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जिले में छठ महापर्व का समापन मंगलवार सुबह रानी तालाब पर उगते सूर्य को अर्घ्य देकर धूमधाम से हुआ। सैकड़ों व्रतधारी महिलाओं और पुरुषों ने सूर्य देवता को प्रणाम किया और चार दिवसीय कठिन व्रत को संपन्न किया।
सूर्य को अर्घ्य देने के दौरान तालाब के किनारे भक्ति गीतों की गूंज और अगरबत्ती की सुगंध ने वातावरण को पवित्र बना दिया। छठ पूजा के अंतिम दिन जिसे ऊषा सूर्य को अर्घ्य कहा जाता है को लेकर व्रतधारी सुबह ही तालाब पर एकत्रित होना शुरू हो गए। हाथों में ठेकुआ, फल और पूजा की सामग्री लिए महिलाएं सूर्योदय का इंतजार करती रही। जैसे ही सूर्य की पहली किरणें क्षितिज पर उभरी तो सभी ने एक स्वर में सूर्य भगवान का जाप करते हुए अघ्र्य अर्पित किया। कई परिवारों ने बच्चों को गोद में उठा कर इस पवित्र क्षण का हिस्सा बनाया। सुनीता देवी ने बताया कि यह व्रत संतान की सुख, समृद्धि, लंबी उम्र और परिवार की खुशहाली के लिए किया जाता है। रानी तालाब पर हर साल हजारों लोग आते हैं और इस बार भी भीड़ उमड़ी है। प्रशासन की ओर से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। जिसमें पुलिस बल और गोताखोर तैनात रहे। जींद के अलावा आसपास के गांवों से भी श्रद्धालु पहुंचे। जिन्होंने रानी तालाब, हांसी ब्रांच नहर क्षेत्र को उत्सव स्थल बनाया वहीं कई श्रद्धालुओं ने पिंडारा तीर्थ पर भी भगवान सूर्य को अघ्र्य दिया।
पूर्वांचल प्रकोष्ठ के प्रधान संतोष कुमार ने बताया कि छठ पर्व की पूजा चार दिन चलती है। छठ पूजा को लेकर हांसी ब्रांच नहर पर पंडाल बनाया गया था। यहां पूजा-अर्चना कर उगते सूर्य को अघ्र्य दिया गया। प्रसाद वितरित करके सभी अपने घरों को लौट गए। श्रद्धालुओं ने बताया कि यह त्योहार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की छठी को मनाया जाता है। पति की दीर्घायु और संतान सुख की कामना के लिए व्रत रखा जाता है। उन्होंने उगते हुए सूर्य को अघ्र्य देकर व्रत को संपन्न करके सुख समृद्धि के प्रतीक सूर्य देव की कृपा धरती के सभी जीव-जंतुओं पर बनी रहे, ऐसी कामना उन्होंने की है। इस मौके पर प्रसाद का भी वितरण किया गया। घाट पर महिलाओं ने छठ मईया के गीत गाए।