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- Dr. Naresh Trehan’s Column A Passive Lifestyle Has Become The Root Cause Of Many Diseases
5 दिन पहले

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डॉ. नरेश त्रेहान सीएमडी, मेदांता हॉस्पिटल्स
20वीं सदी के मध्य में, जेरेमी मॉरिस व राल्फ पैफेनबर्गर के शोध ने शारीरिक गतिविधियों और स्वास्थ्य के संबंध को समझने की नींव रखी थी। लंदन के बस कर्मचारियों और सैन फ्रांसिस्को में जहाज पर माल लादने-उतारने वालों के उनके अध्ययनों ने एक कठोर सच्चाई को उजागर किया : बस कंडक्टर और डाक वितरण कर्मचारियों जैसे अधिक सक्रिय नौकरियों वाले लोगों में बस ड्राइवरों और क्लर्कों जैसे एक जगह पर अधिक देर तक बैठकर काम करने वाले लोगों की तुलना में हृदय संबंधी मृत्यु दर कम थी।
इसने दिल की सेहत को बनाए रखने के लिए शारीरिक गतिविधियों के महत्व के प्रति हमारी समझ में क्रांति ला दी। आधुनिक दौर के कैब ड्राइवर और अनगिनत ऑफिस कर्मचारी लंबे समय तक बैठे रहने के कारण अनेक स्वास्थ्य-जोखिमों का सामना करते हैं।
आज के दौर के काम और जीवनशैली की निष्क्रियता एक वैश्विक स्वास्थ्य संकट बन गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में 60 से 85% से अधिक लोग निष्क्रिय जीवन बिता रहे हैं। भारत में तो स्थिति विशेष रूप से चिंताजनक है। 2018 के एक अध्ययन में पाया गया कि अनुमानित 54% लोग शारीरिक रूप से निष्क्रिय हैं और वे सप्ताह में 150 मिनट से भी कम ‘मध्यम तीव्रता’ वाला व्यायाम करते हैं- जो अच्छे स्वास्थ्य के लिए न्यूनतम है।
शारीरिक निष्क्रियता कई नॉन-कम्युनिकेबल रोगों (एनसीडी) के प्रमुख रिस्क फैक्टर के रूप में सामने आई है, जो भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य को काफी प्रभावित कर रही है। ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज अध्ययन के अनुसार, दुनिया के हृदय रोगियों का लगभग 60% हिस्सा भारत में है।
अंतर्राष्ट्रीय मधुमेह महासंघ के अनुसार, भारत में 7.7 करोड़ मधुमेह रोगी हैं, जो चीन के बाद दूसरे स्थान पर हैं। मोटापे की दर में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (2019-21) से पता चलता है कि 24% भारतीय महिलाएं और 23% पुरुष अब अधिक वजन वाले या मोटे हैं। मानसिक स्वास्थ्य भी इससे अछूता नहीं है। इंडियन जर्नल ऑफ साइकाइट्री में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, शारीरिक निष्क्रियता अवसाद और एंग्जायटी के 25% अधिक जोखिम से जुड़ी है।
ये बीमारियां न केवल जीवन की गुणवत्ता कम करती हैं, बल्कि स्वास्थ्य सेवा प्रणाली पर भी दबाव डालती हैं। विश्व आर्थिक मंच की रिपोर्ट के अनुसार भारत में नॉन-कम्युनिकेबल रोगों का आर्थिक-बोझ 2030 तक 4.58 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है।
यह देश की वृद्धि और विकास के लिए एक बड़ा जोखिम है। इससे बचने के लिए, व्यायाम और सक्रियता के सार्वभौमिक दिशा निर्देश स्थापित किए गए हैं। बच्चों के लिए प्रतिदिन 60 मिनट और वयस्कों के लिए सप्ताह में 150 मिनट व्यायाम के साथ ही, बुजुर्गों के लिए स्ट्रेंथ ट्रेनिंग और संतुलन सम्बंधी अभ्यास की अतिरिक्त सिफारिशें की गई हैं। लेकिन अगर आप इन न्यूनतम मानदंडों को पूरा नहीं कर पाते हों तो निराश न हों। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन इस बात पर जोर देता है कि थोड़ी शारीरिक गतिविधि भी निष्क्रियता से बेहतर है!
