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दिल्ली हार से चंडीगढ़ में खलबली: आप के लिए नई चुनौती, कार्यकर्ताओं और नेताओं में मतभेद; भितरघात से गठबंधन कमजोर Chandigarh News Updates

दिल्ली हार से चंडीगढ़ में खलबली: आप के लिए नई चुनौती, कार्यकर्ताओं और नेताओं में मतभेद; भितरघात से गठबंधन कमजोर Chandigarh News Updates

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आम आदमी पार्टी और कांग्रेस
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) की करारी हार के बाद पार्टी के भीतर उथल-पुथल मच गई है। इस हार का सीधा असर चंडीगढ़ में आप के राजनीतिक भविष्य और कांग्रेस के साथ उसके गठबंधन पर पड़ सकता है। चंडीगढ़ मेयर चुनाव में पहले ही क्रॉस वोटिंग और भितरघात से कमजोर हो चुके इस गठबंधन के लिए दिल्ली के नतीजे नई चुनौती के संकेत दे रहे हैं।

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चंडीगढ़ मेयर चुनाव में आप और कांग्रेस के गठबंधन को झटका लगा था, जब भाजपा उम्मीदवार हरप्रीत कौर बबला ने 19 वोट पाकर जीत दर्ज की थी, जबकि आप-कांग्रेस गठबंधन की प्रत्याशी प्रेम लता को 17 वोट ही मिले थे। चुनावी गणित के अनुसार, आप और कांग्रेस के कुल 20 पार्षद थे, लेकिन तीन पार्षदों ने भाजपा के पक्ष में क्रॉस वोटिंग कर दी। इससे गठबंधन की एकता पर सवाल उठे और पार्टी के भीतर फूट खुलकर सामने आ गई। आप के अंदर भी पार्षदों को शक की नजर से देखा जा रहा है कि किसने वोट क्रॉस की। दोनों पार्टी के नेता एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं कि उनकी पार्टी के पार्षद ने क्रॉस वोट किया है। 

चंडीगढ़ प्रभारी रहे दुष्यंत गौतम अपनी सीट बचाने में नाकाम

अब दिल्ली में आम आदमी पार्टी की हार के बाद चंडीगढ़ इकाई में भी असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है। पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच नेतृत्व को लेकर भी मतभेद गहरे हैं। वहीं, दिल्ली चुनाव में चंडीगढ़ आप के प्रभारी जरनैल सिंह ने जीत हासिल कर पार्टी को संजीवनी देने का काम किया है। हालांकि, इसके उलट भाजपा के चंडीगढ़ प्रभारी रहे दुष्यंत गौतम अपनी सीट बचाने में नाकाम रहे और उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

अपने भविष्य को लेकर असमंजस में कुछ पार्षद, देखने लगे विकल्प

पिछले नगर निगम चुनाव में आम आदमी पार्टी को बंपर 14 सीटें मिली थीं। चंडीगढ़ की जनता को बदलाव की उम्मीद थी लेकिन पार्षदों के 3 साल बीत चुके हैं कोई खास बदलाव नजर नहीं आया। यह जीते हुए पार्षद भी महसूस कर रहे हैं। दिल्ली की हार ने उनकी चिंता को और बढ़ा दिया है, क्योंकि पार्टी के सबसे बड़े नेता अरविंद केजरीवाल अपनी सीट गंवा चुके हैं। ऐसे में चंडीगढ़ के वर्तमान पार्षद अपनी स्थिति को लेकर चिंतित हो गए हैं। पार्टी में पहले से ही संगठन में एकजुटता और अनुशासन की कमी है। अगले साल दिसंबर में नगर निगम चुनाव होने हैं। पार्षद अब सोच में पड़ गए हैं कि आप में उनका भविष्य सुरक्षित है या नहीं। हालांकि, अभी कोई भी इस पर खुलकर बोलने को तैयार नहीं है।

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