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फुटेज थाई सैनिकों पर गोलीबारी करते कंबोडियाई सैनिक की है।
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच लगातार दूसरे दिन भी गोलीबारी जारी है। शुक्रवार सुबह दोनों देशों के सैनिकों ने बॉर्डर पर फायरिंग की है।
इससे पहले गुरुवार को हुई कंबोडियाई सैनिकों की गोलीबारी में गोलीबारी में थाईलैंड के 14 लोगों की मौत हुई थी। जबकि 10 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।
इसके जवाब में थाईलैंड ने कंबोडिया के सैन्य ठिकानों पर हवाई हमले किए और बॉर्डर पर F-16 लड़ाकू विमान तैनात कर दिया था। दोनों देशों ने एक दूसरे पर पहले हमला करने का आरोप लगाया है।
थाईलैंड ने संघर्ष के बीच एक लाख लोगों को बॉर्डर इलाके से हटाया है।

शुक्रवार सुबह कंबोडियाई सेना ने थाई सेना पर गोलीबारी शुरू कर दी।
विवाद की वजह 900 साल पुराना शिव मंदिर (प्रासात ता मुएन थोम) है। दोनों देश इस पर अपना हक जताते हैं। मंदिर थाईलैंड के नक्शे में आता हो, लेकिन कंबोडिया इसे अपनी धरोहर मानता है।
कंबोडिया के मुताबिक थाई सैनिकों ने गुरुवार सुबह 6:30 बजे मंदिर के चारों तरफ कंटीली तार लगा दी। इसके बाद करीब 7.00 बजे एक ड्रोन छोड़ा और लगभग 8.30 बजे हवाई फायरिंग की।
कंबोडिया के पीएन हुन मानेत ने कहा कि उन्हें अपनी जमीन की रक्षा के लिए मजबूरन जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी।
थाईलैंड-कंबोडिया के बीच गुरुवार को हुए हमले की 6 फुटेज

थाई एयर फोर्स के F-16 विमानों ने कंबोडियाई ठिकानों पर हवाई हमले किए। इसके जवाब में कंबोडिया ने थाई सीमावर्ती कस्बों पर कई BM21 रॉकेट दागे।

कंबोडिया ने गुरुवार सुबह थाईलैंड के कई इलाकों पर हमले किए हैं।

थाईलैंड के सुरिन प्रांत में कंबोडिया सैनिकों की गोलीबारी में 8 साल के बच्चे नामखोंग बूंटाएंग की मौत हो गई।

थाईलैंड के सिसाकेट प्रांत में एक पेट्रोल स्टेशन से जुड़े एक स्टोर से धुआं निकलता हुआ।

कंबोडियाई BM-21 रॉकेटों ने थाईलैंड सीमा के पास हमला किया।

प्रीह विहियर प्रांत में कंबोडियाई सैनिक गुरुवार को BM-21 मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर को फिर से लोड करते हुए।
थाईलैंड ने 40 हजार नागरिकों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया
हमले के बाद थाईलैंड ने सीमा से लगे 86 गांवों से लगभग 40 हजार नागरिकों को सुरक्षित जगहों पर भेज दिया है। वहीं, कंबोडिया में रहने वाले थाई लोगों को भी अपने देश लौटने की अपील की गई है।
कंबोडिया की राजधानी नोम पेन्ह स्थित रॉयल थाईलैंड दूतावास ने कहा कि सीमा पर स्थिति बिगड़ती जा रही है और झड़पों के लंबे समय तक जारी रहने की संभावना के कारण, दूतावास ने अपने नागरिकों से जितनी जल्दी हो सके कंबोडिया छोड़ने को कहा है।
कंबोडिया ने UNSC की आपातकालीन बैठक बुलाने के लिए आग्रह किया है।

कंबोडिया और थाईलैंड के बीच विवाद को जानिए…
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा विवाद का इतिहास 118 साल पुराना है, जो प्रीह विहार मंदिर और आसपास के क्षेत्रों को लेकर है।
जब कंबोडिया फ्रांस के अधीन था तभी 1907 में दोनों देशों के बीच 817 किमी की लंबी सीमा खींची गई थी। थाईलैंड ने हमेशा इसका विरोध किया, क्योंकि नक्शे में प्रीह विहियर नाम का ऐतिहासिक मंदिर कंबोडिया के हिस्से में दिखाया गया था।
इस पर दोनों देशों में विवाद चलता रहा। 1959 में कंबोडिया यह मामला अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में ले गया और 1962 में अदालत ने फैसला दिया कि मंदिर कंबोडिया का है। थाईलैंड ने इसे स्वीकार किया लेकिन आसपास की जमीन को लेकर विवाद जारी रखा।

