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<p style="text-align: justify;">डेंगू (Dengue), मेलरिया (Malaria), चिकनगुनिया तो हमने कई बार सुना होगा लेकिन ट्रिपल ई पहली बार सुना है. दरअसल, ट्रिपल ई मच्छर के काटने से फैलती है. मंगलवार के दिन अमेरिका के अधिकारियों ने ट्रिपल ई के कारण एक व्यक्ति की मौत की घोषण की. इस बीमारी से यह पहला ऐसा मौत है. यह पूरे साल में अमेरिका में वायरस का 5वां मामला है.</p>
<p style="text-align: justify;">माना जा रहा है कि राज्य के कई इलाकों में मच्छर इस वायरस से संक्रमित हैं. जबकि आस-पास के इलाकों में हाई अलर्ट जारी किया गया है. खास तौर पर पड़ोसी राज्य मैसाचुसेट्स में. सवाल यह उठता है कि मच्छर जनित वायरस क्या है और यह कितनी दूर तक फैल सकता है?</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>ट्रिपल ई वायरस क्या है?</strong></p>
<p style="text-align: justify;">इस वायरस को आधिकारिक तौर पर ईस्टर्न इक्वाइन इंसेफेलाइटिस वायरस (ईईईवी) कहा जाता है. जिसे ट्रिपल ई के नाम से भी जाना जाता है. दुर्लभ लेकिन गंभीर इसे पहली बार 1938 में मैसाचुसेट्स में घोड़ों में पहचाना गया था. तब से मैसाचुसेट्स डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक हेल्थ के आंकड़ों के आधार पर राज्य में वायरस से 118 मानव मामले और 64 मौतें हुई हैं.</p>
<p style="text-align: justify;">यह वायरस इंसान के नर्वस सिस्टम पर हमला करता है. जिसके बाद दिमाग में सूजन होता है और यही सूजन बढ़ने के बाद व्यक्ति की मौत हो जाती है. यह वायरस कहां पाया जाता है? यह वायरस उत्तरी अमेरिका और कैरिबियन में पाया जाता है. जबकि मानव मामले मुख्य रूप से अमेरिका के पूर्वी और खाड़ी तटीय राज्यों में पाए जाते हैं.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>कुछ इस तरह से फैलता है मच्छर का प्रजनन</strong></p>
<p style="text-align: justify;">येल यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में एसोसिएट रिसर्च साइंटिस्ट वेरिटी हिल ने कहा कि इसका कारण कई अलग-अलग पक्षी प्रजातियों और मच्छरों की जटिल पारिस्थितिकी है. जो प्रजनन के लिए वृक्षीय दलदलों पर निर्भर हैं. इसके अलावा काली पूंछ वाला मच्छर वायरस का मुख्य वाहक मुख्य रूप से पूर्वी अमेरिका, मैक्सिको और कैरिबियन में पाया जाता है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>वायरस कैसे फैलता है?</strong></p>
<p style="text-align: justify;">वायरस आम तौर पर दृढ़ लकड़ी के दलदलों में रहने वाले पक्षियों में फैलता है. मच्छरों की प्रजातियां जो मनुष्यों और स्तनधारियों दोनों को खाती हैं. वे वायरस तब फैलाती हैं जब वे संक्रमित पक्षी और फिर स्तनधारी को काटती हैं और वायरस को उसके रक्तप्रवाह में इंजेक्ट करती हैं.</p>
<p style="text-align: justify;">पक्षियों के विपरीत, संक्रमित मनुष्य और घोड़े "डेड-एंड होस्ट" होते हैं. जिसका अर्थ है कि उनके रक्त में इतना वायरस नहीं होता कि वे EEEV को मच्छर तक पहुंचा सकें जो उन्हें काट सकता है. हिल ने अल जज़ीरा को बताया. इसका मतलब है कि वे वायरस को दूसरे जानवरों या मनुष्यों तक नहीं पहुंचा सकते.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.</strong></p>
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