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फरीदाबाद: दिल्ली-एनसीआर में सर्दियों ने दस्तक दी, लेकिन ठंड के साथ-साथ हवा में ज़हर भी घुल गया है. फरीदाबाद हो या गुरुग्राम अब तो सांस लेना भी मुश्किल लगने लगा है. सुबह बाहर निकलो तो आंखों में चुभन और गले में खराश सीधा महसूस होती है. डॉक्टर साफ कहते हैं धुंध, कोहरा और प्रदूषण मिलकर ऐसा माहौल बना रहे हैं कि अब सेहतमंद इंसान भी बीमार पड़ सकते हैं.
फरीदाबाद की हालत सबसे खराब
फरीदाबाद के Zinnia Apartment में तो AQI 481 रिकॉर्ड हुआ जो आज का सबसे खतरनाक स्तर रहा. भविष्या निधि एंक्लेव 427, सेक्टर 16 में 422, सेक्टर 11 में 418, सेक्टर 30 में 412 और सेक्टर 14 में 406 AQI ये आंकड़े देखकर लगता है जैसे शहर में सांस लेना भी रिस्क बन गया हो. IQAir के मुताबिक शहर का सामान्य स्तर करीब 182-183 है जो पहले से खराब है, लेकिन अब तो हालात और बिगड़ चुके हैं.
बिगड़ चुके हैं हालात
अगर बात बहुत खराब इलाकों की करें तो नाथू कॉलोनी 384, सेक्टर 10 HBC 382, सेक्टर 17 366, सेक्टर 16A – 364, सेक्टर 46 – 362, सेक्टर 82 – 350, NIT – 344 और फरीदाबाद स्टेशन 3 पर 334 AQI दर्ज हुआ. ये नंबर साफ बता रहे हैं कि हवा में PM2.5 इतना है कि फेफड़ों तक धूल पहुंचना तय है. खराब/गंभीर इलाकों में सेक्टर 65 (264) और सेक्टर 77 (234) भी शामिल हैं. ये वो जगह हैं जहां हालात थोड़े बेहतर हैं लेकिन सेहत की चिंता वहां भी बनी हुई है.
बढ़ा रही है हेल्थ रिस्क
सांस लेने में दिक्कत
Local18 से बातचीत में 82 साल की सुखबीरी अम्मा ने अपनी परेशानी खुलकर बताई सांस लेने में दिक्कत है जुकाम जैसा लग रहा है खांसी है आंखों में जलन है. मेरी उम्र में ये प्रदूषण और ज्यादा असर कर रहा है. उनकी आवाज़ में तकलीफ़ थी और सच कहूं तो उस उम्र में घर से बाहर निकले बिना भी वो परेशान हैं. डॉक्टर ने मास्क पहनने और बाहर न जाने की सलाह दी है लेकिन जब घर की हवा भी जहर बन जाए तो इंसान जाए तो जाए कहां?
एक और बुजुर्ग शिक्षा ने बताया कि उन्हें सांस लेने में दिक्कत है सीने में दर्द है. मुझे दो बार हार्ट अटैक आ चुका है. इस प्रदूषण की वजह से हालत और खराब हो रही है. अब तो सांस लेना भी मुश्किल लगता है. इनकी बातें सुनकर लगता है कि ये सिर्फ शहर की समस्या नहीं बल्कि सीधे जीवन और मौत की चुनौती बन चुकी है.
क्या है हल
अब सवाल उठता है इसका हल क्या है? एक्सपर्ट्स कहते हैं, ठंड में हवा नीचे दब जाती है धूल और धुआं ऊपर नहीं जा पाता. ऊपर से गाड़ियां, फैक्ट्रियां, कूड़ा जलाना, निर्माण और पराली की राख सब मिलकर हवा को और जहरीला बना रहे हैं. सरकार ने पानी का छिड़काव ट्रकों की एंट्री रोकने और निर्माण बंद करने जैसे कदम उठाए हैं लेकिन सच कहूं तो हालात काबू में नहीं आ रहे.
स्थायी बीमारी बन चुकी है प्रदूषण
असल बात ये है कि NCR की हवा अब कोई अस्थायी खतरा नहीं ये एक स्थायी बीमारी बन चुकी है. आज बुजुर्ग और बच्चे सबसे ज्यादा परेशान हैं कल शायद हर कोई इसकी चपेट में आ जाएगा. अब तो लोग भी मान चुके हैं मास्क पहनना हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा है.
सख्त कदम उठाए सरकार
आज NCR को प्रदूषण का एक और सबक मिला अगर वायु प्रदूषण पर सख्त कदम नहीं उठे तो एक दिन सांस लेना भी लग्ज़री बन जाएगा. फरीदाबाद और गुरुग्राम का आसमान भले ही धुंधलाया हुआ दिखे लेकिन सच तो सामने है हमें अपनी हवा बचानी होगी. वरना आने वाली पीढ़ियां नीला आसमान सिर्फ तस्वीरों में देख पाएंगी.
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