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डॉ. रामजीलाल जयमल – फोटो : संवाद
विस्तार
20 साल पहले सिरसा में सरकारी स्कूल से सटी हड्डारोड़ी को फूलों के पार्क में तब्दील कर देने वाले डॉ. रामजीलाल जयमल आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। पौधरोपण के प्रति लोगों को जागरूक करने और निशुल्क पौधे वितरित करने के जुनून के कारण लोग उन्हें फ्लावरमैन के नाम से जानते हैं। रामजीलाल देश-प्रदेश में अब तक करोड़ों पौधे वितरित कर चुके हैं। देशभर में उनकी 928 नर्सरियां चल रही हैं। शुक्रवार को ट्रैक्टर ट्रेनिंग सेंटर में पौधे वितरण कार्यक्रम में पहुंचे रामजीलाल ने अपना सफरनामा साझा किया।
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सिरसा के दड़बी गांव में एक कच्चे घर में जन्मे डॉ. रामजीलाल जयमल ने फूलों से ऐसी खुशबू बिखेरी कि उनका नाम अंतरराष्ट्रीय फलक पर चमक उठा। कचरे ढेरों को हटाकर फूलों से उन्होंने न जाने कितनी जगहों को महकाया है। इस दौरान उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा, लेकिन हार नहीं मानी। उनके जीवन पर आधारित डॉक्यूमेंट्री ‘बिफोर आई डाई’ यानी इससे पहले कि मैं मर जाऊं भी बनी है।
2004 से की शुरुआत
डॉ. रामजीलाल ने बताया कि उन्होंने अपने सामाजिक मिशन की शुरुआत 2004 में की थी। उस समय सिरसा में सरकारी स्कूल के पास लोगों ने हड्डारोड़ी बना ली थी। स्कूल की दीवार के साथ मरे हुए पशु डाले जाने लगे। विद्यार्थियों को भयंकर बदबू व गंदगी से परेशानी होने लगी। इस देखकर मैंने हड्डारोड़ी की जगह पौधे लगाने शुरू किए, लेकिन लोगों ने उन्हें काट दिया और फिर से मृत पशु डालने लगे। गंदगी के कारण स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या घट गई। कुछ समय बाद स्कूल बंद हो गया। इसके बाद तो लोग और अधिक गंदगी फैलाने लगे, लेकिन मैंने हार नहीं मानी। मैं पौधे लगाता रहा और लोगों से सहयोग की अपील करता रहा। आखिर इसमें कामयाबी मिली। लोग जागरूक हुए। उनका साथ मिला और हड्डारोड़ी को खूबसूरत पार्क बना दिया।
20 हजार पौधों के साथ की शुरुआत
फ्लावरमैन रामजीलाल ने बताया कि मैंने वातावरण की शुद्धता को ही अपना मिशन बना लिया था। अपने स्तर पर फूलों के पौधे तैयार कर सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से सार्वजनिक स्थलों का कायाकल्प करने का बीड़ा उठाया। इसकी शुरुआत 2004 से 20 हजार पौधों से की। इसके बाद से अब तक करोड़ों पौध तैयार कर बांट चुका हूं। वर्ष 2000 में सबसे पहले हरियाणा स्टेट यूथ अवॉर्ड मिला। इसके बाद असम राइफल्स की 21वीं व 26वीं बटालियन और गोरखा रेजीमेंट से भी अवॉर्ड मिल चुका है। वर्ष 2023 में हरियाणा पुलिस भी सम्मानित कर चुकी है।
आपसी एनजीओ के मुखिया ने दिया फ्लावरमैन का नाम
डॉ. रामजीलाल ने बताया कि पौधे लगाने के काम को देखते हुए सबसे पहले आपसी एनजीओ के मुखिया सुनील कुमार ने उन्हें फ्लावरमैन कहकर पुकारा था। इसके बाद से यही नाम उनकी पहचान बन गया।
पूरे देश में 928 नर्सरियां चल रहीं
पूरे देश में 928 नर्सरियां चल रही हैं, जिनमें फूलों के पौधे तैयार किए जाते हैं और लोगों को निशुल्क दिए जाते हैं। मेरा लक्ष्य पर्यावरण संरक्षण के साथ ही फूलों से हर घर को महकाना है। अब तक देश-प्रदेश में करोड़ों पौधे वितरित किए जा चुके हैं। पौधे गांव और शहरों के स्कूलों, पार्कों, सार्वजनिक स्थलों और श्मशान घाटों में रोपित करवाए जाते हैं। – डॉ. रामजीलाल, फ्लावरमैन
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जुनून ऐसा भी: फ्लावरमैन बन फूलों से फिजा महका रहे डॉ. रामजीलाल जयमल, हिसार में पौधे वितरण कार्यक्रम में पहुंचे