in

डेरेक ओ ब्रायन का कॉलम: राज्यसभा सभापति खिलाड़ी नहीं, अम्पायर की तरह हों Politics & News

डेरेक ओ ब्रायन का कॉलम:  राज्यसभा सभापति खिलाड़ी नहीं, अम्पायर की तरह हों Politics & News

[ad_1]

  • Hindi News
  • Opinion
  • Derek O’Brien’s Column Rajya Sabha Chairman Should Be Like An Umpire, Not A Player

2 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक

डेरेक ओ ब्रायन लेखक सांसद और राज्यसभा में टीएमसी के नेता हैं

चौदह साल पहले दिल्ली की वो उमस भरी सुबह मुझे आज भी याद है। जीवन में पहली बार मैं संवैधानिक पद पर बैठे किसी व्यक्ति से मिला था। वे तत्कालीन उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी थे। वह संसद में मेरा पहला दिन भी था। शपथ-ग्रहण के बाद उन्होंने पहली बार सांसद बने हम कुछ नेताओं को कॉफी पर बुलाया। बातचीत चलती रही।

जब उन्होंने देखा कि गपशप करते हुए 15 मिनट से अधिक हो गए हैं, तो उन्होंने हमें चर्चा जारी रखने के लिए अपने घर पर बुलाया। हम कुछ दिनों बाद उनके घर भी गए। यह हमारे लिए रोमांचक था कि दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति ने हम जैसे नए सांसदों से मिलने के लिए समय निकाला।

एक राजनयिक के रूप में हामिद अंसारी का लंबा और प्रतिष्ठित करियर रहा था। वे भारत सरकार के चीफ ऑफ प्रोटोकॉल, ऑस्ट्रेलिया में उच्चायुक्त, संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि, अफगानिस्तान, ईरान और सऊदी अरब में राजदूत रहे थे। फिर वे भारत के 12वें उपराष्ट्रपति बने।

कोलकाता में जन्मे अंसारी के बारे में जो बात कम ही लोग जानते हैं, वो ये है कि वे अपने कॉलेज के लिए मध्य क्रम के विकेटकीपर-बल्लेबाज भी थे। वास्तव में ईरान में राजदूत रहते हुए उन्होंने भारतीय दूतावास के कर्मचारियों के लिए क्रिकेट शुरू करवाया था। यह भी कहा जाता है कि उन्होंने ईरान में इस खेल को लोकप्रिय बनाया।

राज्यसभा के सभापति के तौर पर अंसारी ने विधान-परिषदों में कई इनोवेशन किए। संसद-सत्र के दौरान अंसारी रोज सुबह 10:30 से 10:55 तक कॉफी मीटिंग करते थे। सदन के नेताओं के साथ इस अनौपचारिक बातचीत से सत्तापक्ष और विपक्ष को दिन भर की कार्यवाही में सामंजस्य बनाने में मदद मिलती थी।

सभापति के तौर पर अंसारी का एक नियम अटल था : कोई भी विधेयक हंगामे के बीच पारित नहीं होगा। इससे यह सुनिश्चित हुआ था कि तत्कालीन सरकार कोई भी कानून जबरन नहीं थोप सकती थी। प्रश्नकाल और शून्यकाल के समय में बदलाव का पूरा श्रेय भी अंसारी को ही जाना चाहिए।

बीते छह दशकों से प्रश्नकाल सुबह 11 बजे शुरू होता आ रहा था। इसके बाद दोपहर 12 बजे से शून्यकाल होता था। अंसारी को लगा कि प्रश्नकाल अकसर हंगामे की भेंट चढ़ता है, क्योंकि सदस्य दिन की शुरुआत में ही महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाना चाहते हैं। 2014 में अंसारी ने इसमें बदलाव किया। अब राज्यसभा में पहले 11 बजे से शून्यकाल होता है, जिसमें सदस्य तात्कालिक जनहित के मुद्दे उठाते हैं। 12 बजे से प्रश्नकाल शुरू होता है।

