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भारतीय सेना, लेबनान में जारी इजराइली हमलों के बीच स्थिति पर कड़ी नजर बनाए हुए है।
इजराइल और लेबनान के बीच 8 दिनों से जंग जारी है। इस जंग में अब तक 700 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। वहीं, इजराइल ने हिजबुल्लाह की मिसाइल और ड्रोन यूनिट के कमांडरों को एयरस्ट्राइक में मार दिया है। इसी बीच इजराइल में तैनात भारतीय सेना के एक जवान को गुरुवार सुबह एयर एंबुलेंस से भारत लाया गया है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक सैनिक का नाम हवलदार सुरेश आर (33) है। वे बीते 30 दिनों से इजराइल के एक अस्पताल में भर्ती थे। उन्हें सिर में चोटें आई हैं, जिसकी वजह से वो जगह और लोगों को पहचान नहीं पा रहे थे। चोट लगने की वजह साफ नहीं हुई है।
सुरेश इजराइल के कब्जे वाले गोलन हाइट्स में संयुक्त राष्ट्र के मिशन UNDOF में शामिल थे। UNDOF एक शांति सेना मिशन है , जिसका काम इजराइल और सीरिया के बीच संघर्ष विराम बनाए रखना तथा दोनों देशों की सेनाओं के बीच तनाव कम करने की कोशिश करना है।
गोलान हाइट्स के अलावा भारत के 900 जवान लेबनान में भी हैं। ये UNIFIL में शामिल हैं जिनका काम लेबनान और इजराइल के बीच शांति कायम रखना है।
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ऐसे में सवाल उठता है कि जंग के बीच इजराइल सीमा पर भारतीय सैनिक क्या कर रहे हैं? इस स्टोरी में इसी सवाल का जवाब जानते हैं…
इजराइल-लेबनान में जंग रोकने के लिए तैनात भारतीय जवान मार्च 1978 की बात है। लेबनान में मौजूद फिलिस्तीन समर्थक उग्रवादियों ने दर्जनों यहूदियों की बेरहमी से हत्या कर दी। इन हत्याओं का बदला लेने के लिए इजराइली सेना ने दक्षिणी लेबनान में आतंकियों के सफाए के लिए एक ऑपरेशन चलाया। इसके बाद दोनों देशों में जंग शुरू हो गई। इसे इजराइल की तरफ से लेबनान पर किया गया हमला कहा गया।
जब यह मामला UN में पहुंचा तो तुरंत यूनाइटेड नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल ने इस जगह पर शांति कायम करने के लिए एक प्रस्ताव पास किया। इस प्रस्ताव के मुताबिक इजराइली सेना को फौरन लेबनान सीमा से वापस लौटने को कहा गया।
जिस जगह से इजराइली सेना ने वापसी की थी, उसी जगह को UN ने अपनी कस्टडी में ले लिया था। तब से ही यह इलाका संयुक्त राष्ट्र के कब्जे में है। इस इलाके में UN की तरफ से शांति कायम करने के लिए अंतरराष्ट्रीय फोर्स की तैनाती की गई।
इन जवानों को संयुक्त राष्ट्र अंतरिम बल यानी UNIFIL कहा जाता है। 1978 के बाद से ही यहां UNIFIL की तैनाती है। दक्षिणी लेबनान में जहां UN फोर्स की तैनाती है, उस 110 किलोमीटर के इलाके को ‘ब्लू लाइन’ कहा जाता है। यह दोनों देशों के बीच एक बफर जोन है।
इस समय संयुक्त राष्ट्र के पीस मिशन में 48 देशों के लगभग 10,500 पीसकीपर्स हैं। इस वक्त भारत के भी 900 पीसकीपर्स की तैनाती दक्षिणी लेबनान के इजराइल सीमा के पास तैनात है।
अब जानिए UN पीस मेकर्स क्या होते हैं और कब बनाया गया….
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जब भारतीय जवानों ने पाकिस्तानी सैनिकों की जान बचाई 1999 में रिटायर्ड मेजर जनरल राजपाल पूनिया UN पीस मिशन में दक्षिण अफ्रीका के सिएरा लियोन में एक मिशन के लिए गए थे। यहां शांति कायम करने के लिए उन्हें स्थानीय छोटे-छोटे आतंकी संगठन के खिलाफ ऑपरेशन चलाना था। ये आतंकी संगठन स्थानीय सरकार पर दवाब बनाने के लिए अक्सर यहां हिंसा करते थे।
पूनिया के मुताबिक, UN का ये मिशन इतना ज्यादा खतरनाक था कि 16 देश के जवान हथियार डाल चुके थे। इसके बाद इस मिशन को पूरा करने का जिम्मा UN की ओर से इंडियन आर्मी को दिया गया था। भारतीय जवानों के मोर्चा संभालते ही पूरी कंपनी को आतंकवादियों ने घेर लिया और हथियार डालने के लिए कहा। भारतीय जवानों ने हथियार नहीं डालने का फैसला किया।
आतंकियों ने पाकिस्तान के सैनिकों को बंधक बना लिया था। जब कोई रास्ता नहीं बचा तो भारतीय जवानों ने ऑपरेशन शुरू किया और पाकिस्तानी सैनिकों को बचा लिया। ये पाकिस्तानी सैनिक मिशन से वापस लौटने से पहले इंडियन आर्मी को सैल्यूट करके गए थे।
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26 सितंबर की दोपहर तक इन हमलों में लेबनान के 620 लोगों की मौत हो चुकी है। दहशत में करीब 5 लाख लोग लेबनान के दक्षिणी छोर से पलायन कर गए हैं। अब इजराइली सेना लेबनान में घुसने की तैयारी कर रही है। भास्कर एक्सप्लेनर में ऐसे 7 जरूरी सवालों के जवाब जानेंगे… पूरी खबर पढ़ें…
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