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विकास झा/फरीदाबाद: सर्दियों की ठिठुरन ने एक बार फिर फुटपाथ पर जिंदगी गुजारने को मजबूर बेसहारा लोगों की दुर्दशा उजागर कर दी है. फरीदाबाद के बाटा चौक स्थित हनुमान मंदिर के पास फुटपाथ पर खुले आसमान के नीचे कई लोग ठंड से जूझ रहे हैं. इन लोगों में छोटे बच्चे, महिलाएं, और बुजुर्ग शामिल हैं. सर्द रातों में ठंड से बचाव के किसी भी साधन के अभाव में यह लोग अपनी जान जोखिम में डालकर दिन गुजार रहे हैं. यह हालात प्रशासन और समाज दोनों की जिम्मेदारियों पर सवाल खड़े करते हैं.

15 दिनों से फुटपाथ पर जिंदगी बिता रही अनीता
जबलपुर से आई अनीता तीन छोटे बच्चों के साथ पिछले 15 दिनों से फुटपाथ पर रहने को मजबूर हैं. उनका कहना है कि उनके पास रहने के लिए कोई अन्य विकल्प नहीं है. अनीता ने बताया, “बच्चों को इस कड़ाके की ठंड में बचाना बहुत मुश्किल है. कभी-कभी लोग खाने-पीने के लिए कुछ दे जाते हैं, लेकिन ठंड से बचाव के लिए न कोई कंबल है, न रहने का कोई ठिकाना.”
दो महीनों से फुटपाथ पर बबलू की कहानी
पैगांव से आए बबलू ने कहा कि वह पिछले दो महीनों से फुटपाथ पर रह रहा है. बबलू ने बताया कि उसे रैन बसेरे के बारे में कोई जानकारी नहीं है. उसके पास आधार कार्ड है, लेकिन सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पाया. “मंदिर से खाना मिल जाता है, लेकिन ठंड से बचने के लिए कोई साधन नहीं है,” बबलू ने कहा.
रैन बसेरों की स्थिति पर उठते सवाल
प्रशासन की ओर से रैन बसेरों की व्यवस्था के दावे फुटपाथ पर रह रहे लोगों की दुर्दशा देखकर खोखले नजर आते हैं. कई लोगों को रैन बसेरों के बारे में जानकारी नहीं है, तो वहीं पर्याप्त संख्या में रैन बसेरों की उपलब्धता का भी अभाव है. इसके अलावा, जो रैन बसेरे हैं, उनकी स्थिति भी दयनीय है. साफ-सफाई और मूलभूत सुविधाओं की कमी के चलते ये बेघर लोग फुटपाथ पर सोने को मजबूर हैं.
समाज और प्रशासन की संयुक्त जिम्मेदारी
ठंड के मौसम में इन बेसहारा लोगों के लिए समाज और प्रशासन दोनों को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी. प्रशासन को रैन बसेरों की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ उनके रखरखाव पर ध्यान देना चाहिए. इसके अलावा, लोगों को इन रैन बसेरों की जानकारी देने के लिए जागरूकता अभियान चलाना चाहिए.
समाज को भी इस संकट में प्रशासन का साथ देना चाहिए. ठंड से बचाव के लिए कंबल वितरण और जरूरतमंदों की मदद करने जैसे कदम उठाए जा सकते हैं. यह हर नागरिक की जिम्मेदारी है कि वे जरूरतमंदों की मदद के लिए हाथ बढ़ाएं.
जरूरी कदम उठाने का समय
फुटपाथ पर रह रहे लोगों के लिए यह समय बेहद मुश्किल है. प्रशासन को त्वरित कदम उठाकर उनकी मदद करनी चाहिए. अगर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया, तो ठंड के कारण कई जिंदगियां खतरे में पड़ सकती हैं. समाज और प्रशासन के संयुक्त प्रयास से ही इन बेघर लोगों को राहत मिल सकती है.
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