in

चीन की कंपनियों ने रूसी तेल खरीदना कम किया: दावा- अमेरिकी प्रतिबंधों का डर से फैसला लिया; भारतीय कंपनियां भी खरीदारी कम कर रहीं Today World News

चीन की कंपनियों ने रूसी तेल खरीदना कम किया:  दावा- अमेरिकी प्रतिबंधों का डर से फैसला लिया; भारतीय कंपनियां भी खरीदारी कम कर रहीं Today World News

[ad_1]

बीजिंग5 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक

अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने रूस की बड़ी तेल कंपनियों और उनके कुछ ग्राहकों पर पाबंदियां लगाई हैं, जिसके बाद अब चीन की तेल कंपनियां रूसी तेल खरीदने से पीछे हट रही हैं।

बलूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक चीन की सरकारी कंपनियां जैसे सिनोपेक और पेट्रोचाइना ने हाल ही में रूस से तेल की कई खेपें रद्द कर दी हैं।

ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि अमेरिका ने पिछले महीने रूस की दो सबसे बड़ी तेल कंपनियों, रॉसनेफ्ट और लुकोइल पर प्रतिबंध लगाए थे।

चीन की कुछ निजी छोटी रिफाइनरियां, जिन्हें टीपॉट्स कहा जाता है, भी रूसी तेल खरीदने से डर रही हैं।

उन्हें डर है कि अगर उन्होंने रूस से सौदा किया तो उन पर भी वैसी ही सजा लग सकती है जैसी ब्रिटेन और यूरोपीय संघ ने हाल ही में शानडोंग युलोंग पेट्रोकेमिकल कंपनी पर लगाई थी।

बैन की वजह से रूसी तेल की कीमतें गिरीं

रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी तेल प्रतिबंधों का असर खास तौर पर रूस के ESPO ग्रेड तेल पर पड़ा है, जिसकी कीमतों में तेज गिरावट आई है। एक अनुमान के मुताबिक करीब 4 लाख बैरल तेल प्रतिदिन, यानी चीन के रूस से कुल आयात का लगभग 45% हिस्सा, इससे प्रभावित हुआ है।

रूस अब तक चीन का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बना हुआ है। ऐसा इसलिए संभव हुआ क्योंकि यूक्रेन युद्ध के बाद रूस पर लगे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों की वजह से उसका तेल बहुत सस्ता मिल रहा था।

लेकिन अब अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने रूस के तेल उत्पादकों और उनके खरीदारों दोनों पर पाबंदियां बढ़ा दी हैं, ताकि रूस की तेल से होने वाली कमाई को रोका जा सके और उस पर युद्ध खत्म करने का दबाव बनाया जा सके।

ब्लैकलिस्टेड कंपनियों को तेल बेच रहा रूस

हालांकि रूस के लिए यह पूरी तरह नुकसान का सौदा नहीं है। जिस युलोंग कंपनी को पश्चिमी देशों ने ब्लैकलिस्ट किया था और जिससे कई देशों ने तेल सौदे रद्द कर दिए थे, वह अब मजबूरी में रूस से ही तेल खरीद रही है क्योंकि उसके पास और कोई विकल्प नहीं बचा।

दूसरी निजी चीनी रिफाइनरियां स्थिति देख रही हैं और फिलहाल कोई ऐसा कदम नहीं उठा रहीं जिससे उन पर भी प्रतिबंध लग सकें। इसके अलावा, चीन में इन निजी रिफाइनरियों के पास इस साल के लिए तेल आयात के कोटा लगभग खत्म हो चुके हैं। टैक्स नीतियों में हाल के बदलावों के कारण भी वे अन्य स्रोतों से तेल नहीं खरीद पा रही हैं। इसका मतलब है कि भले वे रूस से सस्ता तेल खरीदना चाहें, फिर भी वे ऐसा नहीं कर पाएंगी।

ट्रम्प-जिनपिंग की मुलाकात से हालात उलझे

रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रम्प और शी जिनपिंग की मुलाकात से हालात और उलझ गए हैं। दोनों नेताओं ने सेमीकंडक्टर, रेयर अर्थ मेटल्स और सोयाबीन जैसे व्यापारिक मसलों पर तो कुछ नए समझौते किए, लेकिन रूसी तेल पर कोई चर्चा नहीं हुई।

इसी बीच अमेरिका ने घोषणा की है कि चीन अपने रेयर अर्थ मेटल्स पर लगाए गए नए निर्यात नियंत्रणों को स्थगित करेगा और अमेरिकी सेमीकंडक्टर कंपनियों पर चल रही जांचें खत्म करेगा।

इसके अलावा, क्लीन एनर्जी कंपनियों के शेयरों में उछाल देखने को मिला है, जिससे हरे-ऊर्जा में निवेशकों को उम्मीद जगी है कि लंबे समय से चल रही मंदी अब खत्म हो सकती है।

वहीं, चीन ने सोने पर मिलने वाली कर छूट भी खत्म करने का फैसला किया है, जो दुनिया के सबसे बड़े सोना बाजारों में से एक के लिए झटका माना जा रहा है।

[ad_2]
चीन की कंपनियों ने रूसी तेल खरीदना कम किया: दावा- अमेरिकी प्रतिबंधों का डर से फैसला लिया; भारतीय कंपनियां भी खरीदारी कम कर रहीं

निवेशकों की हुई बल्ले-बल्ले! केनरा बैंक के शेयरों में आई जबरदस्त तेजी, मुनाफा भी बढ़ा Business News & Hub

निवेशकों की हुई बल्ले-बल्ले! केनरा बैंक के शेयरों में आई जबरदस्त तेजी, मुनाफा भी बढ़ा Business News & Hub

टीवी की ‘भाभीजी’ के पीछे पागल हुआ सरफिरा आशिक, डर से एक्ट्रेस का हुआ बुरा हाल Latest Entertainment News

टीवी की ‘भाभीजी’ के पीछे पागल हुआ सरफिरा आशिक, डर से एक्ट्रेस का हुआ बुरा हाल Latest Entertainment News