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ट्रम्प से बहस के बाद जेलेंस्की पर तख्तापलट का खतरा: एक्सपर्ट्स का अनुमान- सरकार गिराने में मदद कर सकती है US एजेंसी, रूस को मिलेगा फ्री हैंड Today World News

ट्रम्प से बहस के बाद जेलेंस्की पर तख्तापलट का खतरा:  एक्सपर्ट्स का अनुमान- सरकार गिराने में मदद कर सकती है US एजेंसी, रूस को मिलेगा फ्री हैंड Today World News

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2 मिनट पहलेलेखक: तेजस्वी ठाकुर

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एक्सपर्ट्स का कहना है कि ट्रम्प और जेलेंस्की के बीच शुक्रवार को हुई बहस जेलेंस्की को भारी पड़ सकती है।

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की रूस के साथ जंग में मदद मांगने के लिए अमेरिका आए थे। यहां राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से मुलाकात में बात कुछ ऐसी पलटी कि जेलेंस्की को न सिर्फ खाली हाथ लौटना पड़ा, बल्कि अमेरिका से रिश्ते भी बिगड़ गए।

व्हाइट हाउस में ट्रम्प और उप-राष्ट्रपति जेडी वेंस के साथ जेलेंस्की की बहस ग्लोबल पॉलिटिक्स में बड़ा बदलाव ला सकती है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि यूक्रेन में कभी भी जेलेंस्की का तख्तापलट हो सकता है। जेलेंस्की में लोगों का विश्वास कम हो रहा है, जिससे उनकी सरकार गिराना आसान होगा।

अमेरिका और यूक्रेन के बीच आए इस तनाव का दोनों देशों पर क्या असर पड़ेगा, जेलेंस्की, यूक्रेन और यूरोपीय नेताओं पर दबाव डालने के लिए ट्रम्प आगे क्या रणनीति अपना सकते हैं, आइए आपको बताते हैं एक्सपर्ट्स की राय…

सबसे पहले तीन तस्वीरों में देखिए जेलेंस्की का अमेरिका दौरा…

जेलेंस्की शुक्रवार रात करीब 10 बजे व्हाइट हाउस पहुंचे तो ट्रम्प दरवाजे तक उन्हें रिसीव करने पहुंचे। दोनों ने हाथ मिलाया, फिर ट्रम्प ने जेलेंस्की की तरफ इशारा करते हुए मीडिया से कहा, 'ये आज अच्छे से तैयार होकर आए हैं।'

जेलेंस्की शुक्रवार रात करीब 10 बजे व्हाइट हाउस पहुंचे तो ट्रम्प दरवाजे तक उन्हें रिसीव करने पहुंचे। दोनों ने हाथ मिलाया, फिर ट्रम्प ने जेलेंस्की की तरफ इशारा करते हुए मीडिया से कहा, ‘ये आज अच्छे से तैयार होकर आए हैं।’

दोनों नेताओं ने ओवल हाउस में बैठक की। इस दौरान अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भी मौजूद थे। ट्रम्प-जेलेंस्की के बीच बातचीत होते-होते बहस शुरू हो गई। ट्रम्प ने कई बार जेलेंस्की को फटकार भी लगाई। उन्होंने जेलेंस्की से कहा कि वो तीसरा विश्वयुद्ध कराने का जुआ खेल रहे हैं।

दोनों नेताओं ने ओवल हाउस में बैठक की। इस दौरान अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भी मौजूद थे। ट्रम्प-जेलेंस्की के बीच बातचीत होते-होते बहस शुरू हो गई। ट्रम्प ने कई बार जेलेंस्की को फटकार भी लगाई। उन्होंने जेलेंस्की से कहा कि वो तीसरा विश्वयुद्ध कराने का जुआ खेल रहे हैं।

ट्रम्प और वेंस के साथ बहस के बाद जेलेंस्की को व्हाइट हाउस से निकाल दिया गया। शनिवार सुबह करीब 11 बजे जेलेंस्की अमेरिका से रवाना हो गए। वे ब्रिटेन की राजधानी लंदन पहुंचे, जहां रविवार यानी आज यूरोपीय देशों की एक समिट होनी है।

ट्रम्प और वेंस के साथ बहस के बाद जेलेंस्की को व्हाइट हाउस से निकाल दिया गया। शनिवार सुबह करीब 11 बजे जेलेंस्की अमेरिका से रवाना हो गए। वे ब्रिटेन की राजधानी लंदन पहुंचे, जहां रविवार यानी आज यूरोपीय देशों की एक समिट होनी है।

