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विदेश मंत्री जयशंकर बुधवार को NGO एशिया सोसाइटी के प्रोग्राम में शामिल हुए थे।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत और चीन अपने रिश्तों को दोबारा से बेहतर करने की कोशिश कर रहे हैं। तनावपूर्ण रिश्ते किसी के लिए भी फायदेमंद नहीं है। 2020 में गलवान घाटी में जो हुआ, वह मुद्दों को सुलझाने का तरीका नहीं था।
जयशंकर बुधवार को थिंक टैंक एशिया सोसाइटी के एक इंटरेक्टिव सेशन में शामिल हुए थे। विदेश मंत्री ने कहा कि हम जानते हैं कि आगे भी भारत और चीन में मतभेद हो सकते हैं, लेकिन संघर्ष में पड़े बिना उन्हें दूसरे तरीके से भी सुलझाया जा सकता है।

एशिया सोसाइटी की CEO और दक्षिण कोरिया के पूर्व विदेश मंत्री क्यूंग-व्हा कांग (बाएं) ने इस प्रोग्राम का संचालन किया था। उनके साथ जयशंकर।
जयशंकर बोले- अभी भी मुद्दा पूरी तरह खत्म नहीं हुआ
गलवान घाटी में हुई झड़पों का जिक्र करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि 2020 में जो हुआ, वह वास्तव में वह वास्तव में बहुत दर्दनाक था। यह सिर्फ संघर्ष नहीं था बल्कि लिखित समझौतों की अनदेखी की गई थी। ऐसा नहीं है कि यह मुद्दा पूरी तरह से खत्म हो गया है, हम अभी भी इस घटना से जुड़े कुछ हिस्सों से निपट रहे हैं।
विदेश मंत्री ने कहा कि हम कई मुद्दों पर प्रतिस्पर्धा करते हैं। लेकिन इसके लिए हमें संघर्ष नहीं करना चाहिए। दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण संबंध किसी भी पक्ष के हितों को पूरा नहीं करते हैं, क्योंकि सीमा के पास शांति भंग होती है तो बाकी संबंध भी ठीक से नहीं चल सकते।
अक्टूबर 2024 से भारत-चीन संबंधों में सुधार हुआ
भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि हमें लगता है कि अक्टूबर 2024 से संबंधों में कुछ सुधार देखने को मिला है। हम इस पर काम कर रहे हैं। मैं चीनी विदेश मंत्री से कई बार मिल चुका हूं और मेरे बाकी सहयोगी भी ऐसा कर चुके हैं। हम कदम दर कदम यह देखने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या हम 2020 में हुए नुकसान की भरपाई कर सकते हैं।
भारत-चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में चार साल से सीमा विवाद को लेकर तनाव था। दो साल की लंबी बातचीत के बाद इसी साल अक्टूबर में दोनों देशों के बीच एक समझौता हुआ, जिसके बाद 21 अक्टूबर को दोनों देशों की सेनाएं देपसांग और डेमचोक से पीछे हट गई हैं। इसके बाद 25 अक्टूबर को भी दोनों देशों की सेनाएं पूर्वी लद्दाख से पीछे हटीं।

समझौते के मुताबिक दोनों सेनाएं अप्रैल 2020 से पहली की स्थिति में वापस लौट गई हैं। सेनाएं अब उन्हीं क्षेत्रों में गश्त कर रही हैं, जहां अप्रैल 2020 से पहले किया करती थीं। इसके अलावा कमांडर लेवल मीटिंग अब भी जारी है।
इस समझौते को अंतिम रूप दिए जाने के बाद पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कजान में मुलाकात की थी और संबंधों को बेहतर बनाने के लिए कई फैसले लिए थे।
गलवान में 15 जून 2020 को झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए

तस्वीर लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून 2020 को भारत-चीन के सैनिकों के बीच हुई खूनी झड़प की है। इसी के बाद दोनों देशों के बीच विवाद गहराया।
15 जून 2020 को चीन ने ईस्टर्न लद्दाख के सीमावर्ती इलाकों में एक्सरसाइज के बहाने सैनिकों को जमा किया था। इसके बाद कई जगह पर घुसपैठ की घटनाएं हुई थीं।
भारत सरकार ने भी इस इलाके में चीन के बराबर संख्या में सैनिक तैनात कर दिए थे। हालात इतने खराब हो गए कि LAC पर गोलियां चलीं।
इसी दौरान 15 जून को गलवान घाटी में चीनी सेना के साथ हुई झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। बाद में भारत ने भी इसका मुंहतोड़ जवाब दिया था। इसमें करीब 60 चीनी जवान मारे गए थे।
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जयशंकर बोले- भारत-चीन दोबारा से रिश्ते बेहतर कर रहे: भविष्य में भी हमारे बीच मतभेद हो सकते हैं, लेकिन विवाद नहीं बनाना चाहिए