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जर्मनी में AFD पार्टी सरकार बनाने की दौड़ में आगे: 80 साल में पहली बार कट्टरपंथी पार्टी को बढ़त; चुनाव में ट्रम्प का मॉडल अपनाया Today World News

जर्मनी में AFD पार्टी सरकार बनाने की दौड़ में आगे:  80 साल में पहली बार कट्टरपंथी पार्टी को बढ़त; चुनाव में ट्रम्प का मॉडल अपनाया Today World News

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बर्लिन सेे भास्कर संवाददाता ऋषभ जैन4 मिनट पहले

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AFD पार्टी की नेता एलिस वीडल है, जो इस बार चांसलर पद की रेस में हैं।

जर्मनी में 23 फरवरी को आम चुनाव होने हैं। इस बार के चुनाव नतीजे बेहद दिलचस्प होने वाले हैं। चांसलर ओलाफ शुल्ज का सत्तारूढ़ SDP गठबंधन प्री-पोल सर्वे में बुरी तरह से पिछड़ रहा है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 80 साल में पहली बार कट्‌टरपंथी अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी पार्टी (AFD) तेजी से आगे बढ़ी है।

अभी AFD सरकार बनाने की रेस में दूसरे नंबर पर है। जबकि पिछले चुनाव में ये पार्टी 7वें नंबर पर रही थी। AFD अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के चुनाव मॉडल पर प्रचार कर रही है। पार्टी का एजेंडा भी ट्रम्प की लाइन पर है। इस पार्टी ने जर्मनी फर्स्ट का नारा दिया है।

AFD की बढ़ती लोकप्रियता का अंदाज इसी बात से लग सकता है कि ये पार्टी हाल में हुए प्रांतीय चुनाव में पांच में से दो प्रांतों में बहुमत हासिल कर चुकी है। संघीय चुनावों में भी इस बार AFD को रिकॉर्ड वोट मिलने की संभावना है।

पहले नंबर पर अभी क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन (CDU) आगे चल रही है। किसी को भी पूर्ण बहुमत नहीं मिलने पर ग्रीन पार्टी अहम होने वाली है।

पहले नंबर पर अभी क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन (CDU) आगे चल रही है। किसी को भी पूर्ण बहुमत नहीं मिलने पर ग्रीन पार्टी अहम होने वाली है।

AFD युवाओं में लोकप्रिय, प्रवासियों पर सख्ती

AFD युवाओं में बेहद लोकप्रिय है। 50 साल से कम उम्र के लगभग 70% वोटर AFD को वोट देने की बात कह रहे हैं। जर्मनी में कुल लगभग 6 करोड़ वोटर हैं। AFD की नेता एलिस वीडल प्रवासियों के मुद्दे पर अपने सख्त रुख के लिए जानी जाती हैं।

उनका एजेंडा प्रवासियों को वीसा देने में कटौती करना और यूरोपीय यूनियन के साथ संबंधों पर फिर से विचार करना है। यानी AFD यदि सरकार बनाने में सफल रहती है तो अमेरिका के साथ संबंधों को बढ़ाएगी।

एलिस की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए सीडीयू के फेडरिच मर्ज और एसडीपी के ओलाफ शुल्ज भी अब प्रवासियों को वीसा में कटौती के मुद्दे को उठा रहे हैं।

जर्मनी की राजनीति में ये बदलाव है। क्योंकि ये दोनों पार्टियां आसान वीसा की पक्षधर रही हैं।

जर्मनी की राजनीति में ये बदलाव है। क्योंकि ये दोनों पार्टियां आसान वीसा की पक्षधर रही हैं।

भारतीयों पर असर: स्किल और स्टूडेंट वीसा में कटौती की आशंका

AFD की जीत भारतीय हितों पर भारी पड़ सकती है। हाल ही में जर्मनी ने इस साल से भारतीयों को चार गुना अधिक स्किल वीसा जारी करने का ऐलान किया है। जर्मनी के चांसलर ओलाफ शुल्ज ने अक्टूबर में अपनी भारत यात्रा के दौरान कहा था कि हमारे देश को भारतीय टैलेंट की जरूरत है।

लेकिन इन चुनावों में कट्टरपंथी AFD पार्टी को जीत मिलती है तो उसकी जर्मनी फर्स्ट की नीति के तहत जर्मन लोगों को पहले जॉब ऑफर किए जाएंगे। फिलहाल जर्मनी हर साल 20 हजार भारतीयों को स्किल वीसा जारी करता है। शुल्ज ने इसे बढ़ाकर 80 हजार करने की बात कही थी। अभी जर्मनी में 2 लाख 85 हजार भारतीय रहते हैं।

AFD की सरकार बनने के बाद वर्क वीसा और परमानेंट रेजिडेंसी में भी दिक्कत आ सकती है। जर्मनी में भारतीय छात्रों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। 2021 में जहां 25 हजार भारतीय छात्र थे, ये संख्या 2024 में बढ़ कर लगभग दो गुनी हो गई है। जर्मनी में भारतीय छात्र यूरोप में दूसरे नंबर पर हैं। पहले नंबर पर भारतीय छात्र ब्रिटेन में हैं।

पुतिन और मस्क AFD पार्टी को समर्थन दे रहे हैं

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और टेस्ला के सीईओ इलॉन मस्क कट्‌टरपंथी AFD पार्टी को खुला समर्थन दे रहे हैं। पुतिन का कहना है कि AFD के सत्ता में आने से रूस के जर्मनी के साथ संबंध और बेहतर होंगे। जबकि मस्क का कहना है कि AFD की जीत से जर्मनी यूरोप में फिर से शक्तिशाली देश के रूप में उभरेगा। पुतिन-मस्क के समर्थन से AFD की लोकप्रियता बढ़ रही है।

चुनाव में पहली बार भारतवंशी भी मैदान में हैं। सिद्धार्थ मुद्गल CSUपार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। उनका मुख्य मुद्दा जर्मनी की इकोनॉमी को और बेहतर बनाकर यहां के युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा करना है।

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