जेलेंस्की के तख्तापलट में मदद कर सकती है US सीक्रेट एजेंसी

बनारस हिंदी यूनिवर्सिटी (BHU) में इंटरनेशनल रिलेशन के प्रोफेसर प्रियंकर उपाध्याय का कहना है कि ट्रम्प ने अपने सारे कार्ड खोल दिए हैं। व्हाइट हाउस में ट्रम्प के साथ बहस के बाद जेलेंस्की का मनोबल बुरी तरह कमजोर हो चुका है।

यूक्रेन में सेना का मनोबल आधा रह जाएगा। अब तक उन्हें लग रहा था कि अमेरिका जैसा सुपर पावर उनके पीछे खड़ा है, लेकिन अब अमेरिका ही जेलेंस्की पर युद्ध शुरू करने का आरोप लगा रहा है।

यह भी मुमकिन है कि रूस यूक्रेन में तख्तापलट करवा सकते हैं। रूस पर भी आरोप लगे हैं कि उसने यूक्रेन में कठपुतली सरकार बनवाई थी। अगर रूस एक बार फिर ऐसी कोशिश करता है तो संभावना है कि अमेरिकी सीक्रेट एजेंसी CIA भी इसमें मदद कर सकती है।

अनुमान की वजह: अमेरिका पहले भी अपने फायदे के लिए दुनिया में कई बार तख्तापलट करवा चुका है। 1980 के दशक में अफगानिस्तान से सोवियत यूनियन को बाहर करने के लिए अमेरिका ने तालिबान को बनाया। तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया। बाद में अमेरिका ने तालिबान के खिलाफ ही 20 साल लड़ाई लड़ी।

पिछले साल बांग्लादेश में शेख हसीना की तख्तापलट में अमेरिका का हाथ होने का आरोप लगा था। राष्ट्रपति पुतिन ने आरोप लगाया था कि 2014 में अमेरिका की वजह से यूक्रेन के रूस समर्थक राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच का तख्तापलट हुआ था।

यूक्रेन के राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच को रूसी राष्ट्रपति पुतिन का समर्थक माना जाता था। 2014 में तख्तापलट के कारण उन्हें देश छोड़कर जाना पड़ा था। विक्टर यानुकोविच (बीच में) व्लादिमीर पुतिन और रूस के तत्कालीन राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव के साथ।

यूक्रेन के राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच को रूसी राष्ट्रपति पुतिन का समर्थक माना जाता था। 2014 में तख्तापलट के कारण उन्हें देश छोड़कर जाना पड़ा था। विक्टर यानुकोविच (बीच में) व्लादिमीर पुतिन और रूस के तत्कालीन राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव के साथ।

ट्रम्प यूक्रेन के सामान पर टैरिफ लगा सकते हैं

एमिटी यूनिवर्सिटी के इंटरनेशनल मामलों के एक्सपर्ट श्रीश पाठक का कहना है कि ट्रम्प दबाव बनाने के लिए जेलेंस्की की सार्वजनिक आलोचना तेज कर सकते हैं। रूस के साथ शांति वार्ता से यूक्रेन को पूरी तरह बाहर कर सकते हैं। आर्थिक दबाव बढ़ाने के लिए यूक्रेनी सामान पर टैरिफ लगा सकते हैं।

ट्रम्प यूरोपीय नेताओं पर दबाव बना सकते हैं कि वो यूक्रेन को और ज्यादा आर्थिक और सैन्य सहायता दें। इसके साथ ही वो नाटो को दी जाने वाली अमेरिकी मदद में कटौती का ऐलान कर सकते हैं, जिससे यूरोपीय देश ट्रम्प के हिसाब से काम करने को मजबूर हो सकते हैं।

अनुमान की वजह: शुक्रवार को व्हाइट हाउस में ट्रम्प ने जेलेंस्की पर आरोप लगाया था कि वो तीसरा विश्वयुद्ध कराने का जुआ खेल रहे हैं। जेलेंस्की ने कहा कि भविष्य में इस युद्ध का असर अमेरिका पर भी पड़ेगा। इस पर ट्रम्प झुंझला गए और उन्होंने कहा कि हमें मत बताइए कि हमें क्या महसूस करना चाहिए। आप हमें कुछ भी बताने की स्थिति में नहीं हैं।