अंसारी के दृष्टिकोण को इस कथन से समझा जा सकता है- ‘राज्यसभा का सभापति खिलाड़ी नहीं, बल्कि अम्पायर है… यदि आप खिलाड़ी बनते हैं तो पक्षपाती हो जाते हैं।’ सेवानिवृत्ति के बाद वे दिल्ली में सुखद जीवन बिता रहे हैं। उन्होंने कई किताबें लिखी हैं।

दूसरे जिन उपराष्ट्रपति के सम्पर्क में मुझे आने का सौभाग्य मिला, वे थे वेंकैया नायडू। एक अनुभवी सांसद, जो ग्रामीण विकास, शहरी विकास, आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन, सूचना और प्रसारण के साथ संसदीय कार्य मंत्रालय के मंत्री भी रहे थे।

इतिहास नायडू के प्रति उदार रहेगा, क्योंकि उन्होंने 20 सितम्बर 2020 को उस दिन सदन की अध्यक्षता नहीं की थी, जब विवादित कृषि कानून जबरन पारित कराए गए थे। शायद इसलिए क्योंकि वे कृषक-परिवार में जन्मे थे।

उनका चैम्बर हो या सदन, दोनों ही जगह नायडू हर किसी से एक ही लहजे में बात करते थे- फिर चाहे वे सत्तापक्ष के सदस्य हों या विपक्ष के। यह सराहनीय है। जब भी वे हमें उपराष्ट्रपति भवन में भोजन पर आमंत्रित करते थे तो वहां मिलने वाले आंध्रप्रदेश के स्वादिष्ट भोजन के लिए श्रीमती नायडू को भी बराबर का श्रेय जाता है। एक बार उन्होंने कहा था कि भले ही वे बाहर सभापति होंगे, लेकिन घर में उनका भी एक गृहमंत्री है।

नायडू को चुटीले ‘वन लाइनर’ बहुत पसंद थे। एक बार जब विद्यार्थी उच्च शिक्षा के लिए बाहर जा रहे थे तो उन्होंने कहा था- ‘लर्न, अर्न एंड रिटर्न’। यानी सीखना, कमाना और फिर लौट आना। जब उनसे राष्ट्रपति बनने की महत्वाकांक्षा के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा वे ‘उषापति’ बनकर ही खुश हैं।

उनकी पत्नी का नाम उषा है। उनका एक और मशहूर कथन था- ‘द लेफ्ट कैन नेवर बी राइट’। नायडू का हास्यबोध जितना अच्छा था, वे उतने ही भावुक भी थे। जब भावनात्मक मुद्दों पर चर्चा होती, उनकी आंखें नम हो जाया करती थीं।

14वें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी मेरे कॉलम का विषय होंगे। लेकिन किसी और दिन!

भारत के 12वें उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी क्रिकेटप्रेमी और इनोवेटिव थे। वहीं 13वें उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू अपने हास्यबोध और भावुकता के लिए जाने जाते थे। दोनों ही अनुभवी और पद की गरिमा का ध्यान रखने वाले थे। (ये लेखक के अपने विचार हैं। इस लेख के सहायक शोधकर्ता आयुष्मान डे हैं)

खबरें और भी हैं…

[ad_2]
डेरेक ओ ब्रायन का कॉलम: राज्यसभा सभापति खिलाड़ी नहीं, अम्पायर की तरह हों

Police say shots reported fired inside Park Avenue skyscraper in Manhattan Today World News

Police say shots reported fired inside Park Avenue skyscraper in Manhattan Today World News

Hisar News: पार्कों में बनाए धार्मिक स्थलों को तोड़ेगा निगम  Latest Haryana News

Hisar News: पार्कों में बनाए धार्मिक स्थलों को तोड़ेगा निगम Latest Haryana News