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दिल्ली में AAP, बीजेपी और कांग्रेस के सामने क्या हैं चुनौतियां? जानें किन मुद्दों पर होगा दंगल Politics & News

दिल्ली में AAP, बीजेपी और कांग्रेस के सामने क्या हैं चुनौतियां? जानें किन मुद्दों पर होगा दंगल Politics & News

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Delhi Elections 2025: मंगलवार (07 जनवरी, 2025) को निर्वाचन आयोग (इलेक्शन कमीशन) ने दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखों का ऐलान कर दिया. 5 फरवरी को मतदान होगा और 8 फरवरी को नतीजे आ जाएंगे. दिल्ली के दंगल के लिए अखाड़ा खुद चुका है और 3 प्रमुख राजनीतिक दलों (आम आदमी पार्टी, बीजेपी और कांग्रेस) के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा. दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल 23 फरवरी को समाप्त होने वाला है.  

इन सभी राजनीतिक दलों की अपनी-अपनी चुनौतियां हैं. दिल्ली में ऐसे कई मुद्दे हैं जो चुनाव को किसी भी तरफ ले जा सकते हैं. ऐसे में इन पार्टियों की कोशिश होगी कि सटीक मुद्दे उठाकर विपक्षी को धराशाई किया जाए. ऐसे जानते हैं किस पार्टी के लिए क्या चुनौती है और कौन से मुद्दे इस चुनाव में अपना जलवा बिखेर सकते हैं.

आम आदमी पार्टी के लिए चुनौती

पहले बात करते हैं सत्ताधारी दल आम आदमी पार्टी (आप) की. भ्रष्टाचार के आरोपों से जूझने और अपने टॉप के नेताओं को जेल जाते देखने वाली आप के लिए यह चुनाव किसी टेस्ट से कम नहीं है. भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से जन्मी इस पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी कि वो फिर से साबित करे कि वह अभी भी दिल्ली के दिल पर राज करती है.

2015 से दिल्ली में पूर्ण बहुमत के साथ शासन कर रही अरविंद केजरीवाल की पार्टी को उम्मीद है कि मुफ्त बिजली, पानी और महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा के अलावा 2,100 रुपये महीने का वजीफा, बुजुर्गों के लिए मुफ्त स्वास्थ्य सेवा और बढ़े हुए पानी के बिलों की माफी जैसी उनकी योजनाएं राजधानी में सत्ता बरकरार रखने में मदद करेंगी.

बीजेपी के लिए क्या है चुनौती?

इस बीच, दिल्ली में 26 साल से सत्ता से बाहर चल रही बीजेपी केजरीवाल और आप से सत्ता वापस छीनने की कोशिश में है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीजेपी के चुनाव अभियान की शुरुआत करते हुए आप पर तीखा हमला किया और उसके शासन की तुलना आपदा से की. बीजेपी ने केजरीवाल के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए बंगले पर किए गए फिजूलखर्ची को निशाना बनाकर सत्तारूढ़ आप के खिलाफ अपना अभियान तेज कर दिया है.

कांग्रेस के सामने चुनौती

कांग्रेस के लिए 2025 का चुनाव करो या मरो की लड़ाई है. देश की सबसे पुरानी पार्टी पिछले दो चुनावों में राजधानी में अपना खाता खोलने में असमर्थ रही है, जबकि कांग्रेस ने 15 साल तक शासन किया. आम आदमी पार्टी के इंडिया गठबंधन का हिस्सा बनने से मना करने के बाद कांग्रेस अपनी किस्मत फिर से संवारने की कोशिश कर रही है. कांग्रेस ने सत्ता में आने पर ‘प्यारी दीदी योजना’ के तहत महिलाओं को 2,500 रुपये हर महीने देने का वादा किया है.

आइए अब नजर डालते हैं उन प्रमुख मुद्दों पर जो दिल्ली की राजनीति को कर सकते हैं प्रभावित-

भ्रष्टाचार का मुद्दा

बीजेपी ने आम आदमी पार्टी पर शराब घोटाले में शामिल होने और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगाए हैं. इतना ही नहीं मुख्यमंत्री आवास में कथित वित्तीय अनियमितताओं को लेकर भी बीजेपी लंबे समय से AAP पर हमलावर है. पार्टी के दिग्गज नेताओं को इन मामलों में जेल तक जाना पड़ा है. हालांकि, सभी को सुप्रीम कोर्ट से जमानत भी मिल चुकी है. आम आदमी पार्टी का कहना है कि बीजेपी जबरन उसके नेताओं को फंसाकर उन्हें पार्टी से अलग होने के लिए मजबूर कर रही है.

वहीं, गृह मंत्री अमित शाह ने सीएम आवास पर कथित वित्तीय अनियमितताओं को लेकर कैग की जांच रिपोर्ट का हवाला देते हुए अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा.

जन मानस के मुद्दे

बीजेपी का आरोप है कि राजधानी में मतदाताओं के लिए कूड़े के ढेर, ओवरफ्लो हो रही नालियां, पानी की कमी या गंदे पानी की सप्लाई और ऊबड़ खाबड़ सड़कें प्रमुख मुद्दे हैं. इन तमाम चीजों के लिए बीजेपी की ओर से आम आदमी पार्टी की सरकार को दोषी ठहराया जा रहा है. वहीं, AAP का दावा है कि बीजेपी ने केवल उसे बदनाम करने और एमसीडी के काम को रोकने की कोशिश की है. दिल्ली की लो एयर क्वालिटी हर साल सर्दियों में राजधानी को परेशान करती है. ये मुद्दा भी दोनों दलों के बीच विवाद का विषय बना हुआ है.

वोटर लिस्ट को लेकर विवाद

दिल्ली में वोटर लिस्ट में कथित हेराफेरी को लेकर विवाद तब और बढ़ गया जब दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने मुख्य चुनाव आयुक्त को चिट्ठी लिखकर नई दिल्ली विधानसभा इलाके में मतदाता सूची से हटाए गए नामों की दोबारा जांच की मांग की. संशोधित मतदाता सूची के बारे में सोमवार को आम आदमी पार्टी ने शिकायत की और चुनाव आयोग पर बड़े पैमाने पर मतदाता सूची से नाम हटाने में धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया. वहीं, बीजेपी ने दावा किया कि आप इस बार फर्जी मतदाताओं, खासकर रोहिंग्या और बांग्लादेशी लोगों का रजिस्ट्रेशन करने में विफल रही.

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