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बाथैन में बंद पड़ी गर्ग की रसोई।
– फोटो : संवाद
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हरियाणा विधानसभा चुनाव के बाद ऐसे कई नेता सामने आए हैं, जिन्होंने चुनाव हारने के बाद समाजसेवा से किनारा कर लिया है। लाडवा से सीएम नायब सैनी के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले संदीप गर्ग ने हारते ही आम लोगों को पांच रुपये में भरपेट खाना खिलाने वाली रसोई बंद कर दी है। हरियाणा जनसेवक पार्टी प्रमुख व महम से पूर्व विधायक बलराज कुंडू ने महम हलके की छात्राओं को रोहतक तक निशुल्क बस सुविधा देने में असमर्थता जताई है।
लाडवा में संदीप गर्ग चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद क्षेत्र में सक्रिय भी नहीं दिखाई दे रहे हैं। उन्हें इस चुनाव में महज 2262 वोट मिले हैं। संदीप गर्ग ने अप्रैल 2022 में लाडवा के पुराने डाकखाने के पास रसोई खोली थी। बाद में लाडवा शहर के बाद हलके के गांव डीग, बाबैन, मथाना, उमरी के अलावा रादौर व शाहाबाद में भी यह रसोई खोली गई। चुनाव परिणाम आने के अगले दिन तक ये रसोई चल रही थी, लेकिन अब इन्हें बंद कर दिया गया है। लाडवा की रसोई में प्रतिदिन करीब 300 लोग खाना खाते थे। इस संबंध में संदीप गर्ग से संपर्क करने का प्रयास किया गया मगर उन्होंने फोन नहीं उठाया।
हरियाणा जनसेवक पार्टी प्रमुख व महम से पूर्व विधायक बलराज कुंडू ने महम हलके की छात्राओं को रोहतक तक निशुल्क बस सुविधा देने के लिए 2014 में एक साथ 18 बसें चलाई थीं। विभिन्न रूट पर इन बसों से 42 गांवों की 1,800 बेटियां सफर करती थीं। कुंडू के कार्यालय में समर्थकों ने बसें चलाना बंद करने की मांग करते हुए कहा कि बसों का लाभ लेने वालों ने भी अहसान नहीं माना। कुंडू ने कहा कि अब वे अन्य हलकों में बसें चलाएंगे। महम हलके में जब तक कार्यकर्ता नहीं कहेंगे, तब तक बसें बंद रहेंगी।
कुंडू ने कहा कि विधायक बनने पर मैंने बेटियों की समस्या को समझा और बसें चलाईं। अब कार्यकर्ताओं के दबाव में झुकना पड़ा। समाजसेवा के लिए मैं अब भी बसें चलाने के लिए तैयार हूं। पर मौजूदा विधायक जिम्मेदारी संभालें। वहीं, उन्होंने अगला चुनाव सांसद दीपेंद्र हुड्डा के सामने लड़ने की बात कही।
छौक्कर व माछरौली ने नामांकन से पहले बंद की बसें
समालखा से कांग्रेस के प्रत्याशी धर्म सिंह छौक्कर ने छात्राओं की सुविधा को लेकर बापौली व समालखा से पानीपत तक के लिए बसें चला रखी थीं। दोनों स्थानों से एक-एक बस छात्राओं को पानीपत लाती और छोड़ने जाती थी। एक बस समालखा से खानपुर मेडिकल कॉलेज तक मरीजों और तीमारदारों को लेकर जाती थी। समालखा के ही पूर्व विधायक रविंद्र मच्छरौली इस बार निर्दलीय मैदान में थे। उन्होंने चुनाव से छह महीने पहले चार बसें हरिद्वार व एक वृंदावन के लिए चलाई थीं। नामांकन से पहले संचालन बंद कर दिया था।
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