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अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प अपने दूसरे कार्यकाल में आज पहली बार न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र (UN) की बैठक को संबोधित करेंगे। यह भाषण 8:20 बजे शुरू होगा। व्हाइट हाउस के मुताबिक, अपने भाषण में वैश्विक संगठनों की आलोचना करेंगे और बताएंगे कि ये संगठन कैसे ग्लोबल ऑर्डर को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
भाषण के बाद ट्रम्प UN महासचिव एंटोनियो गुटेरेस और यूक्रेन, अर्जेंटीना, यूरोपीय यूनियन (EU) के नेताओं से अलग-अलग मिलेंगे। इसके अलावा, वे कतर, सऊदी अरब, इंडोनेशिया, तुर्किये, पाकिस्तान, मिस्र, UAE और जॉर्डन के नेताओं के साथ एक बड़ी बैठक करेंगे।
अमेरिका चाहता है कि अरब और मुस्लिम देश गाजा में अपनी सेना भेजें ताकि इजराइल वहां से अपनी सेना हटा सके। साथ ही, युद्ध से बर्बाद गाजा को दोबारा बनाने के लिए पैसा भी दे। इस बैठक में गाजा में युद्ध के बाद वहां की सरकार को हमास के बिना कैसे चलाया जाए, इस पर भी बात होगी।

इजराइल ने 9 सितंबर को कतर की राजधानी दोहा में हमास की वार्ता पर टीम हमला किया था, जिसमें 6 लोग मारे गए थे।
ट्रम्प इन 6 अहम मुद्दों पर बोल सकते हैं
- वैश्विक संगठनों की आलोचना- कैसे ये संगठन ग्लोबल ऑर्डर को कमजोर कर रहे हैं।
- अमेरिकी ताकत- वे अमेरिका की विदेश नीति और उपलब्धियों पर जोर दे सकते हैं।
- गाजा युद्ध- गाजा में शांति और हमास के बिना वहां की सरकार के ढांचे पर बात कर सकते हैं।
- यूक्रेन-रूस युद्ध- इस युद्ध को खत्म करने की अपनी कोशिशों का जिक्र कर सकते हैं।
- नोबेल शांति पुरस्कार- दुनिया भर में युद्ध रोकने की बात करके नोबेल की मांग कर सकते हैं।
- आर्थिक नीतियां- टैरिफ और व्यापार नीतियों पर बात कर सकते हैं।
बैठक में फिलिस्तीनी सरकार के प्रतिनिधि शामिल नहीं होंगे
ट्रम्प का यह भाषण ऐसे समय पर होने वाला है, जब फ्रांस, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे उसके कई प्रमुख सहयोगी फिलिस्तीन को देश की मान्यता दे चुके हैं। जबकि अमेरिकी इससे साफ इनकार कर चुका है।
आज की बैठक में फिलिस्तीनी सरकार के राष्ट्रपति महमूद अब्बास और ज्यादातर फिलिस्तीनी अधिकारी शामिल नहीं होंगे।
पिछले महीने अमेरिका ने फिलिस्तीनी सरकार और फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन (PLO) के लगभग 80 प्रतिनिधियों के वीजा रद्द कर दिए हैं। अमेरिका का कहना है कि फिलिस्तीनी सरकार ने अपने वादे पूरे नहीं किए और शांति की कोशिशों को नुकसान पहुंचाया है।
फिलिस्तीन को UN में वोट देने का अधिकार नहीं
फिलिस्तीन UN में सिर्फ ऑब्जर्वर है, उसे वोट देने का अधिकार नहीं है, लेकिन वह बैठक में बोल सकता है। महमूद अब्बास को इस बार UN को संबोधित करना था, लेकिन अब वे वीडियो के जरिए बोलेंगे।
फिलिस्तीनी सरकार ने कहा कि अमेरिका का ये कदम गलत है, क्योंकि UN की मेजबानी करने वाले देश को सभी डिप्लोमैट्स को आने की इजाजत देनी चाहिए। अमेरिका का कहना है कि वह सुरक्षा कारणों से किसी को भी रोक सकता है।
1988 में भी अमेरिका ने PLO के तत्कालीन नेता यासर अराफात को वीजा नहीं दिया था। तब UN ने अपनी बैठक न्यूयॉर्क से शिफ्ट करके जेनेवा में की थी।
जो फिलिस्तीनी अधिकारी पहले से न्यूयॉर्क में हैं, वे बैठक में जा सकते हैं। इनमें रियाद एच मंसूर शामिल हैं, जो फिलिस्तीन के UN में स्थायी पर्यवेक्षक हैं। वे कल वहां थे, जब फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता दी।
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ट्रम्प दूसरे कार्यकाल में पहली बार UN को संबोधित करेंगे: पाकिस्तान-कतर समेत 8 देशों के नेताओं से भी मिलेंगे, गाजा दोबारा बसाने पर बातचीत होगी