ट्रम्प अपने इलेक्शन कैंपेन के दौरान भी कई बार NATO ग्रुप की आलोचना कर चुके हैं। ट्रम्प का कहना है कि इस संगठन में अमेरिका सबसे ज्यादा फंडिंग देता है, जबकि इसमें शामिल सभी देशों पर बराबर की जिम्मेदारी होनी चाहिए।

ट्रम्प ने जेलेंस्की पर झुंझलाते हुए कहा कि आप वर्ल्ड वॉर तीन की संभावना से जुआ खेल रहे हैं। आप इस देश का अपमान कर रहे हैं। ट्रम्प ने कहा कि कहा कि जेलेंस्की शांति चाहते ही नहीं हैं। ट्रम्प ने दावा किया कि पुतिन शांति के लिए काफी गंभीर हैं।

ट्रम्प ने जेलेंस्की पर झुंझलाते हुए कहा कि आप वर्ल्ड वॉर तीन की संभावना से जुआ खेल रहे हैं। आप इस देश का अपमान कर रहे हैं। ट्रम्प ने कहा कि कहा कि जेलेंस्की शांति चाहते ही नहीं हैं। ट्रम्प ने दावा किया कि पुतिन शांति के लिए काफी गंभीर हैं।

ट्रम्प यूक्रेन से हफ्तावसूली कर रहे, ये भारत के लिए भी संदेश

JNU के प्रोफेसर राजन कुमार का कहना है कि ट्रम्प यूक्रेन पर दबाव बढ़ाने के लिए वहां इलॉन मस्क की कंपनी स्टार लिंक का इंटरनेट बंद कर सकते हैं। हथियार का सपोर्ट तो पूरी तरह बंद हो ही जाएगा।

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इसके साथ ही अब अमेरिका जेलेंस्की को सरकार के बेदखल करने की पूरी कोशिश करेगा। इसके लिए जेलेंस्की पर लगे करप्शन के मामलों को हाईलाइट किया जाएगा। इसके अलावा यूक्रेन में जो मौतें हो रही हैं उन्हें भी अमेरिका बढ़ा-चढ़ा कर बताएगा।

अमेरिका, यूक्रेन में जेलेंस्की के विरोध में लोगों को भड़काएगा और रूस को पूरी तरह से फ्री हैंड दिया जाएगा। जब रूस को यह लगेगा की अब यूक्रेन को अमेरिका का सपोर्ट नहीं है तो वो हमले और तेज कर देगा।

हाल फिलहाल की स्थिति में अमेरिका और यूरोप के रिश्तों में भी एक तरह का ब्रेक आ गया है। रविवार की मीटिंग में यूरोपियन यूनियन भले ही कोई भी फैसला ले लेकिन ब्रिटेन कभी भी अमेरिका के खिलाफ नहीं जाएगा। ब्रिटेन को यह भी डर है कि अगर अमेरिका ने उसका साथ छोड़ दिया तो उसकी भी स्थिति संकट में जाएगी।

ट्रम्प यूक्रेन के साथ जो कर रहे हैं वो एक तरह की हफ्तावसूली है। इससे भारत जैसे देशों के लिए भी संदेश है कि अमेरिका के भरोसे कभी युद्ध में न उलझें। ट्रम्प का मुख्य मकसद अमेरिका को आर्थिक रूप से मजबूत करना है।

अनुमान की वजह- राष्ट्रपति ट्रम्प के सहयोगी इलॉन मस्क की कंपनी स्टार-लिंक यूक्रेन में इंटरनेट सर्विस देती है। व्हाइट हाउस में तीखी बहस के बाद मस्क ने भी जेलेंस्की को निशाने पर लिया है। उन्होंने सोशल मीडिया X पर लिखा कि यह पता लगाने का समय आ गया है कि यूक्रेन को भेजे गए सैकड़ों अरब डॉलर का हकीकत में क्या हुआ।

दूसरी तरफ अमेरिका ने हाल ही में संयुक्त राष्ट्र (UN) में यूक्रेन की तरफ से लाए गए एक प्रस्ताव का विरोध करते हुए रूस का समर्थन कर दिया था। बीते तीन सालों में यह पहली बार था जब अमेरिका ने यूक्रेन और यूरोपीय देशों के खिलाफ जाकर रूस का सपोर्ट किया हो।

फिलहाल ट्रम्प का ध्यान अमेरिका को आर्थिक तौर पर मजबूत करने पर लगा हुआ है। इसके लिए वो अपने पड़ोसी कनाडा और मेक्सिको के साथ चीन पर भी भारी भरकम टैरिफ का ऐलान कर चुके हैं। ऐसे में मुमकिन है कि वो रूस के साथ बिजनेस डील को तैयार हो जाएं।

