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फरीदाबाद के बल्लभगढ़ स्थित अग्रवाल कॉलेज में सांस्कृतिक कार्यक्रम और फेयरवेल का आयोजन हुआ, जिसमें छात्रों ने हरियाणवी, राजस्थानी और साउथ इंडियन नृत्य प्रस्तुत किए. कार्यक्रम छात्रों द्वारा ही आयोजित किया गया, ज…और पढ़ें
अग्रवाल कॉलेज में सांस्कृतिक कार्यक्रम और फेयरवेल.
हाइलाइट्स
- अग्रवाल कॉलेज बल्लभगढ़ में सांस्कृतिक कार्यक्रम और फेयरवेल का आयोजन किया गया.
- कार्यक्रम की शुरुआत प्रो. डॉ. सुप्रिया ढांडा ने तिलक लगाकर की.
- BA और MA के करीब 150 छात्र-छात्राएं शामिल रहे.
फरीदाबाद: फरीदाबाद के बल्लभगढ़ स्थित अग्रवाल कॉलेज में आज एक खास मौके पर सांस्कृतिक कार्यक्रम और फेयरवेल का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम का उद्देश्य सिर्फ छात्रों को विदाई देना नहीं था, बल्कि उन्हें अपनी संस्कृति से जोड़ना भी था. कॉलेज प्रशासन की मंशा थी कि छात्र-छात्राओं को ऐसा मंच दिया जाए, जहां वे अपने अंदर छिपे हुनर को सामने ला सकें.
कार्यक्रम की शुरुआत कॉलेज की प्रोफेसर डॉ. सुप्रिया ढांडा ने तिलक लगाकर की. उन्होंने बच्चों का गर्मजोशी से स्वागत किया और कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत की. इस अवसर पर BA और MA के लगभग 150 छात्र-छात्राएं मौजूद रहे.
छात्रों ने खुद संभाली जिम्मेदारी
इस कार्यक्रम की खास बात यह रही कि पूरा आयोजन छात्रों ने खुद मिलकर तैयार किया. मंच, संगीत, प्रस्तुति से लेकर संचालन तक, सब कुछ छात्रों ने खुद संभाला. इससे उनमें नेतृत्व की भावना का विकास हुआ और एकजुट होकर कार्य करने की प्रेरणा भी मिली. कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. जयपाल सिंह ने बताया कि इस तरह के आयोजनों से छात्र एक-दूसरे से अनुभव साझा करते हैं और बहुत कुछ नया सीखते हैं.
रंगारंग प्रस्तुतियों ने बटोरी तालियां
कार्यक्रम में छात्रों ने विभिन्न राज्यों की संस्कृति को नृत्य और प्रस्तुतियों के माध्यम से पेश किया. किसी ने राजस्थानी लोकनृत्य किया तो किसी ने हरियाणवी और दक्षिण भारतीय संस्कृति को मंच पर जीवंत कर दिया. आत्मविश्वास से भरी इन प्रस्तुतियों ने दर्शकों का मन मोह लिया.
कॉलेज में होते रहते हैं ऐसे कार्यक्रम
इस आयोजन की इंचार्ज प्रो. डॉ. गीता गुप्ता ने बताया कि कॉलेज में समय-समय पर ऐसे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं ताकि छात्र अपनी जड़ों को न भूलें. उन्होंने कहा कि आज जब नैतिक मूल्यों में गिरावट देखी जा रही है, तो ऐसे कार्यक्रम छात्रों को भारतीय संस्कृति और परंपराओं से जोड़ने में मदद करते हैं, जो उनके सर्वांगीण विकास के लिए जरूरी है.
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