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- Dr. Naresh Trehan’s Column Five Requests To The Youth Of India For Better Health
41 मिनट पहले

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डॉ. नरेश त्रेहान सीएमडी, मेदांता हॉस्पिटल्स
भारत की आबादी में 27% हिस्सेदारी युवाओं की है, जहां हर पांच में एक व्यक्ति किशोर है और हर तीसरा वयस्क युवा है। जिंदगी के दूसरे और तीसरे दशक अक्सर ‘हेल्दी फेज’ माने जाते हैं। लेकिन इस समय अनोखी स्वास्थ्य चुनौतियां भी सामने आती हैं, जैसे पोषण का दोहरा बोझ (एनीमिया और ज्यादा वजन/मोटापा), नशीले पदार्थों का इस्तेमाल, मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं, ट्रॉमा और प्रजनन संबंधी परेशानियां।
यह वह उम्र भी है, जब हमारी जीवनशैली एकदम से बदल जाती है, क्योंकि हम घर के अनुशासन वाले जीवन से निकलकर आजाद और पेशेवर मांगों वाले कठोर जीवन की ओर जाते हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि किशोरावस्था के व्यवहार का संबंध वयस्कों में 33% से ज्यादा बीमारियों और समय से पहले होने वाली लगभग 60% मौतों से हो सकता है। भारत के युवाओं में डायबिटीज, हाइपरटेंशन, मोटापा, कैंसर और हृदय रोग जैसी स्वास्थ्य समस्याओं के लक्षण दिख रहे हैं।
इन बदलावों से संकेत मिलता है कि जब तक भारत के युवा अपने शिक्षा ऋण का भुगतान कर पाएंगे, तब तक उनके सामने और ज्यादा वित्तीय जरूरतें आ सकती हैं, जैसे मेडिकल बिल। अच्छी खबर यह है कि शुरुआती हस्तक्षेप से इस रुझान को पलटा जा सकता है। नए साल की शुरुआत में युवाओं से मेरे ये 5 निवेदन हैं :
1. व्यायाम : अच्छा दिखने के लिए नहीं, अच्छा महसूस करने के लिए व्यायाम करें। डब्ल्यूएचओ के आंकड़े बताते हैं कि लगभग 75% भारतीय जरूरी व्यायाम नहीं करते, जो कि हफ्ते में 150-300 मिनट करना चाहिए। रोजाना शारीरिक गतिविधि से हृदय रोग का जोखिम 80%, टाइप 2 मधुमेह का जोखिम 90% और कैंसर का जोखिम 33% तक कम हो सकता है। आउटडोर खेल खेलने से भी मस्तिष्क का स्वास्थ्य और सीखने की क्षमता बेहतर होती है, नींद अच्छी आती है, खुशी देने वाले रसायनों का स्राव बढ़ता है और अवसाद तथा चिंता कम होती है।
2. आदत बनाना सीखें : तुरंत रिवॉर्ड की चाह वाली आज की आपाधापी भरी दुनिया में हतोत्साहित होना आसान है। फास्ट फूड से लेकर 10-मिनट में डिलीवरी ने ‘सब कुछ अभी’ वाले विकल्प बढ़ा दिए हैं। हम में धैर्य की कमी हो गई है जिसके बिना जीवन में परिवर्तन लाना असंभव है। लेकिन नई स्वस्थ आदतें बनाने में असफलता का सबसे बड़ा कारण यह भी है कि हम बहुत बड़े लक्ष्य तय कर लेते हैं या हर चीज को परफेक्ट बनाने में जुट जाते हैं। अपनी खामियां स्वीकारें। संभावित बाधाओं को पहचानकर उनके लिए योजना बनाएं। ‘हेल्दी स्टैकिंग’ अपनाएं, अच्छे स्वास्थ्य की छोटी-छोटी आदतों से एक दिनचर्या बनाएं।
3. ‘सफेद जहर’ को कहें ना : शक्कर, मैदा, सफेद चावल और आलू ‘सफेद जहर’ कहलाते हैं, क्योंकि इनका ग्लाइसेमिक इंडेक्स (किसी खाद्य पदार्थ को खाने के बाद ब्लड शुगर के बढ़ने की क्षमता) ज्यादा होता है और इनसे ब्लड शुगर तथा ब्लड प्रेशर तेजी से बदलता है। इसका मतलब यह नहीं कि इन्हें पूरी तरह छोड़ दें। इस पर ध्यान दें कि इन्हें किस रूप में और कितना खा रहे हैं। भारत में लगभग 50%-60% बीमारियों का संबंध डाइट से है।
4. तनाव का प्रबंधन सीखें : तनाव से बचना मुश्किल है, इसलिए इसका मुकाबला करना सीखना उतना ही जरूरी है, जितना कोई नया कौशल सीखते रहना। लंबे समय तक तनाव और इसके हार्मोन के ज्यादा एक्सपोजर से शारीरिक प्रक्रियाओं में बाधा आती है। इससे रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचने, उनमें रुकावट आने और दिल के दौरे जैसी समस्याएं हो सकती हैं। यह संभवतः युवाओं में अचानक होने वाली मौतों का सबसे बड़ा कारण है। शुक्र है, तनाव को दूर करने के लिए स्वस्थ भोजन, नींद, व्यायाम और मानसिक शांति जैसे तरीके मौजूद हैं।
5. योग अपनाएं : इसमें अनूठे ढंग से शारीरिक गतिविधि, श्वसन और ध्यान का समावेश होता है, जिससे इंसुलिन के प्रति हमारी संवेदनशीलता बेहतर होती है, ब्लड प्रेशर कम होता है और नर्वस सिस्टम को आराम मिलता है। इससे दिमाग की उथल-पुथल को ‘सर्किट ब्रेकर’ मिल जाता है। अपने शौक को समय देने और प्रियजनों के साथ समय बिताने का भी ऐसा ही असर होता है। नींद पर ध्यान दें। आपका शरीर इसी के जरिए खुद को ठीक करता है। युवावस्था में कभी-कभी नींद का त्याग करना आवश्यक हो सकता है, लेकिन रात भर जागना आदत नहीं बननी चाहिए। नींद की कमी- यानी रोज 8 घंटे से कम नींद- बाद में गंभीर बीमारियों को जन्म दे सकती है।
अच्छा स्वास्थ्य कोई मंजिल नहीं, बल्कि एक अनवरत यात्रा है, जिससे आपके शरीर और मन को सम्बल मिलता है। किसी प्रेरणा का इंतजार न करें, कुछ कर दिखाएं। इससे जो ऊर्जा मिलेगी, वही अंतत: आपकी प्रेरणा बन जाएगी। (ये लेखक के अपने विचार हैं)
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डॉ. नरेश त्रेहान का कॉलम: बेहतर सेहत के लिए भारत के युवाओं से पांच निवेदन