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बदलते वक्त के साथ जहां तकनीक ने इंसान की ज़िंदगी को आसान बनाया है, वहीं इसने परिवारों के बीच की दूरी भी बढ़ा दी है। इसका सबसे बड़ा असर बच्चों की परवरिश पर पड़ रहा है। शुक्रवार को सेक्टर-14 में स्वर्ण शक्ति नारी मंडल के साथ अमर उजाला फाउंडेशन के तहत आयोजित अपराजिता कार्यक्रम में “परवरिश” विषय पर चर्चा हुई, जिसमें महिलाओं ने आज के बच्चों की बदलती आदतों, व्यवहार और मोबाइल की बढ़ती लत पर चिंता जताई। आशीष लावट ने कहा कि आज बच्चे ज़िद्दी और असंवेदनशील होते जा रहे हैं, और इसका सबसे बड़ा कारण खुद अभिभावक हैं जो उन्हें समय नहीं दे पा रहे।
पूजा आशीष लावट ने कहा कि बच्चे आज इतने ज़िद्दी इसलिए हो गए हैं क्योंकि हमने ही उन्हें ऐसा बना दिया है। माता-पिता बच्चों को व्यस्त रखने के लिए खिलौनों की जगह फोन थमा देते हैं। पैसे देकर उनकी ख्वाहिशें पूरी कर रहे हैं, लेकिन असल में हम उनकी आदतें बिगाड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि पहले बच्चे जो कुछ सीखते थे, वो अपने घर के बड़ों से, कहानियों और अनुभवों से सीखते थे। आज वही बच्चे फोन की स्क्रीन से सब कुछ सीख रहे हैं, जिससे उनके संस्कार और संवेदनाएं प्रभावित हो रही हैं।
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टेक्नोलॉजी की परवरिश ने छीनी बचपन की मासूमियत