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चिन्मय दास की जमानत पर आज हो सकती है सुनवाई: 25 नवंबर से बांग्लादेश जेल में बंद हैं हिंदू संत; राष्ट्रीय ध्वज के अपमान का आरोप Today World News

चिन्मय दास की जमानत पर आज हो सकती है सुनवाई:  25 नवंबर से बांग्लादेश जेल में बंद हैं हिंदू संत; राष्ट्रीय ध्वज के अपमान का आरोप Today World News

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ढाका8 मिनट पहले

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2 जनवरी को चटगांव की निचली अदालत ने चिन्मय दास की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।

बांग्लादेश में हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की जमानत पर आज यानी सोमवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हो सकती है। चिन्मय दास पर बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज के अपमान का आरोप है। इस मामले में राजद्रोह का केस दर्ज कर उन्हें 25 नवंबर 2024 को गिरफ्तार किया गया था।

इससे पहले 2 जनवरी को चटगांव की निचली अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद चिन्मय दास के वकील अपूर्व कुमार भट्टाचार्य ने 12 जनवरी को हाईकोर्ट में जमानत के लिए अर्जी दाखिल की।

2 जनवरी की सुनवाई के दौरान वकील अपूर्व भट्टाचार्य ने कोर्ट से कहा था कि चिन्मय दास बांग्लादेशी ध्वज का सम्मान करते हैं और वो बांग्लादेश को अपनी मातृभूमि मानते हैं। वो देशद्रोही नहीं हैं। चिन्मय दास बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों के मुखर समर्थक रहे हैं।

बांग्लादेश पुलिस चिन्मय प्रभु को 3 दिसंबर को चटगांव मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट में ले जाती हुई।

बांग्लादेश पुलिस चिन्मय प्रभु को 3 दिसंबर को चटगांव मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट में ले जाती हुई।

25 नवंबर को संत चिन्मय दास गिरफ्तार हुए थे

बांग्लादेश पुलिस ने पिछले साल 25 नवंबर को ढाका के हजरत शाहजलाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट से चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को गिरफ्तार किया था। तब वे चटगांव जा रहे थे। मौके पर मौजूद इस्कॉन के सदस्यों ने कहा कि डीबी पुलिस ने कोई गिरफ्तारी वारंट नहीं दिखाया। उन्होंने बस इतना कहा कि वे बात करना चाहते हैं। इसके बाद वो उन्हें माइक्रोबस में बैठाकर ले गए।

ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की जासूसी शाखा (डीबी) के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त रेजाउल करीम मल्लिक ने कहा कि पुलिस के अनुरोध के बाद चिन्मय कृष्ण दास को गिरफ्तार किया गया। चिन्मय दास को कानूनी प्रक्रिया के लिए संबंधित पुलिस स्टेशन को सौंप दिया जाएगा।

चिन्मय प्रभु को 25 नवंबर को कोर्ट ले जाते हुए बांग्लादेश के पुलिस अधिकारी।

चिन्मय प्रभु को 25 नवंबर को कोर्ट ले जाते हुए बांग्लादेश के पुलिस अधिकारी।

कौन हैं संत चिन्मय प्रभु ?

चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी का असली नाम चंदन कुमार धर है। वे चटगांव इस्कॉन के प्रमुख हैं। बांग्लादेश में जारी हिंसा के बीच 5 अगस्त 2024 को PM शेख हसीना ने देश छोड़ दिया था। इसके बाद बड़े पैमाने पर हिंदुओं के साथ हिंसक घटनाएं हुईं।

इसके बाद बांग्लादेशी हिंदुओं और अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के लिए सनातन जागरण मंच का गठन हुआ। चिन्मय प्रभु इसके प्रवक्ता बने। सनातन जागरण मंच के जरिए चिन्मय ने चटगांव और रंगपुर में कई रैलियों को संबोधित किया। इसमें हजारों लोग शामिल हुए।

क्यों गिरफ्तार हुए चिन्मय प्रभु?

25 अक्टूबर को चटगांव के लालदीघी मैदान में नातन जागरण मंच ने 8 सूत्री मांगों को लेकर एक रैली की थी। इसे चिन्मय कृष्ण दास ने भी संबोधित किया था। इस दौरान न्यू मार्केट चौक पर कुछ लोगों ने आजादी स्तंभ पर भगवा ध्वज फहराया था। इस ध्वज पर आमी सनातनी लिखा हुआ था।

रैली के बाद 31 अक्टूबर को बेगम खालिदा जिया की बीएनपी पार्टी के नेता फिरोज खान ने चिन्मय कृष्ण दास समेत 19 लोगों के खिलाफ चटगांव में राजद्रोह का केस दर्ज कराया था। उन पर राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप है।

बांग्लादेश के चटगांव में आजादी स्तम्भ पर भगवा ध्वज लगाया गया था, जिसे बाद में हटा लिया गया।

बांग्लादेश के चटगांव में आजादी स्तम्भ पर भगवा ध्वज लगाया गया था, जिसे बाद में हटा लिया गया।

बांग्लादेश में लगातार बढ़ रहे हिंदुओं पर हमले

बांग्लादेश में 5 अगस्त 2024 को शेख हसीना सरकार गिरने के बाद से भारत विरोधी भावनाओं को बल मिला है। इसके अलावा अल्पसंख्यकों से जुड़े धार्मिक स्थलों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है। हिंदू नेताओं को धमकियां मिल रही हैं। चिन्मय दास हिन्दू मंदिरों की सुरक्षा के मुद्दे को काफी समय से उठाते रहे हैं।

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