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Bollywood Superhit Movies with Iconic Songs : बॉलीवुड में अब भव्य सेट पर गाने फिल्माए जाते हैं. करोड़ों की लागत से इन फिल्मों का सेट तैयार किया जाता है. एक समय ऐसा भी था जब सेट से ज्यादा गानों के बोल-धुन और यूनिक स्टेप्स पर फिल्म मेकर्स बहुत ध्यान देते थे. कोरियाग्राफर ऐसे डांस स्टेप्स तैयार करते थे जो थिएटर से बाहर आने के बाद भी दर्शक के जेहन से निकलते नहीं थे. कई दर्शक तो उन गानों के स्टेप्स देखने के ही फिल्म दोबारा देखते थे. हिंदी सिनेमा के इतिहास में तीन मौके ऐसे भी आए हैं जब टूटे-फूटे सेट पर गाने फिल्माए गए. तीनों ही सॉन्ग आइकॉनिक बन गए. ये गाने तब फिल्माए जब सेट का आधे से ज्यादा हिस्सा टूट चुका था. दिलचस्प बात यह है कि तीनों ही गाने आइकॉनिक बन गए. दर्शकों के दिल-दिमाग पर अपनी अमिट छाप छोड़ गए. तीनों ही फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर इतिहास रच दिया. ये आइकॉनिक सॉन्ग कौन से थे और ये फिल्में कौन सी थीं, आइये जानते हैं……..
वैसे तो भव्य सेट पर ही हर डायरेक्टर-प्रोड्यूसर गाने फिल्माने की इच्छा रखते हैं. कई बार यह इच्छा पूरी हो पाती है और कई बार अधूरी रह जाती है. कई बार डेडलाइन की मजबूरी के चलते सेट तोड़ना पड़ता है. ऐसे में फिल्मों के कई सीन-गाने उसी हाल में फिल्माने पड़ते हैं. बॉलीवुड में तीन मौकों पर ऐसा ही नजारा देखने को मिला. टूटे-फूटे सेट पर गाने फिल्माए गए. ये तीनों ही गाने आइकॉनिक बन गए. तीनों ही फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट रहीं. ये तीन फिल्में थीं : डॉन, नगीना और तेजाब. ये तीनों ही फिल्में 10 साल के अंतराल में पर्दे पर आई थीं. आइये जानते हैं इन तीनों फिल्मों के उन आइकॉनिक सॉन्ग को जिन्हें टूटे-फूटे सेट पर फिल्माया गया था.

सबसे पहले बात करते हैं 12 मई 1978 को रिलीज हुई अमिताभ बच्चन-जीनत अमान स्टारर फिल्म ‘डॉन’ की. ‘डॉन’ फिल्म का एक गाना ‘खइके पान बनारस वाला’ आइकॉनिक सॉन्ग माना जाता है. डायरेक्टर चंद्रा बरोट का हाथ तंग था. ऐसे में उन्होंने इस गाने को एक तबेले में शूट किया. गीतकार समीर के पिता अनजान ने यह गाना लिखा था. अनजान बनारस के ही रहने वाले थे. इस गाने में तबेला-भैंस-गोबर सब नजर आता है. दर्शकों कभी इस गाने के पीछे को असलियत को नहीं समझ पाए. गीतकार समीर ने अपने एक इंटरव्यू में पूरा किस्सा सुनाया था. समीर ने कहा था, ‘यह गाना तो फिल्म में होना ही नहीं था. आज भी जब अमिताभ बच्चन का नाम आता है तो मेरे पिता का नाम आता है. मैं किशोर कुमार को देखने के लिए स्टूडियो पर गया था. लुंगी और पैर में चप्पल डाले आए थे. उन्होंने ‘भंग का रंग जमा हो चकाचक’ शेर सुनते ही कलम रख दी थी. कहा था कि ‘चकाचक’ क्या है? शेर खत्म हुआ और मुखड़ा आया ‘खइके पान बनारस वाला’. इस पर उन्होंने कहा कि वो खाके गाएंगे. मेरे पिता ने उन्हें मतलब समझाया. पैसे ना होने की वजह से यह गाना तबेले में फिल्माया गया था.’

