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पंजाब में पाकिस्तान द्वारा किए जा रहे नापाक हमलों को लेकर पंजाब के एकमात्र श्री सिद्ध शक्तिपीठ मां त्रिपुरमालिनी की साप्ताहिक चौकी को रद्द कर दिया गया है। कोरोना काल के बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि मां की चौकी को रद्द करने का फैसला लिया गया।

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जालंधर के श्री देवी तालाब मंदिर में स्थित मां त्रिपुरमालिनी के दरबार में हर शुक्रवार को भारी मात्रा में पूरे पंजाब से लोग पहुंचते हैं और मां के दर्शन करते हैं। मगर श्री देवी तालाब कमेटी द्वारा जारी किए बयान में इसकी पुष्टि की गई है। यह पंजाब का एकमात्र शक्तिपीठ है।
पाकिस्तान के नाकामयाब हमलों को लेकर पंजाब में इस वक्त लोगों में सहम का माहौल है। जालंधर में कल यानी गुरुवार को आतंकी हमले की कोशिश की गई, मगर एक भी हमला कामयाब नहीं हो पाया। आज सुबह तीसरी बार पंजाब में हमला करने की कोशिश की गई। जिसे देखते हुए मंदिर कमेटी द्वारा ये फैसला लिया गया है।
अब पढ़ें मां त्रिपुरमालिनी मंदिर का इतिहास…..
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब अर्धांगिनी सती माता अपने पिता राजा दक्ष के यज्ञ में अपने पति भगवान शिव को न बुलाए जाने का अपमान सहन नहीं कर पाई और उसी यज्ञ कुंड में कूद गईं। भगवान शिव को जब यह पता चला तो उन्होंने अपने गण वीरभद्र को भेजकर यज्ञ स्थल को उजाड़ दिया व राजा दक्ष का सिर काट दिया।
बाद में भगवान शिव सती माता की जली हुई देह लेकर विलाप करते हुए ब्रह्मांड में घूमते रहे। जहां-जहां माता के अंग और आभूषण गिरे वहां-वहां शक्तिपीठ निर्मित हो गए। उसके अनुसार श्री देवी तलाब मंदिर में माता का बायां वक्ष (स्तन) गिरा था। जिसके चलते इस शक्ति पीठ का नाम मां त्रिपुरमालिनी पड़ा।
मान्यता है कि मां त्रिपुरमालिनी के दरबार में जो भी वक्त सवा महीने तक लगातार आता है, उसकी मनोकामना पूरी हो जाती है। यहां हर शुक्रवार को मां की भव्य चौकी लगाई जाती है।
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जालंधर में त्रिपुरमालिनी मां की साप्ताहिक चौकी रद्द: भारत-पाक तनाव के चलते लिया फैसला, पंजाब के एकमात्र शक्तिपीठ में हर शुक्रवार होती थी चौकी – Jalandhar News