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फरीदाबाद: फरीदाबाद के छायंसा मेडिकल कॉलेज में ट्रामा सेंटर की जरूरत को लेकर समाजसेवी सतीश चोपड़ा ने आवाज उठाई है. सरकार के टेकओवर के बावजूद यह अस्पताल जनता की जरूरतें पूरी करने में विफल साबित हो रहा है. बुनियादी सुविधाओं के अभाव और डॉक्टरों के प्रशिक्षण में कमियों के चलते यहां के मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों का सहारा लेना पड़ रहा है.
सतीश चोपड़ा ने Local18 को बताया कि छायंसा मेडिकल कॉलेज का प्रबंधन पहले प्राइवेट था, जिसे 2020 में सरकार ने टेकओवर किया. आरटीआई के जरिए मिली जानकारी के अनुसार यहां 550 कर्मचारी कार्यरत हैं और हर महीने लगभग 3 करोड़ रुपए वेतन में खर्च होते हैं. साथ ही इसके मेंटेनेंस पर 50 करोड़ रुपए सालाना खर्च किए जा रहे हैं. सैकड़ों करोड़ के सीएसआर फंड से आधुनिक मशीनें लाई गईं हैं. इसके बावजूद भी मरीजों को समुचित इलाज नहीं मिल रहा है.
मेडिकल कॉलेज में शिक्षा की बदहाली
गोल्ड फील्ड अस्पताल की बनी-बनाई बिल्डिंग और 460 बेड्स के बावजूद मरीज इलाज के लिए संघर्ष कर रहे हैं. मेडिकल कॉलेज के छात्रों को उचित प्रशिक्षण नहीं मिल रहा, जिससे डॉक्टरों की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो रहे हैं. चोपड़ा ने कहा हम ऐसे डॉक्टर नहीं चाहते जो कैनुला लगाना भी न सीख पाएं. यह छात्रों और मरीजों दोनों के साथ अन्याय है.
ट्रामा सेंटर की मांग
चोपड़ा ने बताया कि पूरे क्षेत्र में सरकारी ट्रामा सेंटर नहीं है. स्वास्थ्य मंत्री से बातचीत के दौरान कहा गया कि 100 किलोमीटर के दायरे में दूसरा ट्रामा सेंटर नहीं बन सकता. लेकिन बहादुरगढ़ का उदाहरण देते हुए उन्होंने इस दावे को गलत ठहराया. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सदन और जनता को गुमराह किया गया. फरीदाबाद में 17 ट्रामा सेंटर बताए गए, लेकिन सभी प्राइवेट हैं. इनके महंगे इलाज का बोझ गरीब जनता नहीं उठा सकती.
जनता का हक और संघर्ष
सतीश चोपड़ा ने कहा कि सरकारी ट्रामा सेंटर की स्थापना जनता का हक और जरूरत दोनों है. प्राइवेट अस्पतालों के महंगे बिलों के कारण लोग जमीन-जायदाद बेचने को मजबूर हो रहे हैं. उन्होंने चेतावनी दी कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, वे धरना- प्रदर्शन जारी रखेंगे.
Tags: Faridabad News, Haryana news, Local18
FIRST PUBLISHED : December 27, 2024, 12:49 IST
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