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Chewing Gum Health Risks : क्या आप भी दिनभर च्युइंग गम चबाया करते हैं. अगर हां तो सावधान हो जाइए, क्योंकि यह आपकी सेहत के लिए कहीं से फायदेमंद नहीं है. आजकल च्युइंग गम फैशन के साथ आदत भी बन चुकी है. लोग इसे ताजगी, स्वाद और मुंह की एक्सरसाइज के लिए चबाते हैं, लेकिन यह सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है. हाल ही में आई एक स्टडी में खुलासा हुआ है कि च्युइंग गम में माइक्रोप्लास्टिक (Microplastic) छिपे होता हैं. वह आपके शरीर में सैकड़ों माइक्रोप्लास्टिक कण छोड़ सकती है, जो सेहत के लिए बेहद हानिकारक हो सकते हैं.

च्युइंग गम में माइक्रोप्लास्टिक
सैन डिएगो में अमेरिकन केमिकल सोसाइटी की मीटिंग में एक स्टडी पेश की गई. कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, लॉस एंजिल्स (UCLA) के रिसर्चर्स ने इस स्टडी में अलग-अलग ब्रांड के च्युइंग गम चबाने के बाद लार (saliva) के सैंपल्स की जांच की. UCLA की पीएचडी छात्रा, लिसा लोव ने 10 अलग-अलग ब्रांड के च्युइंग गम के 7 टुकड़े चबाए और फिर उनकी लार पर शोधकर्ताओं ने केमिकल एनालिसिस किया. जिसमें पाया गया कि एक ग्राम च्युइंग गम से औसतन 100 माइक्रोप्लास्टिक टुकड़े होते हैं.
कुछ में से 600 से भी ज्यादा. रिसर्चर ने बताया कि च्युइंग गम की एक औसत स्टिक का वजन करीब 1.5 ग्राम होता है. अगर इसे नियमित चबायाजाएतो हर साल 30,000 माइक्रोप्लास्टिक के टुकड़े हमारी बॉडी में जा सकते हैं.
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क्या है माइक्रोप्लास्टिक और च्युइंग गम में कैसे आता है
माइक्रोप्लास्टिक 5 मिमी से छोटे प्लास्टिक के अति-सूक्ष्म कण होते हैं, जो पर्यावरण और सेहत के लिए गंभीर खतरा बन चुके हैं. इनका इस्तेमाल कई तरह के प्रोडक्ट्स में किया जाता है, जिनमें च्युइंग गम भी शामिल है. च्युइंग गम में मुख्य रूप से गम बेस, स्वीटनर, फ्लेवरिंग एजेंट और सॉफ्टनिंग एजेंट होते हैं. गम बेस वह चीज होती है, जो गम को चबाने लायक बनाती है.
गम बेस में पॉलीविनाइल एसीटेट (Polyvinyl Acetate) और पॉलीइथाइलीन (Polyethylene) जैसे सिंथेटिक प्लास्टिक कंपाउंड होते हैं, जो इसे फ्लैक्सिबल और लंबे समय तक चबाने के लिए बनाते हैं. यही प्लास्टिक धीरे-धीरे माइक्रोप्लास्टिक के रूप में आपके शरीर में पहुंच सकता है. ये केवल मुंह में ही नहीं रुकता, बल्कि यह लार के जरिए पाचन तंत्र में चला जाता है, जिससे कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं.
माइक्रोप्लास्टिक शरीर पर क्या असर डाल सकता है
2. ये प्लास्टिक कण शरीर के एंडोक्राइन सिस्टम को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे हार्मोन असंतुलन की समस्या हो सकती है.
3. माइक्रोप्लास्टिक कण शरीर में टॉक्सिन्स को बढ़ा सकते हैं, जिससे मोटापा और अन्य मेटाबॉलिक बीमारियां हो सकती हैं.
4. कुछ रिसर्च के अनुसार, माइक्रोप्लास्टिक ब्लडस्ट्रीम में जा सकते हैं और ब्रेन के साथ हार्ट फंक्शन को प्रभावित कर सकता है.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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