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ट्रम्प के 40% टैरिफ लगाने पर म्यांमार ने खुशी जताई: सैन्य नेता बोले- यह हमारे लिए सम्मान की बात, ट्रम्प के लीडरशिप की तारीफ की Today World News

ट्रम्प के 40% टैरिफ लगाने पर म्यांमार ने खुशी जताई:  सैन्य नेता बोले- यह हमारे लिए सम्मान की बात, ट्रम्प के लीडरशिप की तारीफ की Today World News

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नेपीदॉ13 मिनट पहले

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ट्रम्प ने म्यांमार पर भी 40% टैरिफ लगा दिया है लेकिन फिर भी वहां के नेता इसे अपने लिए अच्छी खबर मान रहे हैं। म्यांमार के सैन्य प्रमुख मिन आंग ह्लाइंग ने ट्रम्प के टैरिफ लेटर को अपनी सैन्य सरकार के लिए इसे एक मान्यता के तौर पर देख रहे हैं।

मिन आंग ह्लाइंग ने ट्रम्प के लेटर के जवाब में अंग्रेजी और बर्मी भाषाओं में एक लंबी चिट्ठी जारी की है। चिट्ठी में ह्लाइंग ने ट्रम्प की लीडरशिप की तारीफ की है और सैन्य सरकार के सत्ता कब्जाने को सही ठहराया है।

उन्होंने कहा कि ‘जैसे साल 2020 में अमेरिका में चुनाव में गड़बड़ी हुई थी, ठीक वैसे ही म्यांमार में भी चुनावी धोखाधड़ी हुई थी।’

सीनियर जनरल मिन आंग ह्लाइंग 27 मार्च को म्यांमार की राजधानी नायप्यीटॉ में देश के सशस्त्र सेना दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह में पहुंचे।

सीनियर जनरल मिन आंग ह्लाइंग 27 मार्च को म्यांमार की राजधानी नायप्यीटॉ में देश के सशस्त्र सेना दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह में पहुंचे।

म्यांमार ने ट्रम्प से प्रतिबंधों को हटाने की अपील की

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पिछले कुछ दिनों से दुनिया के कई नेताओं को पत्र भेजकर उनके देशों के निर्यात पर टैरिफ बढ़ाने की चेतावनी दे रहे हैं। ट्रम्प के इस कदम से दुनिया के ज्यादातर देश परेशान हैं। लेकिन म्यांमार इसे एक मौके के रूप में देख रहा है।

म्यांमार के सैन्य प्रमुख ह्लाइंग ने इसका फायदा उठाते हुए ट्रम्प से अपील की है कि वे म्यांमार पर लगे प्रतिबंधों को हटाएं या कम करें, क्योंकि इससे दोनों देशों के हितों में दिक्कतें आती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जरूरत पड़ी तो म्यांमार जल्द ही अमेरिका से बातचीत के लिए उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भेज सकता है।

ट्रम्प की नीतियों की तारीफ करते हुए ह्लाइंग ने रेडियो फ्री एशिया और वॉयस ऑफ अमेरिका जैसे स्वतंत्र मीडिया संस्थानों की फंडिंग में कटौती करने के फैसले की तारीफ की। उन्होंने कहा कि ये मीडिया संस्थान ‘संघर्षों को और बढ़ा देते थे।’

रेडियो फ्री एशिया और वॉयस ऑफ अमेरिका ने अब म्यांमार में बर्मी भाषा में प्रसारण बंद कर दिए हैं, क्योंकि ट्रम्प प्रशासन ने उनके लिए मिलने वाली सहायता रोक दी थी। अब इस पूरे घटनाक्रम में ट्रम्प का लेटर सैन्य शासन के लिए कूटनीतिक जीत की तरह प्रस्तुत किया जा रहा है।

अमेरिकी न्यूज चैनल CNN ने अमेरिकी दूतावास से इस पत्र को लेकर सफाई मांगी है कि क्या यह ट्रम्प प्रशासन की ओर से नीतिगत बदलाव का संकेत है, लेकिन अभी तक कोई आधिकारिक जवाब नहीं मिला है।

म्यांमार में 2021 में तख्तापलट हुआ

म्यांमार में 1 फरवरी 2021 को तख्तापलट हुआ था। इसके बाद देशभर में कई दिनों तक प्रदर्शन हुए थे।

म्यांमार में 1 फरवरी 2021 को तख्तापलट हुआ था। इसके बाद देशभर में कई दिनों तक प्रदर्शन हुए थे।

गौरतलब है कि म्यांमार की सेना ने साल 2021 में आंग सान सू की की चुनी हुई सरकार को हटाकर देश पर कब्जा कर लिया था, जिससे म्यांमार गृहयुद्ध में फंस गया। इसके बाद अमेरिका ने म्यांमार के कई सैन्य नेताओं पर प्रतिबंध लगा दिए थे।

मिन आंग ह्लाइंग ने 2021 में लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई आंग सान सू की की सरकार को हटाकर तख्तापलट किया था। अमेरिका और बाकी पश्चिमी देशों ने सैन्य सरकार को मान्यता नहीं दी है।

अमेरिका, यूरोपीय यूनियन और ब्रिटेन ने म्यांमार के सैन्य नेताओं पर प्रतिबंध लगा रखा है। संयुक्त राष्ट्र ने भी इन्हें युद्ध अपराधों का दोषी मानता है। हालांकि ट्रम्प के टैरिफ लेटर के बाद अमेरिका और पश्चिमी देशों की नीति में बदलाव की अटकलें लगने लगी हैं।

2021 से म्यांमार में गृहयुद्ध जारी

म्यांमार में गृहयुद्ध की शुरुआत 1 फरवरी, 2021 को हुए सैन्य तख्तापलट से हुई, जब सेना ने नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (NLD) की निर्वाचित सरकार को उखाड़ फेंका और आंग सान सू की सरकार के नेताओं को हिरासत में लिया।

2020 के चुनावों में NLD की जीत को सेना ने धोखाधड़ी करार दिया, जिसके बाद व्यापक विरोध प्रदर्शन शुरू हुए। सेना के हिंसक दमन ने प्रतिरोध को जन्म दिया, जिसमें नेशनल यूनिटी गवर्नमेंट (NUG) और उसकी पीपल्स डिफेंस फोर्स (PDF) के साथ कई जातीय सशस्त्र संगठन (EAOs) शामिल हैं।

गृहयुद्ध में अब तक 75 हजार लोगों की मौत

यह गृहयुद्ध म्यांमार में मानवीय संकट लेकर आया। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 17.6 मिलियन लोगों को सहायता की जरूरत है, 3 मिलियन से अधिक विस्थापित हुए हैं, और 75 हजार से अधिक लोग मारे गए हैं।

सेना पर गांवों को जलाने, हवाई हमले करने और युद्ध अपराधों का आरोप है, जिसने रोहिंग्या समुदाय को भी प्रभावित किया है। म्यांमार में गृहयुद्ध से अर्थव्यवस्था 18% कम हो गई, जिससे भुखमरी और गरीबी बढ़ी है।

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