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चीन ने भारत को जरूरी मशीनों की डिलीवरी रोकी: 300 इंजीनियर्स को वापस बुलाया, इससे आईफोन फैक्ट्रियों में काम धीमा हो सकता है Business News & Hub

चीन ने भारत को जरूरी मशीनों की डिलीवरी रोकी:  300 इंजीनियर्स को वापस बुलाया, इससे आईफोन फैक्ट्रियों में काम धीमा हो सकता है Business News & Hub

नई दिल्ली2 मिनट पहले

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आईफोन मैन्यूफैक्चरिंग पर अभी चीन का दबदबा है। 2024 में कंपनी के ग्लोबल आईफोन शिपमेंट में इसका हिस्सा लगभग 28% था।

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चीन ने भारत को जरूरी मशीनों और पार्ट्स की डिलीवरी रोक दी है। ये मीशीने और पार्ट इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल जैसे सेक्टर्स के लिए बेहद जरूरी हैं। इसके अलावा, भारत में आईफोन बनाने वाली कंपनी फॉक्सकॉन ने अपने 300 से ज्यादा चीनी इंजीनियर्स और टेक्नीशियन्स को भारत से वापस बुलाने का निर्देश दिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन ने ऐसा भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को प्रभावित करने के लिए किया है।

चीनी वर्कर्स के जाने से फैक्ट्रियों में काम धीमा हो सकता है

सूत्रों ने कहा, “चाइनीज कर्मचारियों की संख्या 1% से भी कम है, लेकिन ये प्रोडक्शन और क्वालिटी मैनेजमेंट जैसे अहम ऑपरेशंस में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। चीनी सरकार द्वारा अपने नागरिकों को वापस बुलाने के निर्देश से फैक्ट्रियों में काम धीमा हो सकता है। इससे एपल की वो योजना प्रभावित हो सकती है, जिसमें वो अपनी मैन्युफैक्चरिंग का बड़ा हिस्सा चीन से भारत शिफ्ट करना चाहती थी।

  • बीती दिनों चीन ने इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV) और इलेक्ट्रॉनिक्स में इस्तेमाल होने वाले रेयर अर्थ मैग्नेट्स की सप्लाई भी रोक दी थी। ऐसे में चीन के इन दोनों कदमों को भारत की मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ को कमजोर करने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है।
  • यह भी अटकलें लगाई जा रही हैं कि ‘चीन शायद भारत के साथ टिट-फॉर-टैट की रणनीति अपना रहा है’, क्योंकि उनके कॉरपोरेट कर्मचारियों को बिजनेस वीजा हासिल करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। एक उद्योग सूत्र ने कहा, “हम इस मामले पर सरकार को एक विस्तृत रिपोर्ट भेजने की योजना बना रहे हैं ताकि यह मुद्दा और गंभीर होने से पहले इसे हाईलाइट किया जा सके।
भारत में फॉक्सकॉन की एक यूनिट की कर्मचारी। सरकार अपने मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है।

भारत में फॉक्सकॉन की एक यूनिट की कर्मचारी। सरकार अपने मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है।

आईफोन मैन्यूफैक्चरिंग पर अभी चीन का दबदबा

आईफोन मैन्यूफैक्चरिंग पर अभी चीन का दबदबा है। 2024 में कंपनी के ग्लोबल आईफोन शिपमेंट में इसका हिस्सा लगभग 28% था।

चार साल पहले भारत ने आईफोन असेंबलिंग शुरू की थी

भारत ने सिर्फ चार साल पहले बड़े पैमाने पर आईफोन असेंबल करना शुरू किया था, और अब ये ग्लोबल प्रोडक्शन का पांचवां हिस्सा बनाता है। एपल की योजना 2026 के अंत तक अमेरिका के लिए ज्यादातर आईफोन्स भारत में बनाने की है, जिसकी अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने आलोचना की है।

अमेरिकी ग्राहकों के लिए आईफोन यहीं बनने चाहिए

राष्ट्रपति ने कहा है कि एपल को अमेरिकी ग्राहकों के लिए आईफोन अमेरिका में ही बनाने चाहिए। लेकिन अमेरिका में महंगी लेबर लागत के कारण वहां आईफोन उत्पादन करना व्यवहारिक नहीं है। वहीं अगर चीन अपने अनुभवी इंजीनियर्स को अमेरिका जाने से रोकने के लिए कोई कदम उठाता है, तो एपल की अपने देश में गैजेट असेंबली शुरू करने की योजना और भी मुश्किल हो जाएगी।

