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चेस्ट में बिना दर्द हुए भी आ जाता है हार्ट अटैक, जानें एटिपिकल लक्षण कितने खतरनाक? Health Updates

चेस्ट में बिना दर्द हुए भी आ जाता है हार्ट अटैक, जानें एटिपिकल लक्षण कितने खतरनाक? Health Updates

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हम अक्सर सोचते हैं कि हार्ट अटैक हमेशा तेज दर्द, चेस्ट में भारीपन और सांस की कमी के साथ होता है. ये हार्ट अटैक के classic लक्षण हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि हर हार्ट अटैक में ये लक्षण नहीं दिखते? ऐसे हार्ट अटैक, जिनमें typical लक्षण नहीं होते, उन्हें “साइलेंट हार्ट अटैक” कहते हैं. इनमें significant चेस्ट पेन नहीं होता, लेकिन ये उतने ही खतरनाक होते हैं, क्योंकि इन्हें अक्सर अन्य बीमारियों से confuse कर दिया जाता है और समय पर इलाज नहीं होता. 

एक उदाहरण है साइलेंट मायोकार्डियल इस्कीमिया, जिसमें हार्ट तक ऑक्सीजन-समृद्ध रक्त कम पहुंचता है. इस दौरान दर्द या अन्य लक्षण नहीं होते, लेकिन जांच उपकरण जैसे ईसीजी (ECG) या इकोकार्डियोग्राम abnormal हो सकते हैं.

क्या कहते हैं डॉक्टर

डॉ. सुनील वाधवा, Associate Director, Cardiology, Max Hospital, Gurugram कहते हैं कि अचानक होने वाले कार्डियक इवेंट्स की संख्या बढ़ रही है और यह public health के लिए चिंता का विषय है. इसका मतलब है कि जागरूकता बढ़ाना और स्क्रीनिंग तथा इलाज बेहतर करना बहुत जरूरी है, खासकर at-risk population में.

ध्यान रखने योग्य 5 बातें

  • हार्ट अटैक सोते समय या जागते समय हो सकता है.
  • साइलेंट इस्कीमिया मृत्यु दर का मजबूत संकेतक है; लगभग 70–80 प्रति्शत घटनाएं बिना लक्षण के होती हैं.
  • दर्द न होने की वजह से मरीज समय पर चिकित्सा सहायता नहीं लेते, जिससे morbidity और mortality बढ़ जाती है.
  • महिलाएं, बुजुर्ग, डायबिटीज मेलिटस वाले मरीज और जिनका पहले हार्ट अटैक या पुनः उपचार हुआ हो, अधिक प्रवण हैं.
  • साइलेंट मायोकार्डियल इस्कीमिया का evidence 15 से  30 प्रतिशत मरीजों में पाया जाता है और अस्थिर एंजाइना वाले 30 से 40 प्रतिशत मरीजों में पहले मायोकार्डियल इन्फार्क्शन पाया गया है.

साइलेंट हार्ट अटैक के लक्षण (फ्लू जैसी)

  • चेस्ट या उपर बैक में दर्द
  • जबड़े, हाथ या उपर बैक में दर्द
  • अपच
  • सांस की कमी
  • चक्कर, हल्का सिर
  • उपर बॉडी में असहजता
  • ठंडी पसीना
  • मितली और उल्टी
  • बिना वजह थकान कई दिनों तक

कारण

साइलेंट हार्ट अटैक का मुख्य कारण लिपिड-समृद्ध प्लेक फटना और कोरोनरी आर्टरीज में क्लॉट बनना है. अन्य जोखिम कारक में शामिल हैं:

  • ज्यादा वजन (बॉडी मास इंडेक्स 25प्लस)
  • अनहेल्दी लाइफस्टाइल
  • डायबिटीज मेलिटस, हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल
  • प्रोसेस्ड फूड का अधिक सेवन
  • क्रॉनिक चिंता, डिप्रेशन
  • तंबाकू का सेवन (सिगरेट, वेपिंग)
  • प्रेग्नेंसी में प्रीक्लेम्पसिया
  • संक्रमण: यूटीआई, निमोनिया
  • कोरोनरी वासोस्पाज़्म, वास्कुलाइटिस, चोट, दवाइयाँ जैसे कोकेन
  • गंभीर एनीमिया
  • ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया

क्लिनिकल प्रेजेंटेशन

  • टाइप I: बिना लक्षण, पहले मायोकार्डियल इन्फार्क्शन नहीं
  • टाइप II: बिना लक्षण, पहले symptomatic मायोकार्डियल इस्कीमिया
  • टाइप III: इसके बारे में पता होता है, symptomatic या asymptomatic कोरोनरी आर्टरी डिजीज

डायग्नोस्टिक जांच

ईसीजी, स्ट्रेस टेस्ट और रक्त जांच साइलेंट हार्ट अटैक पहचानने में मदद कर सकते हैं. अगर आप जोखिम में हैं या ऊपर बताए लक्षण महसूस करते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से मूल्यांकन करवाना जरूरी है.

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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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