। ईंट पाथने वाली जगह भरे पानी को निकालने के लिए सोमवार को गड्ढा बनाया गया था। लेकिन उसके चारों तरफ तारबंदी नहीं की गई थी। मंगलवार सुबह खेलते हुए बच्चों का पैर फिसला और वे गड्ढे में जा गिरे। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने बच्चों को मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने पोस्टमार्टम करवाने के बाद शव परिजनों को सौंप दिया है।

जानकारी के अनुसार बिहार के जमुई जिला के गांव सारेबाद के रहने वाले शकलदेव और माधो अपनी–अपनी पत्नी और बच्चों के साथ आठ माह से माजरा गांव के एक ईंट भट्ठे पर रोजी रोटी कमाने आए हुए हैं। उनके रहने के लिए भट्ठा मालिक ने घर बनाए हुए हैं। बारिश होने से दो दिनों से भट्ठों का काम बंद है। ईंट पाथने वाली जगहों पर पानी का निकास न होने के कारण वहां पानी खड़ा हो गया।

इसी पानी को सुखाने के लिए भट्ठा मालिकों द्वारा जमीन में 10 से 15 फीट गहरा गड्ढा खोद दिया जिससे वहां का सारा पानी इन गड्ढों में भरा गया। बच्चों के परिजन जब घर पर खाना बना रहे थे तो ढाई वर्षीय गुंजन पुत्र शकलदेव और 4 वर्षीय शनि कुमार पुत्र माधो बाहर खेलने के लिए अन्य बच्चों के साथ चले गए। मिट्टी पर फिसलन होने के कारण बच्चों के पैर फिसल गए और दोनों बच्चे गड्ढे में गिर गए।

पास कोई व्यक्ति न होने के कारण दोनों बच्चों की पानी में डूबने से मौत हो गई। अन्य बच्चों ने शोर मचाया, लेकिन दोनों बच्चों को बचाया नहीं जा सका। देखते ही देखते सभी मजदूर वहां एकत्रित हो गए। बड़ी मशक्कत के बाद बच्चों को गड्ढे से बाहर निकाला जा सका। मौकेे पर ही दोनों बच्चों की मौत हो गई, लेकिन परिजनों और अन्य श्रमिकों की मदद से उन्हें अस्पताल ले जाया गया।

जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस थाना प्रभारी बाबूलाल ने बताया कि फिलहाल हादसा मानते हुए कार्रवाई की गई है। दोनों बच्चों के शवों का पोस्टमार्टम करवाया गया है। भट्ठा मालिक की लापरवाही की भी जांच की जाएगी। 

सोमवार को बनाया था गढ्डा
ईंट भट्ठे की पथाई वाली जमीन पर बारिश का पानी जमा हो गया। इसी को देखते हुए पानी निकालने के लिए भट्ठा मालिक ने एक कोने में गहरा गड्ढा बना दिया। सोमवार को ही गड्ढा बनाया गया ताकि पानी को उतारा जा सके। लेकिन मंगलवार की सुबह बच्चे जब खेल रहे थे तो गुंजन और शनि गड्ढे में गिर गए। दोनों बच्चों की पानी में डूबने से मौके पर ही मौत हो गई। 

बच्चों की मां हुई बेहोश
बच्चों के शवों को जब अस्पताल लेकर जा रहे थे तो दोनों बच्चों की माताएं बेहोश होकर गिर गई। भट्ठा मजदूरों ने दोनों महिलाओं को संभाला। पूरा दिन महिलाएं बिलखती रही। चार वर्षीय शनि कुमार की मां मीनाक्षी ने बिलखते हुए बताया कि गड्ढा करते समय ही उन्होंने ठेकेदार को मना किया था लेकिन ठेकेदार ने मनमानी करते हुए गड्ढा बनवा दिया। वहीं मात्र ढाई साल के गुंजन की मां ललिता बेहोश होकर गिर गई जिसे काफी देर बाद होश आया। गुंजन और शनि कुमार दोनों ही अपने माता पिता के इकलौते पुत्र थे। दोनों की एक-एक बहन हैं। 

नहीं लगाया कोई चेतावनी बोर्ड
भट्ठा मालिकों ने गड्ढे के बाहर न तो कोई तारबंदी लगाई हुई है और न ही चेतावनी बोर्ड था। जिस कारण यह बड़ा हादसा हो गया। कुछ गड्ढे सड़क किनारे खोदे गए हैं, जिसमें कोई अनजान व्यक्ति भी गिर सकता है। लोगों का कहना है कि यह गड्ढे मौत के कुएं हैं। उन्होंने भट्टा मालिकों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। चेतावनी बोर्ड या तारबंदी होने से हादसे को रोका जा सकता था। जिस जगह पर गड्ढा बनाया गया था वह भट्ठे का प्रमुख रास्ता भी है जहां से श्रमिकों का आना जाना लगा रहता है। आमतौर पर भट्ठा मालिकों की ओर से पानी निकासी के गड्ढों का सहारा लिया जाता है। जो कि बारिश का पानी भर जाने से दिखाई नहीं देते हैं। इसी के चलते मंगलवार को हुए हादसे ने दो मासूम बच्चों की जान ले ली।

