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नई दिल्ली. दिल्ली सरकार जहां राजधानी की सबसे प्रदूषित जलधाराओं में शुमार नजफगढ़ नाले को उसका ऐतिहासिक नाम साहबी नदी देकर पुनर्जीवित करने की योजना पर काम कर रही है, वहीं हरियाणा सरकार मसानी बैराज से नीचे बहने वाली इस नदी की 11 किलोमीटर लापता धारा को खोजने में जुटी है.
टाइम्स ऑफ इंडिय़ा की रिपोर्ट के अनुसार, साहबी नदी का उद्गम राजस्थान से होता है, लेकिन रेवाड़ी के मसानी बैराज से आगे यह धारा लुप्त हो जाती है. गुड़गांव बॉर्डर तक केवल एक सूखी खाड़ी रह जाती है, जो अब आंशिक रूप से निजी संपत्ति बन चुकी है और गुड़गांव व झज्जर की कई ड्रेनों का संगम है. जैसे ही यह दिल्ली में प्रवेश करती है, उसमें और भी अव्यवस्थित नालियां मिल जाती हैं, जिससे नजफगढ़ नाला दिल्ली की सबसे प्रदूषित जलधारा बन चुका है.
हरियाणा सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने बताया कि मसानी बैराज के नीचे नदी की पहचान को पुनर्स्थापित करने के प्रयास जारी हैं. औरंगपुर लिंक ड्रेन और आउटफॉल ड्रेन नंबर-8 को अब साहबी नदी घोषित किया जा चुका है.
गौरतलब है कि 11 मई 2024 को एनजीटी को सौंपी एक रिपोर्ट में IFC ने 1807 के एक नक्शे का हवाला दिया, जिसमें नजफगढ़ नाले को “साबी नाला” के रूप में दर्शाया गया था. 1885 के नक्शे में इसे “नजफगढ़ कैनाल” कहा गया है, जबकि 1907 में भी यही नाम मिलता है. 2012 में प्रकाशित “रिवर बेसिन एटलस ऑफ इंडिया” में साहबी को यमुना की एक सहायक नदी बताया गया है.
हरियाणा सिंचाई विभाग के अनुसार, मसानी बैराज से गुड़गांव सीमा तक का लगभग 11 किलोमीटर क्षेत्र नदी विहीन है, और वहां की लगभग 350 एकड़ जमीन अब निजी स्वामित्व में है. एक अधिकारी ने बताया, “रेवेन्यू रिकॉर्ड में इस भूमि को साहबी नदी के नाम पर चिन्हित नहीं किया गया है. इसलिए पूर्व में की गई जमीन अधिग्रहण की कोशिशें विफल रहीं. कई भू-स्वामी इसे खेती के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं और कलेक्टर रेट पर जमीन देने को तैयार नहीं हैं.”
एक पूर्व सरकारी अधिकारी ने खुलासा किया कि इस परियोजना के लिए स्वीकृत 750 करोड़ रुपये का बजट केवल नदी पुनर्जीवन के लिए नहीं था, बल्कि इसमें सड़क ढांचा, ओवरब्रिज, खेल सुविधाएं, शहरी वन और सौंदर्यीकरण जैसे अन्य शहरी विकास कार्य भी शामिल थे. यह बजट अब तक उपयोग नहीं किया गया है.
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