प्रीह विहियर मंदिर और इसके आस-पास की जगह को लेकर थाईलैंड और कंबोडिया के बीच विवाद जारी है।
मंदिर को हेरिटेज साइट में शामिल कराने पर झड़पें शुरू हुई
2008 में यह विवाद तब और बढ़ गया जब कंबोडिया ने इस मंदिर को यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल कराने की कोशिश की। मंदिर को मान्यता मिलने के बाद दोनों देशों की सेनाओं में फिर झड़पें शुरू हो गईं और 2011 में तो हालात इतने बिगड़ गए कि हजारों लोग अपने घर छोड़ने पर मजबूर हो गए।
2011 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने दोनों देशों को विवादित क्षेत्र से सैनिक हटाने का आदेश दिया, और 2013 में फिर से पुष्टि की कि मंदिर और उसके आसपास का क्षेत्र कंबोडिया का है। लेकिन सीमा का मुद्दा अब तक पूरी तरह हल नहीं हो पाया है।
इस विवाद के बावजूद थाईलैंड और कंबोडिया दुनिया के सबसे अच्छे पड़ोसी देशों में से माने जाते थे। कुछ साल पहले तक दोनों देशों के नेताओं का मानना था कि उनकी दोस्ती कभी नहीं टूटेगी, क्योंकि वे एक लंबी सीमा साझा करते हैं और मिलकर आगे बढ़ना उनके लिए जरूरी है।
लेकिन हाल के समय में हालात बदल गए और उनके बीच तनाव काफी बढ़ गया है। 28 मई को एमराल्ड ट्रायंगल पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच भिड़ंत हुई, जिसमें एक कंबोडियाई सैनिक की मौत हो गई थी। यह वो जगह है थाईलैंड, कंबोडिया और लाओस की सीमाएं मिलती हैं। थाईलैंड और कंबोडिया दोनों ही इस इलाके पर दावा करते हैं।

थाईलैंड-कंबोडिया ने एक-दूसरे पर बैन लगाए
सैनिक की मौत से नाराज होकर कंबोडिया के नेता हुन सेन ने सीमा पर और सैनिक और हथियार भेजने का आदेश दिया, उन्होंने कहा कि वे युद्ध नहीं चाहते, लेकिन हमला होने पर जवाब देना पड़ेगा। थाई पीएम ने इसके जवाब में कहा कि थाईलैंड ऐसी किसी धमकी को बर्दाश्त नहीं करेगा।
इसके बाद कंबोडिया ने धमकी दी कि वह इस विवाद को अंतरराष्ट्रीय अदालत में ले जाएगा, लेकिन थाईलैंड ने यह कहकर इनकार कर दिया कि वह अदालत के अधिकार को नहीं मानता।
इसके बाद थाईलैंड ने कंबोडिया की बिजली और इंटरनेट सेवा रोकने की धमकी दी, तो कंबोडिया ने थाई टीवी और फिल्मों पर बैन लगा दिया और थाई प्रोडक्ट्स के आयात पर रोक लगा दी। थाईलैंड ने भी कंबोडिया जाने वाले अपने मजदूरों को सीमा पार करने से रोक दिया।
विवाद सुलझाने में गई PM की कुर्सी

पीएम पद से हटने के बाद मीडिया के सवालों का जवाब देती हुई पाइतोंग्तार्न शिनवात्रा। तस्वीर 1 जुलाई 2025 की है।
दोनों देशों के बीच विवाद बढ़ने के बाद 15 जून को थाईलैंड की पीएम पाइतोंग्तार्न शिनावात्रा ने कंबोडिया के नेता हुन सेन से फोन पर बातचीत की थी। इस बातचीत में उन्होंने थाई सेना के कमांडर की आलोचना की थी। इसे थाईलैंड में गंभीर मामला माना जाता है क्योंकि सेना का वहां काफी प्रभाव है।
इस बातचीत के लीक होने के बाद देशभर में गुस्सा फैल गया था। इसके बाद कोर्ट ने पीएम को पद से हटा दिया। हालांकि पाइतोंग्तार्न ने माफी मांगते हुए कहा था कि उनकी टिप्पणी सिर्फ विवाद सुलझाने के लिए थी, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ।
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पाइतोंग्तार्न शिनवात्रा अगस्त 2024 में देश की प्रधानमंत्री बनी थीं। वह सिर्फ 10 महीने पद पर रह सकीं।
थाईलैंड के संवैधानिक न्यायालय ने PM पाइतोंग्तार्न शिनावात्रा को उनके पद से सस्पेंड कर दिया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने कंबोडिया के नेता हुन सेन से फोन पर बातचीत की थी। पूरी खबर पढ़ें…
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