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China-India: कनाडा के कृषि और खाद्य उत्पादों पर भारी टैरिफ लगाने के बाद चीन ने पिछले तीन हफ्ते में भारत से 52,000 टन रेपसीड मील खरीदा है. कनाडा की जगह अब भारत से रेपसीड मील के आयात से चीन को मदद मिलेगी. बता दें कि रेपसीड एक तरह की फसल है, जिसके बीजों की पिसाई से तेल निकलता और बाकी जो बचता है उसका इस्तेमाल मवेशियों के लिए चारे के रूप में किया जाता है. इसके अलावा, इसका इस्तेमाल बायोडीजल बनाने में किया जाता है. केमिकल और ऑटोमोटिव इंडस्ट्री में भी किया जाता है.
भारत रेपसीड का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक
चीन और कनाडा के बाद भारत ही दुनिया में रेपसीड का सबसे बड़ा उत्पादक है. रेपसीड मील के एक बड़े एक्सपोर्टर के अधिकारी ने कहा, कनाडा से इसकी सप्लाई पर टैरिफ लगाने के बाद चीन ने अब भारत में रूचि दिखानी शुरू कर दी है.
बता दें कि पिछले साल कनाडा ने चीनी इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पर 100 परसेंट और एल्युमीनियम और स्टील उत्पादों पर 25 परसेंट टैरिफ लगाया था. इसी के जवाब में चीन ने कनाडा के रेपसीड मील, पोर्क और जलीय उत्पादों पर 100 परसेंट टैरिफ लगा दिया है, जो 20 मार्च से लागू हो चुके हैं.
चीन ने भारत से इतने में खरीदा रेपसीड
सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक, 220 से 235 डॉलर प्रति मीट्रिक टन की दर से भारत से रेपसीड मील की खरीदारी की है. सीमा शुल्क की डेटा के मुताबिक, 2024 में चीन ने कनाडा से 2.02 मिलियन मीट्रिक टन, संयुक्त अरब अमीरात से 504,000 टन रूस से 135,000 टन रेपसीड मील खरीदा था. सूत्र से मिली जानकारी के मुताबिक, चीन से रेपसीड मील की डिमांड बहुत ज्यादा है. अगले कुछ महीनों तक चीन की यह खरीद जारी रहेगी. चीन के अलावा भारत से रेपसीड मील का निर्यात दक्षिण कोरिया, बांग्लादेश, थाईलैंड और वियतनाम में भी किया जाता है.
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चीन ने पिछले तीन हफ्ते में भारत से खरीदा 52000 टन रेपसीड मील