डॉन फिल्म का निर्देशन चंद्रा बरोट ने किया था. फिल्म के प्रोड्यूसर नरीमन ईरानी थे. स्टोरी सलीम-जावेद ने लिखी थी. म्यूजिक कल्याण जी-आनंद जी का था. डॉन फिल्म में प्राण, इफ्तिखार, ओम शिवपुरी, सत्येन कप्पू, कमल कपूर, हेलेन, एमबी शेट्टी, मैकमोहन, युसूफ खान और पिंचू कपूर अहम भूमिकाओं में नजर आए थे. इस फिल्म के बनने की कहानी मनोज कुमार की फिल्म ‘रोटी कपड़ा और मकान’ से शुरू हुई थी. इस फिल्म के प्रोड्यूसर नरीमन ईरानी 70 के दशक के बड़े कैमरामैन थे. उन्होंने 1972 में सुनील दत्त-वहीदा रहमान के साथ एक फिल्म ‘जिंदगी-जिंदगी’ बनाई थी. यह फिल्म फ्लॉप रही. ईरानी पर 12 लाख का कर्जा हो गया.
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‘रोटी कपड़ा और मकान’ के सेट पर अमिताभ बच्चन-जीनत अमान और प्राण ने उन्हें एक और फिल्म बनाने का सुझाव दिया. साथ ही उनकी अगली फिल्म में फ्री में काम करने का भी वादा किया. नरीमन ईरानी स्क्रिप्ट राइटर जोड़ी सलीम-जावेद के पास पहुंचे. ‘डॉन’ फिल्म की रिजेक्टेड स्क्रिप्ट पर काम शुरू किया. डायरेक्शन का जिम्मा चंद्रा बरोट ने लिया. फिल्म की शूटिंग 1974 में शुरू हुई. जब फिल्म आधी शूट हुई तब नरीमन ईरानी का सेट पर एक्सीडेंट हो जाने से निधन हो गया. डायरेक्टर चंद्रा बरोट ने फिल्म को पूरा करने के लिए अपनी बहन से 40 हजार का कर्जा लिया. डॉन फिल्म ने 7.2 करोड़ का वर्ल्डवाइड कलेक्शन किया था. यह एक सुपरहित मूवी साबित हुई थी. नरीमन के परिवार का पूरा कर्जा चुक गया था. यह बात अलग है वो फिल्म की सफलता देखने के लिए इस दुनिया में नहीं थे.

आइकॉनिक सॉन्ग वाली एक और फिल्म 28 नवंबर 1986 को सिनेमाघरों में आई थी. नाम था : नागिन जिसका डायरेक्शन-प्रोडक्शन हर्मेश मल्होत्रा ने किया था. कहानी जगमोहन कपूर और स्क्रीनप्ले रवि कपूर ने लिखा था. नगीना में श्री देवी, ऋषि कपूर, अमरीश पुरी, प्रेम चोपड़ा लीड रोल में थे. फिल्म ने श्रीदेवी के करियर को एक नई ऊंचाई दी. नगीना फिल्म में म्यूजिक लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल का था. फिल्म का सबसे पॉप्युलर गाना ‘मैं तेरी दुश्मन, दुश्मन तू मेरा’ था. यह गाना हिंदी सिनेमा के आइकॉनिक सॉन्ग में शुमार है. यह सॉन्ग आज भी शादी-विवाह-पार्टी-फंक्शन में डीजे पर सुनाई दे जाता है. मजेदार बात यह भी है कि जब फिल्म का सेट तोड़ा जा रहा था, तो सिर्फ एक दीवार बची थी. उसी समय यह गाना फिल्माया गया था. इस आइकॉनिक सॉन्ग को अगर आप गौर से देखेंगे तो पाएंगे कि श्रीदेवी का पूरा पोर्शन एक छोटी सी जगह पर फिल्माया गया है. सबसे ज्यादा दिलचस्प बात यह है कि यह सॉन्ग 1983 में अफगानिस्तान में आई एक फिल्म की फॉक ट्यून से इंस्पायर्ड था. अफगानिस्तान के संगीतकार बहाउद्दीन ने तंबूर पर यह धुन बजाई थी. तबले पर उनके साथ गुलाम सफी थे.