जो वयस्क कम बैठते हैं, ज्यादा चलते हैं, या मध्यम से लेकर कठोर शारीरिक गतिविधियां तक करते हैं, उन्हें कुछ स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। जो 5 दिनों में व्यायाम के 150 मिनट निकाल लेते हैं, उन्हें तो काफी लाभ होता है। साथ ही अगर साप्ताहिक एरोबिक लक्ष्य को भी 300 मिनट तक बढ़ाया जाए और दो दिन स्ट्रेंथ ट्रेनिंग भी की जाए, तो और बेहतर।
नियमित रूप से व्यायाम करने के लाभों की फेहरिस्त तो बहुत ही लंबी है। निष्क्रिय जीवनशैली के बजाय दैनिक शारीरिक गतिविधि और व्यायाम को चुनने से हृदय रोगों के जोखिम में 80% तक की कमी आती है, टाइप-2 मधुमेह का जोखिम 90% तक घट जाता है, कैंसर का खतरा 33% कम हो जाता है और कुछ मामलों में, सभी कारणों से होने वाली मृत्यु दर में कमी आती है।
व्यायाम बुजुर्गों में शारीरिक संतुलन को सुधारकर गिरने से होने वाली चोटों को कम करता है, हड्डियों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है और संज्ञानात्मक गिरावट को धीमा करता है। नियमित व्यायाम से डिमेंशिया का जोखिम भी लगभग 28% तक कम हो सकता है। लेकिन शुरुआत करने से पहले यह जरूर समझ लें कि डब्ल्यूएचओ और आईसीएमआर द्वारा दिए गए व्यायाम संबंधी दिशा-निर्देश व्यापक चिकित्सा-सिफारिशें हैं, जिन्हें नुस्खों की तरह ही व्यक्तिगत बनाने की आवश्यकता है।
अगर आपको पहले से कोई स्वास्थ्य-समस्या है या अब तक आप एक गतिहीन जीवनशैली जी रहे हैं तो अपने डॉक्टर से सलाह लें। डॉक्टर यह निर्धारित करने में मदद कर सकते हैं कि आपके लिए ‘मध्यम तीव्रता’ का क्या मतलब है और वे यह भी सुनिश्चित कर सकते हैं कि आप सुरक्षित रूप से व्यायाम करें। ‘मध्यम तीव्रता’ की एक अधिक सामान्य परिभाषा कोई भी ऐसी गतिविधि है, जिसे करते समय आप एक ही सांस में पूरा वाक्य बोल सकें।
जब आप व्यायाम के माध्यम से बेहतर स्वास्थ्य की अपनी यात्रा शुरू करते हैं, तो शरीर की ओर से मिलने वाले संकेतों को सुनना कभी न भूलें- आपका शरीर ही आपका सबसे प्रमुख मार्गदर्शक है। धीरे-धीरे अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ें, और अगर आपको तकलीफ हो रही है या चक्कर आ रहे हैं तो ब्रेक लेने में संकोच न करें। अस्थायी असुविधा से आगे बढ़ने की कोशिश करें, लेकिन अपनी सीमाओं को लांघने की नहीं। आपको व्यायाम से होने वाला लाभ स्वयं ही दिखलाई देने लगेगा।
बैठे रहने के दुष्परिणाम… आधुनिक दौर के कैब ड्राइवर और अनगिनत ऑफिस कर्मचारी लंबे समय तक बैठे रहने के कारण अनेक स्वास्थ्य-जोखिमों का सामना करते हैं। आज के दौर के काम और जीवनशैली की निष्क्रियता एक वैश्विक स्वास्थ्य संकट बन गई है। (ये लेखक के अपने विचार हैं)
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डॉ. नरेश त्रेहान का कॉलम: अनेक बीमारियों की जड़ बन गई है निष्क्रिय जीवनशैली