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तस्वीर लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून 2020 को भारत-चीन के सैनिकों के बीच हुई खूनी झड़प की है।
चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर गलवान घाटी समेत 4 इलाकों से दोनों देशों की सेनाएं हटी हैं। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग के कहा कि बॉर्डर पर हालात स्थिर और कंट्रोल में हैं।
चीनी विदेश मंत्रालय का यह बयान NSA अजीत डोभाल की चीनी विदेश मंत्री वांग यी से रूस में मुलाकात के बाद आया है। इससे पहले गुरुवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के 75% मामले सुलझा लिए गए हैं।
हालांकि, ANI ने एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि पूर्वी लद्दाख में देपसांग और डेमचोक का मसला अभी भी अनसुलझा है। पिछले 3 साल में दोनों पक्षों के बीच इन पॉइंट्स को लेकर कोई डेवलपमेंट नहीं हुआ है।
NSA अजीत डोभाल ने चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात के दौरान बॉर्डर पर शांति और सौहार्द बनाए रखने के महत्व की बात कही।
चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मिले NSA अजीत डोभाल NSA अजीत डोभाल ने गुरुवार 12 सितंबर को रूस में BRICS देशों के NSA की मीटिंग के दौरान चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की थी। इस दौरान अजीत डोभाल ने दोनों देशों के बीच संबंधों को सामान्य करने लिए सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने पर जोर दिया था।
उन्होंने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) का सम्मान करने के लिए भी कहा। इस बैठक में दोनों देशों ने जल्द से जल्द बाकी इलाकों से भी सेना की वापसी में तेजी लाने पर सहमति जताई।
NSA डोभाल ने जोर देते हुए कहा कि दोनों देशों को द्विपक्षीय समझौते, प्रोटोकॉल और आपसी सहमतियों का पूरी तरह से पालन करना चाहिए।
जय शंकर ने कहा था- 75% मामले सुलझे जिनेवा में एक समिट के दौरान बात करते हुए जयशंकर ने भी चीन के मुद्दे पर बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि 2020 में चीन और भारत के बीच गलवान में हुई झड़प ने दोनों देशों के रिश्तों को बुरी तरह प्रभावित किया है।
सीमा पर हिंसा होने के बाद या नहीं हो सकता कि इससे दोनों देशों पर असर नहीं पड़ेगा। दोनों देशों के बीच बातचीत जारी है। सीमा पर दोनों देशों की सेनाओं का एक-दूसरे के आमने-सामने होना एक बड़ा मुद्दा है। अगर सीमा विवाद का समाधान हो जाता है, तो भारत-चीन संबंधों में सुधार संभव है।
भारत-चीन के बीच 21 दौर की चर्चा हो चुकी भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच मई 2020 से टकराव चल रहा है। दोनों देशों के बीच सीमा विवाद का अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला है। हालांकि, दोनों देशों की सेनाएं LAC के कई पॉइंट्स से अलग हो गई हैं। जून 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के संबंध भी बिगड़े।
भारत हमेशा यह कहता रहा है कि जब तक बॉर्डर एरिया में शांति नहीं होगी, चीन के साथ उसके संबंध सामान्य नहीं हो सकते। दोनों देशों की सेनाओं के बीच सीमा पर टकराव विवाद को हल करने के लिए अब तक कोर कमांडर-लेवल की 21 दौर की चर्चा हो चुकी है।
गलवान घाटी में क्या हुआ था? 15 जून 2020 को चीन ने ईस्टर्न लद्दाख के सीमावर्ती इलाकों में एक्सरसाइज के बहाने सैनिकों को जमा किया था। इसके बाद कई जगह पर घुसपैठ की घटनाएं हुई थीं। भारत सरकार ने भी इस इलाके में चीन के बराबर संख्या में सैनिक तैनात कर दिए थे। हालात इतने खराब हो गए कि LAC पर गोलियां चलीं।
इसी दौरान 15 जून को गलवान घाटी में चीनी सेना के साथ हुई झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। बाद में भारत ने भी इसका मुंहतोड़ जवाब दिया था। इसमें करीब 60 चीनी जवान मारे गए थे।
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16 जून, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का जन्मदिन है और वे इसे जल्दी नहीं भूल पाएंगे, क्योंकि 2020 में इसी दिन 20 साल में पहली बार चीन और उसकी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को सबसे घातक मुठभेड़ का सामना करना पड़ा था। यह कहना था पूर्व आर्मी चीफ जनरल मनोज मुकुंद नरवणे का। नरवणे ने अपनी ऑटोबायोग्राफी ‘फोर स्टार्स ऑफ डेस्टिनी’ में 2020 में गलवान वैली में भारतीय सेना और चीन की आर्मी के बीच हुई हिंसक झड़प के बारे कई बातें लिखीं। उनकी ऑटोबायोग्राफी जनवरी 2024 में लॉन्च हुई। पढ़ें पूरी खबर…
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