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हरियाणा के झज्जर जिले के बादली में झज्जर रोड स्थित एक ईंट भट्टे पर काम कर रहे भट्ठा मजदूरों के दो मासूम बच्चों की बारिश के पानी से भरे गड्ढे में गिर कर मौत हो गई। ईंट पाथने वाली जगह भरे पानी को निकालने के लिए सोमवार को गड्ढा बनाया गया था। लेकिन उसके चारों तरफ तारबंदी नहीं की गई थी। मंगलवार सुबह खेलते हुए बच्चों का पैर फिसला और वे गड्ढे में जा गिरे। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने बच्चों को मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने पोस्टमार्टम करवाने के बाद शव परिजनों को सौंप दिया है।

जानकारी के अनुसार बिहार के जमुई जिला के गांव सारेबाद के रहने वाले शकलदेव और माधो अपनी–अपनी पत्नी और बच्चों के साथ आठ माह से माजरा गांव के एक ईंट भट्ठे पर रोजी रोटी कमाने आए हुए हैं। उनके रहने के लिए भट्ठा मालिक ने घर बनाए हुए हैं। बारिश होने से दो दिनों से भट्ठों का काम बंद है। ईंट पाथने वाली जगहों पर पानी का निकास न होने के कारण वहां पानी खड़ा हो गया।

इसी पानी को सुखाने के लिए भट्ठा मालिकों द्वारा जमीन में 10 से 15 फीट गहरा गड्ढा खोद दिया जिससे वहां का सारा पानी इन गड्ढों में भरा गया। बच्चों के परिजन जब घर पर खाना बना रहे थे तो ढाई वर्षीय गुंजन पुत्र शकलदेव और 4 वर्षीय शनि कुमार पुत्र माधो बाहर खेलने के लिए अन्य बच्चों के साथ चले गए। मिट्टी पर फिसलन होने के कारण बच्चों के पैर फिसल गए और दोनों बच्चे गड्ढे में गिर गए।

पास कोई व्यक्ति न होने के कारण दोनों बच्चों की पानी में डूबने से मौत हो गई। अन्य बच्चों ने शोर मचाया, लेकिन दोनों बच्चों को बचाया नहीं जा सका। देखते ही देखते सभी मजदूर वहां एकत्रित हो गए। बड़ी मशक्कत के बाद बच्चों को गड्ढे से बाहर निकाला जा सका। मौकेे पर ही दोनों बच्चों की मौत हो गई, लेकिन परिजनों और अन्य श्रमिकों की मदद से उन्हें अस्पताल ले जाया गया।

जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस थाना प्रभारी बाबूलाल ने बताया कि फिलहाल हादसा मानते हुए कार्रवाई की गई है। दोनों बच्चों के शवों का पोस्टमार्टम करवाया गया है। भट्ठा मालिक की लापरवाही की भी जांच की जाएगी। 

सोमवार को बनाया था गढ्डा

ईंट भट्ठे की पथाई वाली जमीन पर बारिश का पानी जमा हो गया। इसी को देखते हुए पानी निकालने के लिए भट्ठा मालिक ने एक कोने में गहरा गड्ढा बना दिया। सोमवार को ही गड्ढा बनाया गया ताकि पानी को उतारा जा सके। लेकिन मंगलवार की सुबह बच्चे जब खेल रहे थे तो गुंजन और शनि गड्ढे में गिर गए। दोनों बच्चों की पानी में डूबने से मौके पर ही मौत हो गई। 

बच्चों की मां हुई बेहोश

बच्चों के शवों को जब अस्पताल लेकर जा रहे थे तो दोनों बच्चों की माताएं बेहोश होकर गिर गई। भट्ठा मजदूरों ने दोनों महिलाओं को संभाला। पूरा दिन महिलाएं बिलखती रही। चार वर्षीय शनि कुमार की मां मीनाक्षी ने बिलखते हुए बताया कि गड्ढा करते समय ही उन्होंने ठेकेदार को मना किया था लेकिन ठेकेदार ने मनमानी करते हुए गड्ढा बनवा दिया। वहीं मात्र ढाई साल के गुंजन की मां ललिता बेहोश होकर गिर गई जिसे काफी देर बाद होश आया। गुंजन और शनि कुमार दोनों ही अपने माता पिता के इकलौते पुत्र थे। दोनों की एक-एक बहन हैं। 

नहीं लगाया कोई चेतावनी बोर्ड

भट्ठा मालिकों ने गड्ढे के बाहर न तो कोई तारबंदी लगाई हुई है और न ही चेतावनी बोर्ड था। जिस कारण यह बड़ा हादसा हो गया। कुछ गड्ढे सड़क किनारे खोदे गए हैं, जिसमें कोई अनजान व्यक्ति भी गिर सकता है। लोगों का कहना है कि यह गड्ढे मौत के कुएं हैं। उन्होंने भट्टा मालिकों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। चेतावनी बोर्ड या तारबंदी होने से हादसे को रोका जा सकता था। जिस जगह पर गड्ढा बनाया गया था वह भट्ठे का प्रमुख रास्ता भी है जहां से श्रमिकों का आना जाना लगा रहता है। आमतौर पर भट्ठा मालिकों की ओर से पानी निकासी के गड्ढों का सहारा लिया जाता है। जो कि बारिश का पानी भर जाने से दिखाई नहीं देते हैं। इसी के चलते मंगलवार को हुए हादसे ने दो मासूम बच्चों की जान ले ली।

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