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Faridabad News: डीग गांव के किसान पराली जलाने के बजाय उसका सही उपयोग कर अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं और पर्यावरण की रक्षा भी कर रहे हैं.
फरीदाबाद: जहाँ चाह वहाँ राह…फरीदाबाद के डीग गांव के किसान इस कहावत को अपने काम में सच कर दिखा रहे हैं. यहाँ पर किसान पराली जलाने के बजाय उसका सही इस्तेमाल कर अपनी जेब मजबूत कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) के निर्देशों के बाद सरकार पराली जलाने वालों पर कड़ी कार्रवाई कर रही है. उपायुक्त विक्रम सिंह ने साफ कहा है कि पराली जलाना पूरी तरह से मना है और इस पर जुर्माना सहित एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई करें.
डीसी ने मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी की वीडियो कॉन्फ्रेंस के बाद कृषि एवं किसान कल्याण विभाग और अन्य संबंधित अधिकारियों की बैठक में सख्त निर्देश दिए कि जिले में पराली जलाने की कोई घटना न हो. उन्होंने कहा कि पराली जलाने से मिट्टी की उर्वरकता प्रभावित होती है और फसल उत्पादन में कमी आ सकती है. वहीं अगर किसान पराली को सही तरीके से उपयोग करें तो यह न केवल उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत करेगा बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी मददगार होगा. पराली का सही प्रबंधन वायु प्रदूषण को रोकने और जलवायु परिवर्तन के असर को कम करने में भी सहायक है.
पराली से मुनाफा
डीग गांव के किसान अमित गुप्ता ने Local18 से बातचीत में बताया कि हम पराली जलाते नहीं हैं. धान कट जाने के बाद इसे लेबर से कटवाया और घर पर स्टॉक किया जाता है. फिर मशीन से कुट्टी बनाकर बेचेंगे. यह फायदा का सौदा है. चारा बनाकर बेचते हैं 5-6 रुपये किला के हिसाब से. साबुत बेचने पर 5-6 हज़ार रुपये किला के हिसाब से मिल जाता है. अगर मशीन से कुट्टी कटवाकर बेचते हैं तो 200 रुपये मन के हिसाब से मिलता है. खेत में पानी भरकर जुताई करने पर पराली बढ़िया खाद का काम करती है. इससे मिट्टी की उर्वरकता बढ़ती है और पैदावार भी अच्छी रहती है.
पराली जलाने से खेतों को नुकसान और जुर्माना
उन्होंने कहा पराली जलाने से खेत को नुकसान होता है और फसल की पैदावार घटती है. यहाँ तो लेबर की कमी है इसलिए लोग मजबूरी में मशीन से कटवाते हैं. लेकिन हम पराली को जलाने की बजाय लाभ के साधन के रूप में इस्तेमाल करते हैं. सरकार का सख्त आदेश भी है कि इसे जलाया न जाए. एक एकड़ पर 30,000 रुपये का जुर्माना और छह महीने की सजा का खतरा है. इतनी भारी कीमत देने की स्थिति में कोई किसान नहीं रह सकता.
डीग गांव के किसान साबित कर रहे हैं कि मेहनत और समझदारी से न केवल आर्थिक लाभ लिया जा सकता है बल्कि पर्यावरण की रक्षा भी की जा सकती है. पराली का सही प्रबंधन मिट्टी की उर्वरकता बनाए रखता है. वायु प्रदूषण कम करता है और जलवायु परिवर्तन के असर को भी घटाता है. यह किसान और प्रकृति दोनों के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है.
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