ट्रम्प ने कुछ दिन पहले ही दुनिया भर के देशों पर जैसे को तैसा टैरिफ (रेसिप्रोकल टैरिफ) लगाने की बात कही थी। इसके अलावा उन्होंने हाल ही में कनाडा और मेक्सिको पर 25% टैरिफ लगाया था। ट्रम्प का का कहना है कि उसका दुनिया के कई देशों के साथ बहुत ज्यादा व्यापार घाटा है और वो इसे कम कर चाहते हैं। ट्रम्प सरकार का ध्यान अमेरिका की आर्थिक तरक्की पर ज्यादा है।

ट्रम्प ने कुछ दिन पहले ही दुनिया भर के देशों पर जैसे को तैसा टैरिफ (रेसिप्रोकल टैरिफ) लगाने की बात कही थी। इसके अलावा उन्होंने हाल ही में कनाडा और मेक्सिको पर 25% टैरिफ लगाया था। ट्रम्प का का कहना है कि उसका दुनिया के कई देशों के साथ बहुत ज्यादा व्यापार घाटा है और वो इसे कम कर चाहते हैं। ट्रम्प सरकार का ध्यान अमेरिका की आर्थिक तरक्की पर ज्यादा है।

ट्रम्प की पार्टी नहीं चाहती कि रूस कमजोर हो

अंतरराष्ट्रीय संबंधों के एक्सपर्ट कमर आगा का कहना है कि अमेरिका यह जान चुका है कि यूक्रेन जंग जीत नहीं सकता है। ट्रम्प बिजनेसमैन हैं, ऐसे में उनका मानना है कि क्यों बेकार में पैसा खर्च किया जाए। अमेरिका ने यह सोचकर यूक्रेन का सपोर्ट किया था कि रूस तीन चार हफ्ते में पूरी तरह कमजोर हो जाएगा, या फिर पुतिन के खिलाफ विद्रोह हो जाएगा।

अमेरिका का मानना था कि रूस के कमजोर होते ही अमेरिकी कंपनियां वहां निवेश करके फायदा उठा सकती हैं। अब पुतिन खुद अमेरिका को रूस में निवेश करने का न्योता दे रहे हैं।

ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी नहीं चाहती है कि रूस बहुत ज्यादा कमजोर हो क्योंकि इससे यूरोप की अमेरिका पर निर्भरता कम हो जाएगी। इसके अलावा अमेरिका की यह भी रणनीति रही है कि चीन और रूस के गठजोड़ को कमजोर करना है।

अमेरिका यह भी चाहता है कि अगर ईरान पर हमला किया जाता है तो रूस उसे मिलिट्री या लॉजिस्टिक सपोर्ट न दे।

अनुमान की वजह: राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हाल ही में अमेरिकी कंपनियों को रूस के साथ बिजनेस डील का ऑफर दिया है। पुतिन का कहना है कि अमेरिकी कंपनियां चाहें तो रूस के कब्जे वाले यूक्रेनी इलाके में खनिज संसाधनों के खनन में मदद कर सकती हैं। इसके साथ ही उन्होंने रूस के साइबेरिया वाले इलाके में भी खनन का ऑफर दिया।

पुतिन ने कहा कि रूस के पास यूक्रेन की तुलना में कई गुना ज्यादा रेयर अर्थ मटेरियल हैं। रूस यहां मौजूद खदानों को डेवलप करने के लिए अमेरिका के साथ मिलकर काम करने को तैयार है।

यूक्रेन का लगभग 20% हिस्सा रूस के कंट्रोल में है। रूसी राष्ट्रपति पुतिन यूक्रेन के चार पूर्वी प्रांत डोनेट्स्क, लुहांस्क, जापोरिज्जिया और खेरसॉन को रूस में शामिल कर चुके हैं। यूक्रेन का कहना है कि इस इलाके में 350 अरब डॉलर कीमत के दुर्लभ खनिज हैं।

यूक्रेन का लगभग 20% हिस्सा रूस के कंट्रोल में है। रूसी राष्ट्रपति पुतिन यूक्रेन के चार पूर्वी प्रांत डोनेट्स्क, लुहांस्क, जापोरिज्जिया और खेरसॉन को रूस में शामिल कर चुके हैं। यूक्रेन का कहना है कि इस इलाके में 350 अरब डॉलर कीमत के दुर्लभ खनिज हैं।

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