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दिल्ली वासियों के फेफड़े में जा रहा नैनो पार्टिकल्स, जानें यह कितना खतरनाक Health Updates

दिल्ली वासियों के फेफड़े में जा रहा नैनो पार्टिकल्स, जानें यह कितना खतरनाक Health Updates

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Delhi Pollution : दिल्ली वासियों के फेफड़ों में नैनो पार्टिकल्स जा रहा है, जो बेहद डरावना है. एक स्टडी में खुलासा हुआ है कि एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (AQI) में मौजूद प्रदूषक नैनो पार्टिकल फेफड़ों के रास्ते खून में पहुंच कर हर अंग को प्रभावित कर रहा है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि दिल्ली-NCR में नवंबर से जनवरी तक पीएम 2.5 का लेवल मानक से कई गुना ज्यादा पहुंच गया है.

इनमें प्रदूषक नैनो पार्टिकल्स (Nano Particles) का लेवल काफी ज्यादा हो गया है. इन्हें N95 मास्क भी नहीं रोक बाते हैं. ये इतने खतरनाक है कि बच्चों से लेकर बड़ों की सेहत को बुरी तरह प्रभावित कर सकते हैं. आइए जानते हैं फेफड़ों तक नैनो पार्टिकल्स का पहुंचना कितना खतरनाक है…

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नैनो पार्टिकल्स क्या होते हैं

नैनोपार्टिकल्स, हमारे बाल से भी 500 गुना छोटे होते हैं, जो फेफड़ों और शरीर के अन्य अंगों तक पहुंचने पर गंभीर खतरे पैदा कर सकते हैं. ये इतने छोटे होते हैं कि खून के जरिए दिमाग तक भी पहुंच सकते हैं और उसकी क्षमता प्रभावित कर सकते हैं. दिल्ली की हवा में घुल गए हैं और इन्हीं के माध्यम से शरीर के अंदर पहुंच रहे हैं. इनसे सबसे ज्यादा खतरा सड़कों के किनारे रहने वाले लोग, ट्रैफिक पुलिस, रेहड़ी-पटरी वालों को सबसे ज्यादा खतरा रहता है.

क्या कहती है रिपोर्ट

अहमदाबाद की भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला और दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी ने मिलकर एक स्टडी की. इसमें पाया गया कि दिल्ली (Delhi) में पैदल चलने वालों के श्वसन तंत्र (respiratory system) पर हवा में मौजूद नैनोपार्टिकल्स (PM1 या उससे छोटे कणों) की मौजूदगी और प्रभाव की जांच की गई. इस अध्ययन से पता चला है कि सड़क किनारे इन कणों का जमाव, ट्रैफिक से दूर वाले इलाकों की तुलना में 30% ज्यादा है. दिल्ली में रहने वाले सड़क पर चलते समय रोजाना करीब 10-18 मिलियन नैनोपार्टिकल्स के संपर्क में आ रहे हैं,जो उनकी सेहत के लिए खतरनाक हैं.

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फेफड़ों में नैनो पार्टिकल्स जाना कितना खतरनाक

1. बच्चों की सेहत पर बुरा असर

लंग्स केयर फाउंडेशन से जुड़े पल्मोनरी विभाग के एक्सपर्ट्स ने एक शोध में पाया कि नैनो पार्टिकल्स शरीर में पहुंचकर कई तरह के गंभीर खतरे पैदा कर सकते हैं. ये नैनो-पार्टिकल्स सीधे फेफड़ों से होते हुए खून की धमनियों में जमा हो जाते हैं और बच्चों-बड़ों में हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज का खतरा बढ़ाते हैं. ये कण पैनक्रिया तक पहुंचकर इंसुलिन को रिलीज नहीं होने देते, जिससे ब्लड शुगर का लेवल बढ़ जाता है.

2. दिल-दिमाग को खतरा

एक्सपर्ट्स का कहना है कि प्रदूषण के जरिए नैनो-पार्टिकल शरीर में पहुंचकर दिल और दिमाग ही नहीं शरीर के बाकी अंगों पर भी गंभीर असर डाल रहे हैं. ठंड के दिनों में ये ज्यादा खतरनाक हैं. इनकी वजह से हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक, लंग्स कैंसर, लंग्स एलर्जी, अस्थमा, सीओपीडी, टीबी, मोटापा, लकवा, बच्चों में निमोनिया और बच्चों में कैंसर जैसी कई खतरनाक बीमारियां हो सकती हैं.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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