in

दक्षिण कोरिया के 30% स्कूलों में AI टेक्स्टबुक्स लागू, दुनियाभर में शिक्षा को लेकर नई बहस Today Tech News

दक्षिण कोरिया के 30% स्कूलों में AI टेक्स्टबुक्स लागू, दुनियाभर में शिक्षा को लेकर नई बहस Today Tech News

[ad_1]

<p style="text-align: justify;">दुनिया तेज़ी से बदल रही है और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) इसका सबसे बड़ा उदाहरण बन चुका है. अब इसका असर स्कूलों की पढ़ाई पर भी दिखने लगा है. खासतौर से दक्षिण कोरिया जैसे देश ने तो इसमें एक बड़ी छलांग लगा दी है. वहां के कई स्कूलों में अब पढ़ाई के लिए AI-बेस्ड डिजिटल टेक्स्टबुक्स का इस्तेमाल शुरू हो गया है. माना जा रहा है कि इस बदलाव से पारंपरिक शिक्षा प्रणाली में बड़ा मोड़ आ सकता है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>AI टेक्स्टबुक्स से सीख रहे हैं स्टूडेंट्स</strong></p>
<p style="text-align: justify;">खबरों के मुताबिक, दक्षिण कोरिया में मार्च 2025 से अब तक करीब 30 प्रतिशत स्कूलों ने AI टेक्स्टबुक्स को अपने कोर्स में शामिल कर लिया है. ये किताबें प्राइमरी से लेकर हाई स्कूल तक के स्टूडेंट्स के लिए हैं और अभी शुरुआत अंग्रेजी और गणित जैसे विषयों से की गई है. ये AI टेक्स्टबुक्स बच्चों की समझ, लेवल और जरूरतों के हिसाब से कंटेंट को एडजस्ट कर सकती हैं. यानी हर छात्र को उसकी सीखने की गति के अनुसार पढ़ाई करवाई जा सकती है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>शिक्षकों की ट्रेनिंग भी एक चुनौती</strong></p>
<p style="text-align: justify;">हालांकि, इस नई व्यवस्था के साथ कुछ चुनौतियां भी सामने आई हैं. सबसे बड़ी चुनौती है&mdash;शिक्षकों की ट्रेनिंग. AI आधारित टेक्स्टबुक्स को ठीक से इस्तेमाल करने के लिए टीचर्स को नई तकनीकों की समझ और स्किल्स की जरूरत है. इसके लिए दक्षिण कोरिया सरकार ने विशेष ट्रेनिंग प्रोग्राम भी शुरू किए हैं ताकि शिक्षक इस बदलाव के साथ खुद को ढाल सकें.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>एआई का कॉलेजों में रोल पर भी मंथन</strong></p>
<p style="text-align: justify;">जहां स्कूलों में AI को लेकर इतने बड़े बदलाव हो रहे हैं, वहीं हायर एजुकेशन सेक्टर भी इससे अछूता नहीं है. दुनियाभर के विशेषज्ञ इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज में भी AI को किस तरह शामिल किया जा सकता है.</p>
<p style="text-align: justify;">LinkedIn के को-फाउंडर रीड हॉफमैन का मानना है कि AI को नजरअंदाज करना अब मुमकिन नहीं है. उनका कहना है कि छात्र अब असाइनमेंट और निबंध जैसे टास्क AI टूल्स की मदद से पूरा कर रहे हैं, ऐसे में मूल्यांकन की पारंपरिक पद्धतियां अब उतनी प्रभावी नहीं रहीं.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>भविष्य में AI हो सकता है ‘को-एग्ज़ामिनर'</strong></p>
<p style="text-align: justify;">हॉफमैन का सुझाव है कि भविष्य में AI को परीक्षाओं में सह-परीक्षक यानी को-एग्ज़ामिनर की भूमिका दी जा सकती है. साथ ही ओरल एग्ज़ाम्स यानी मौखिक परीक्षा को ज्यादा महत्व दिया जा सकता है क्योंकि इससे छात्रों की समझ को बेहतर तरीके से परखा जा सकता है.</p>
<p style="text-align: justify;">उन्होंने ये भी कहा कि AI द्वारा तैयार किए गए निबंधों का उपयोग उदाहरण के तौर पर किया जा सकता है. ये दिखाने के लिए कि केवल सामान्य जानकारी देना काफी नहीं है, गहराई और विश्लेषण ज़रूरी है.</p>
<p style="text-align: justify;">दक्षिण कोरिया ने शिक्षा में AI को शामिल करके एक नई दिशा की ओर कदम बढ़ा दिया है. ये बदलाव सिर्फ एक देश तक सीमित नहीं रहेगा. अगर ये मॉडल सफल होता है, तो भविष्य में और भी देश इस राह पर चल सकते हैं. साथ ही, यह भी तय है कि AI को लेकर स्कूलों और कॉलेजों दोनों को अपनी सोच और तरीके बदलने होंगे। अब सवाल सिर्फ ये नहीं है कि AI को अपनाना चाहिए या नहीं, बल्कि ये है कि इसे कैसे बेहतर तरीके से अपनाया जाए.</p>

[ad_2]
दक्षिण कोरिया के 30% स्कूलों में AI टेक्स्टबुक्स लागू, दुनियाभर में शिक्षा को लेकर नई बहस

Telegram’s Pavel Durov says French spy chief asked him to ban conservative Romanian voices Today World News

Telegram’s Pavel Durov says French spy chief asked him to ban conservative Romanian voices Today World News

कई बीमारियों का रामबाण है शहतूत, खाते ही ये 6 बीमारियां हो जाएंगी दूर Health Updates

कई बीमारियों का रामबाण है शहतूत, खाते ही ये 6 बीमारियां हो जाएंगी दूर Health Updates