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Faridabad News: विजयादशमी पर नीलकंठ पक्षी के दर्शन का विशेष महत्व है. यह भगवान शिव का अवतार माना जाता है. इसके दर्शन मात्र से जीवन में पाप और कष्ट दूर होते हैं.
फरीदाबाद: 2 अक्टूबर को पूरे देश में दशहरा यानी विजयादशमी का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाएगा. यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है. मान्यता है कि इसी दिन भगवान राम ने रावण का वध कर अधर्म का नाश किया था. विजयादशमी को न सिर्फ रावण पर विजय के रूप में देखा जाता है, बल्कि धार्मिक दृष्टि से इस दिन नीलकंठ पक्षी के दर्शन का भी विशेष महत्व है. कहा जाता है कि नीलकंठ पक्षी भगवान शिव का अवतार है. इस दिन उसके दर्शन मात्र से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और सभी प्रकार के पाप और कष्ट दूर होते हैं.
Local18 से बातचीत में फरीदाबाद के महंत स्वामी कामेश्वरानंद वेदांताचार्य ने बताया कि विजयदशमी के दिन भगवान राम को ब्रह्म हत्या का पाप लगा था, क्योंकि रावण ब्राह्मण था. उस पाप से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव ने नीलकंठ पक्षी का रूप धारण किया. भगवान राम ने जब नीलकंठ पक्षी के दर्शन किए तो उनका ब्रह्म हत्या पाप समाप्त हो गया.
नीलकंठ पक्षी के दर्शन से लाभ
महंत ने आगे कहा कि विजयादशमी के दिन जो भी लोग नीलकंठ पक्षी का दर्शन करते हैं, उनके जीवन से पाप और संताप दूर हो जाते हैं और जीवन में केवल शुभता का प्रवेश होता है. महादेव के भक्त इस दिन विशेष रूप से कैलाश पर्वत या महाकाल के दर्शन करते हैं और कहा जाता है कि नीलकंठ रूप में भगवान शिव के दर्शन से जीवन में सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है.आज के समय में प्रदूषण और प्राकृतिक कारणों से नीलकंठ पक्षी को देख पाना मुश्किल हो गया है.
त्रेता युग से चली आ रही है परंपरा
ऐसे में महंत ने बताया कि लोग मोबाइल या अन्य माध्यम से उसकी फोटो देखकर भी आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं. यह परंपरा त्रेता युग से चली आ रही है और इसे विशेष रूप से विजयादशमी पर किया जाता रहा है. महंत का कहना है कि नीलकंठ पक्षी का दर्शन करके हम अपने जीवन से सभी पापों का नाश कर सकते हैं और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं.
विजयादशमी के दिन नीलकंठ को देखना शुभ
इसलिए इस विजयादशमी न सिर्फ रावण के वध की खुशी मनाना जरूरी है बल्कि नीलकंठ पक्षी के दर्शन करने की भी परंपरा निभाना चाहिए. यह धार्मिक आस्था और सौभाग्य दोनों का प्रतीक है. जीवन में सुख-शांति और समृद्धि पाने के लिए इस दिन नीलकंठ को देखना शुभ माना जाता है. ऐसे में इस पर्व का महत्व सिर्फ उत्सव तक ही सीमित नहीं बल्कि यह हमारे आध्यात्मिक जीवन को भी उज्जवल बनाता है.
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