गद्दार, पत्थर और पायल जैसी फिल्में बनाने वाले डायरेक्टर हर्मेश मल्होत्रा ने अपना करियर 1969 में ‘बेटी’ फिल्म से शुरू किया था. शत्रुघ्न सिन्हा और श्रीदेवी स्टारर उनकी एक फिल्म ‘शेरनी’ बीच में बंद हो गई थी. इसके प्रोड्यूसर शत्रुघ्न सिन्हा के सेक्रेटरी पवन कुमार थे. इसी बीच ‘नगीना’ की स्क्रिप्ट हर्मेश मल्होत्रा के हाथ लगी. श्री देवी की मां पहली ही नजर में समझ गई थीं कि फिल्म की नायिका प्रधान थी. उन्होंने श्रीदेवी की दिल से यह फिल्म करने की सलाह दी. ऋषि कपूर-श्री देवी के साथ की यह पहली फिल्म थी. श्री देवी सेट पर किसी से ज्यादा बात नहीं करती थीं. उन दिनों वो हिंदी भी नहीं जानती थीं. 2 करोड़ के बजट में बनी नगीना ने करीब 13 करोड़ का वर्ल्डवाइड कलेक्शन किया था. यह एक सुपरहिट फिल्म साबित हुई थी.

इस लिस्ट में तीसरा नाम 1986 में आई डायरेक्टर एन. चंद्रा की फिल्म ‘तेजाब’ का है. एन. चंद्रा ने यह फिल्म 1984 में आई एक अमेरिकन मूवी’स्ट्रीट्स ऑफ फायर’ से इंस्पायर्ड होकर बनाई थी. 11 नवंबर 1988 को रिलीज ‘तेजाब’ फिल्म के आइकॉनिक सॉन्ग ‘एक-दो-तीन’ ने इतिहास रच दिया था. इस गाने ने माधुरी दीक्षित को रातोंरात स्टार बना दिया. गाने को अलका याज्ञनिक ने बहुत ही खूबसूरत अंदाज में गाया था. गाना लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने तैयार किया था. मजेदार बात यह है कि यह आइकॉनिक सॉन्ग भी टूटे-फूटे सेट पर फिल्माया गया था.

हाल ही में रेडियो नशा को दिए एक इंटरव्यू माधुरी दीक्षित ने यह दिलचस्प खुलासा किया है. उन्होंने बताया, ‘यह गाना जब रिकॉर्ड हुआ और हमने सुना तो अच्छा नहीं लगा. सिर्फ नंबर थे. जब पूरा गाना सुना तो समझ आया कि कैसे जावेद अख्तर ने लिखे हैं. लड़की प्रेमी के इंतजार में दिन गिन रही है. सरोज खान ने कहा था कि पहली बार बॉलीवुड डांस करना पड़ेगा. मैं सेट पर पहुंची. पूरे दिन रिहर्सल चलता रहा. कस्ट्यूम तो लास्ट मिनट पर आई थी. शूटिंग का अंतिम दिन था. सेट तोड़ा जाने लगा था. मैं रात को 3 बजे डायरेक्टर एन. चंद्रा से कहा कि बहुत थक गई हूं. सेट का 80 फीसदी हिस्सा टूट चुका था. रात 4 बजे से सुबह 10 बजे तक शूटिंग चली. जो रैंप वॉकिंग दिखाई देती है, वही बची थी. ऐसे वो आइकॉनिक सॉन्ग बना.’

‘एक-दो-तीन’ गाने से जुड़ा एक किस्सा और भी दिलचस्प है. दूरदर्शन शेषाद्रि को दिए इंटरव्यू में चंकी पांडेय ने बताया था कि वो संगीतकार लक्ष्मीकांत की पत्नी का बर्थडे में शामिल होने के लिए फिल्मकार पहलाज निहलानी के साथ पहुंचे थे. लक्ष्मीकांत उन दिनों तेजाब के लिए म्यूजिक तैयार कर रहे थे. उन्होंने एक फेमस मराठी सॉन्ग ‘पोपट माझा हाय, मीठू मीठू बोले हाय…’ का हिंदी वर्जन ‘तेजाब’ के लिए तैयार किया था. हमने उन्हें बताया कि इस मराठी गाने का हिंदी वर्जन ‘पाप की दुनिया’ में संगीतकार बप्पी लहरी बना चुके हैं. इतना सुनते ही लक्ष्मीकांत उदास हो गए. फिर उन्होंने नई धुन बनाई. गाने के डमी बोल ‘एक दो तीन….’ बोले थे. जावेद अख्तर ने इसी पर गाना लिख दिया था. इसी गाने ने माधुरी दीक्षित की किस्मत रातोंरात चमका दी.
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टूटे सेट पर फिल्माए 3 गाने, तीनों बन गए आइकॉनिक सॉन्ग, तीनों फिल्में निकलीं सुपरहिट, तरसता रहा मन


