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दिसंबर में थोक महंगाई बढ़कर 2.37% पर आई: आलू, प्याज, अंडे, मांस-मछली और फलों की कीमतें बढ़ीं; नवंबर में 1.89% पर थी Business News & Hub

दिसंबर में थोक महंगाई बढ़कर 2.37% पर आई:  आलू, प्याज, अंडे, मांस-मछली और फलों की कीमतें बढ़ीं; नवंबर में 1.89% पर थी Business News & Hub

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नई दिल्ली9 घंटे पहले

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दिसंबर महीने में थोक महंगाई बढ़कर 2.37% पर आ गई है। इससे पहले नवंबर में ये 1.89% पर थी। अक्टूबर महीने में यह 2.36% पर थी। आलू, प्याज, अंडे, मांस-मछली और फलों की थोक में कीमतें बढ़ी हैं। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने आज यानी 14 जनवरी को ये आंकड़े जारी किए।

डेली यूज वाले सामान महंगे, खाने-पीने की चींजे सस्ती हुईं

  • रोजाना की जरूरत वाले सामानों की महंगाई 5.49% से बढ़कर 6.02% हो गई।
  • खाने-पीने की चीजों की महंगाई 8.92% से घटकर 8.89% हो गई।
  • फ्यूल और पावर की थोक महंगाई दर -5.83% से घटकर -3.79% रही।
  • मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्ट्स की थोक महंगाई दर 2.00% से बढ़कर 2.14% रही।
  • आलू की थोक महंगाई 82.79% से बढ़कर 93.20% पर रही।
  • अंडे, मांस, मछली की होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) 3.16% से बढ़कर 5.43% पर रही।
  • सब्जियों की थोक महंगाई 28.57% से बढ़कर 28.65% पर आई।

होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) का आम आदमी पर असर

थोक महंगाई के लंबे समय तक बढ़े रहने से ज्यादातर प्रोडक्टिव सेक्टर पर इसका बुरा असर पड़ता है। अगर थोक मूल्य बहुत ज्यादा समय तक ऊंचे स्तर पर रहता है तो प्रोड्यूसर इसका बोझ कंज्यूमर्स पर डाल देते हैं। सरकार केवल टैक्स के जरिए WPI को कंट्रोल कर सकती है।

जैसे कच्चे तेल में तेज बढ़ोतरी की स्थिति में सरकार ने ईंधन पर एक्साइज ड्यूटी कटौती की थी। हालांकि, सरकार टैक्स कटौती एक सीमा में ही कम कर सकती है। WPI में ज्यादा वेटेज मेटल, केमिकल, प्लास्टिक, रबर जैसे फैक्ट्री से जुड़े सामानों का होता है।

होलसेल महंगाई के तीन हिस्से

प्राइमरी आर्टिकल, जिसका वेटेज 22.62% है। फ्यूल एंड पावर का वेटेज 13.15% और मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट का वेटेज सबसे ज्यादा 64.23% है। प्राइमरी आर्टिकल के भी चार हिस्से हैं।

  • फूड आर्टिकल्स जैसे अनाज, गेहूं, सब्जियां
  • नॉन फूड आर्टिकल में ऑइल सीड आते हैं
  • मिनरल्स
  • क्रूड पेट्रोलियम

महंगाई कैसे मापी जाती है?

भारत में दो तरह की महंगाई होती है। एक रिटेल यानी खुदरा और दूसरी थोक महंगाई होती है। रिटेल महंगाई दर आम ग्राहकों की तरफ से दी जाने वाली कीमतों पर आधारित होती है। इसको कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) भी कहते हैं। वहीं, होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) का अर्थ उन कीमतों से होता है, जो थोक बाजार में एक कारोबारी दूसरे कारोबारी से वसूलता है।

महंगाई मापने के लिए अलग-अलग आइटम्स को शामिल किया जाता है। जैसे थोक महंगाई में मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की हिस्सेदारी 63.75%, प्राइमरी आर्टिकल जैसे फूड 22.62% और फ्यूल एंड पावर 13.15% होती है। वहीं, रिटेल महंगाई में फूड और प्रोडक्ट की भागीदारी 45.86%, हाउसिंग की 10.07% और फ्यूल सहित अन्य आइटम्स की भी भागीदारी होती है।

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दिसंबर में रिटेल महंगाई घटकर 5.22% पर पहुंची: ये 4 महीने का निचला स्तर, खाने-पीने की चीजों के दाम घटे

खाने-पीने की चीजें सस्ती होने से दिसंबर में रिटेल महंगाई दर 4 महीने के निचले स्तर पर आ गई है। सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक महंगाई घटकर 5.22% हो गई है। इससे पहले नवंबर में महंगाई दर 5.48% पर थी। वहीं 4 महीने पहले अगस्त में महंगाई 3.65% पर थी।

महंगाई के बास्केट में लगभग 50% योगदान खाने-पीने की चीजों का होता है। इसकी महंगाई महीने-दर-महीने आधार पर 9.04% से घटकर 8.39% हो गई है। वहीं ग्रामीण महंगाई 5.95% से घटकर 5.76% और शहरी महंगाई 4.89% से घटकर 4.58% हो गई है। पूरी खबर पढ़ें…

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