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टॉप-10-कंपनियों में से 6 की मार्केट-वैल्यू ₹1.18 लाख करोड़ बढ़ी: TCS टॉप गेनर रही; इसका मार्केट कैप ₹53,692 करोड़ बढ़कर ₹12.47 लाख करोड़ हुआ Business News & Hub

टॉप-10-कंपनियों में से 6 की मार्केट-वैल्यू ₹1.18 लाख करोड़ बढ़ी:  TCS टॉप गेनर रही; इसका मार्केट कैप ₹53,692 करोड़ बढ़कर ₹12.47 लाख करोड़ हुआ Business News & Hub

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नई दिल्ली8 घंटे पहले

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पिछले हफ्ते के कारोबार में देश की टॉप-10 कंपनियों में से 6 का कंबाइन मार्केट कैपिटलाइजेशन 1.18 लाख करोड़ रुपए बढ़ा है। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज यानी TCS को पिछले हफ्ते सबसे ज्यादा फायदा हुआ है। इसका मार्केट कैप ₹53,692 करोड़ बढ़कर ₹12.47 लाख करोड़ पहुंच गया है।

TCS के अलावा रिलायंस इंडस्ट्रीज, इंफोसिस और SBI का मार्केट कैप बढ़ा है। रिलायंस का मार्केट कैप ₹34,507 करोड़ बढ़कर ₹17.59 लाख करोड़ पहुंच गया है। इंफोसिस का मार्केट कैप ₹24,919 करोड़ बढ़कर ₹6.14 लाख करोड़ और HDFC बैंक का मार्केट कैप ₹2,907 करोड़ बढ़कर ₹14.61 लाख करोड़ रुपए हो गया है।

SBI का मार्केट कैप ₹1,472 करोड़ बढ़कर ₹7.12 लाख करोड़ और ITC का मार्केट कैप ₹1,126 करोड़ बढ़कर ₹5.35 लाख करोड़ रुपए हो गया है। वहीं भारतीय एयरटेल, हिंदुस्तान यूनिलीवर, बजाज फाइनेंस और ICICI बैंक की मार्केट वैल्यू घटी है।

पिछले हफ्ते सेंसेक्स 659 अंक चढ़ा था

पिछले हफ्ते सेंसेक्स 659.33 अंक यानी 0.83% चढ़ा। निफ्टी में भी बीते सप्ताह 187.7 (0.78%) की तेजी रही थी। वहीं हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार (23 अप्रैल) को सेंसेक्स 589 अंक या 0.74% गिरकर 79,212 के स्तर पर बंद हुआ। निफ्टी में भी 207 अंक या 0.86% की गिरावट रही, ये 24,039 के स्तर पर बंद हुआ था।

मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है?

मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर, जो फिलहाल उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, की वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की टोटस नंबर को स्टॉक की प्राइस से गुणा करके किया जाता है।

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मार्केट कैप का इस्तेमाल कंपनियों के शेयरों को कैटेगराइज करने के लिए किया जाता है ताकि निवेशकों को उनके रिस्क प्रोफाइल के अनुसार उन्हें चुनने में मदद मिले। जैसे लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियां।

मार्केट कैप = (आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या) x (शेयरों की कीमत)

मार्केट कैप कैसे काम आता है?

किसी कंपनी के शेयर में मुनाफा मिलेगा या नहीं इसका अनुमान कई फैक्टर्स को देख कर लगाया जाता है। इनमें से एक फैक्टर मार्केट कैप भी होता है। निवेशक मार्केट कैप को देखकर पता लगा सकते हैं कि कंपनी कितनी बड़ी है।

कंपनी का मार्केट कैप जितना ज्यादा होता है उसे उतनी ही अच्छी कंपनी माना जाता है। डिमांड और सप्लाई के अनुसार स्टॉक की कीमतें बढ़ती और घटती है। इसलिए मार्केट कैप उस कंपनी की पब्लिक पर्सीवड वैल्यू होती है।

मार्केट कैप कैसे घटता-बढ़ता है?

मार्केट कैप के फॉर्मूले से साफ है कि कंपनी की जारी शेयरों की कुल संख्या को स्टॉक की कीमत से गुणा करके इसे निकाला जाता है। यानी अगर शेयर का भाव बढ़ेगा तो मार्केट कैप भी बढ़ेगा और शेयर का भाव घटेगा तो मार्केट कैप भी घटेगा।

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