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श्रीमद्भागवत कथा में मौजूद महंत चरणदास महाराज, करुणा गिरी महाराज व अन्य।
भिवानी। अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव के लिए युवा जागृति एवं जनकल्याण मिशन ट्रस्ट की ओर से 51 दिवसीय कार्यक्रमों की कड़ी में हनुमान ढाणी स्थित हनुमान जोहड़ी मंदिर में श्रीमद्भागवत कथा गीता ज्ञान यज्ञ चौथे दिन भी जारी रही। बुधवार को कथा वाचिका साध्वी महामंडलेश्वर करुणा गिरि महाराज ने कृष्ण जन्म की कथा का वर्णन किया।
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कथा वाचिका ने कहा कि भागवत कथा जीवन को सार्थक बनाने का मार्ग है। भगवान कृष्ण की जन्म की कथा अधर्म पर धर्म की विजय और भगवान की करुणा का प्रतीक है। भगवान कृष्ण ने अपने भक्तों का उद्धार व पृथ्वी को दैत्य शक्तियों से मुक्त करने के लिए अवतार लिया था।
उन्होंने कहा कि भागवत कथा को ज्ञान यज्ञ कहा जाता है, क्योंकि यह आत्मा और परमात्मा के ज्ञान का प्रकाश फैलाती है। यज्ञ के माध्यम से व्यक्ति अपने अहंकार, अज्ञान और अशांति का त्याग कर पवित्रता और शांति प्राप्त करता है।
उन्होंने कहा कि कथा का आयोजन ईश्वर की कृपा पाने, आत्मिक उन्नति करने और समाज में धार्मिकता का प्रचार करने का सर्वश्रेष्ठ साधन है। उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा में भक्ति, ज्ञान और वैराग्य का अद्भुत समन्वय है। यह कथा मनुष्य को सांसारिक बंधनों से मुक्ति दिलाने और ईश्वर के प्रति प्रेम और समर्पण का मार्ग दिखाती है। इस मौके पर मंदिर के महंत बालयोगी
चरणदास महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा भगवान कृष्ण के अद्वितीय लीलाओं का वर्णन करती है। जो श्रोताओं के हृदय में भक्ति और भगवान के प्रति प्रेम उत्पन्न करती है। यह कथा व्यक्ति को ईश्वर के साथ आत्मिक जुड़ाव का अनुभव कराती है। उन्होंने कहा कि भागवत कथा का श्रवण और पाठ करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है। इसे सुनने से मन, वाणी और कर्म की शुद्धि होती है। यह कलियुग में सबसे प्रभावी साधन माना गया है। उन्होंने कहा कि कथा के आयोजन से परिवार और समाज को आध्यात्मिक बल मिलता है। यह बड़ों के अनुभव और बच्चों को धार्मिक परंपराओं से जोड़ने का माध्यम बनती है।
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जीवन को सार्थक बनाने का मार्ग है भागवत कथा : करुणा गिरि