भारत में पिछले कुछ सालों में आईफोन प्रोडक्शन तेजी से बढ़ा है। 2024 में भारत ने 14 बिलियन डॉलर की वैल्यू के आईफोन्स बनाए, और जनवरी-मई 2025 में 4.4 बिलियन डॉलर के आईफोन्स अमेरिका को एक्सपोर्ट किए गए। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के मुताबिक, अब 25% आईफोन्स भारत में बनाए जा रहे हैं।

ट्रम्प ने कतर की राजधानी दोहा में बिजनेस लीडर्स के साथ एक कार्यक्रम में कहा था- भारत में फैक्ट्रियां लगाने की जरूरत नहीं है। इंडिया अपना ख्याल खुद रख सकता है।।

ट्रम्प ने कतर की राजधानी दोहा में बिजनेस लीडर्स के साथ एक कार्यक्रम में कहा था- भारत में फैक्ट्रियां लगाने की जरूरत नहीं है। इंडिया अपना ख्याल खुद रख सकता है।।

एपल का भारत पर इतना ज्यादा फोकस क्यों?

  • सप्लाई चेन डायवर्सिफिकेशन: एपल चीन पर अपनी निर्भरता कम करना चाहता है। जियोपॉलिटिकल टेंशन, ट्रेड डिस्प्यूट और कोविड-19 लॉकडाउन जैसे दिक्कतों से कंपनी को लगा कि किसी एक क्षेत्र में ज्यादा निर्भर रहना ठीक नहीं है। इस लिहाज से एपल के लिए भारत एक कम जोखिम वाला ऑप्शन साबित हो रहा है।
  • कॉस्ट एडवांटेज: भारत चीन की तुलना में कम लागत पर लेबर प्रोवाइड करता है, जो इसे इकोनॉमिकली ज्यादा अट्रैक्टिव बनाता है। इसके अलावा, लोकल लेवल पर मैन्यूफैक्चर करने से कंपनी को इलेक्ट्रॉनिक्स पर हाई इंपोर्ट कॉस्ट से बचने में मदद मिलती है।
  • गवर्नमेंट इंसेंटिव: भारत की मेक इन इंडिया इनिसिएटिव और प्रोडक्शन लिंक्ड इनिसिएटिव (PLI) स्कीम्स कंपनियों को लोकल मैन्यूफैक्चरिंग बढ़ाने के लिए वित्तीय सहायता देती हैं। इन पॉलिसीज ने फॉक्सकॉन और टाटा जैसे एपल के पार्टनर्स को भारत में ज्यादा निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया है।
  • बढ़ती बाजार संभावना: भारत दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते स्मार्टफोन मार्केट में से एक है। लोकल प्रोडक्शन से एपल को इस मांग को पूरा करने में ज्यादा मदद मिलती है, साथ ही इसकी बाजार हिस्सेदारी भी बढ़ जाती है, जो फिलहाल लगभग 6-7% है।
  • एक्सपोर्ट के लिए अवसर: एपल इंडिया में बने अपने 70% आईफोन को एक्सपोर्ट करता है, जिससे चीन की तुलना में भारत के कम इंपोर्ट टैरिफ का फायदा मिलता है। 2024 में भारत से आइफोन एक्सपोर्ट 12.8 बिलियन डॉलर (करीब ₹1,09,655 करोड़) तक पहुंच गया। आने वाले समय में इसके और ज्यादा बढ़ने की उम्मीद है।
  • स्किल्ड वर्कफोर्स और इन्फ्रास्ट्रक्चर: भारत का लेबर फोर्स एक्सपीरियंस के मामले में चीन से पीछे है, लेकिन अभी इसमें काफी सुधार हो रहा है। एपल के फॉक्सकॉन जैसे पार्टनर, प्रोडक्शन की जरूरतों को पूरा करने के लिए कर्मचारियों को ट्रेनिंग दे रहे हैं और कर्नाटक में 2.7 बिलियन डॉलर (₹23,139 करोड़) के प्लांट जैसे फैसिलिटीज का विस्तार कर रहे हैं।

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Source: https://www.bhaskar.com/business/news/china-targets-indias-manufacturing-sector-135364455.html

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