चिंताजनक: सिरसा के कालांवाली क्षेत्र में नशे के कारण दो दिन में चार युवकों की मौत, युवा घर से राशन बेचकर खरीदने लगे नशीली गोलियां


हरियाणा सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद नशे के कारोबार पर लगाम नहीं लग पा रहा है। सिरसा के कालांवाली क्षेत्र में दो दिन में चार युवकों की नशे के कारण मौत हो चुकी है। इनमें से केवल एक ही परिवार के सदस्यों ने तस्करों के खिलाफ पुलिस से शिकायत की है। पहले मामले में पुलिस को दी शिकायत में गुरजंट सिंह ने बताया कि वह गांव पक्का शहीदा निवासी है। मृतक रोही राम (30) उसका भतीजा था और उसके दो बच्चे हैं। रोही राम नशे का आदी था। रोही के नशे के आदी होने की जानकारी मिलने के बाद उसे परिवार के सदस्यों ने काफी समझाया।

रोही ने बताया था कि गांव के ही सतबीर सिंह, गामा सिंह, तार सिंह और राजा सिंह उसे सिरिंज से नशे की डोज देता है और उसने कई बार उनसे नशे की डोज लगवाई है। इसके बाद वह अपने परिवार के सदस्यों के साथ आरोपियों के घर पर भी गया और उन्हें रोही को नशा नहीं देने की बात कहीं।

आरोप है कि उक्त आरोपियों ने उनकी एक नहीं सुनी और उसे नशा देते रहे। बीते दिन शनिवार को उसका भतीजा रोही दवाई लेने की बात कहकर घर से चला गया था। शाम तक वह घर पर नहीं आया। इसके बाद उन्होंने उसकी तलाश शुरू कर दी। इसी दौरान गांव के चौकीदार बग्गा के घर के बाहर वह पड़ा हुआ मिला। उसने देखा तो वह मृत पड़ा था। गुरजंट सिंह का आरोप है कि आरोपियों द्वारा ओवरडोज दिए जाने के कारण उसके भतीजे की मौत हुई है।

चचेरे भाई की नशे के कारण मौत 

वहीं, शोकरण सिंह ने बताया कि शुक्रवार को ही उसके चचेरे भाई 24 वर्षीय कुलविंद्र उर्फ गूगू की नशे के कारण मौत हो गई थी। हालांकि इस संबंध में उन्होंने पुलिस को मामले की शिकायत नहीं दी थी। 

तीसरे मामलेे में पंजाब के गांव गुरदास निवासी 31 वर्षीय गुरजीत सिंह लंबे समय से कालांवाली मंडी में शराब ठेकेदार के पास काम कर रहा था। गुरजीत ट्रक का ड्राइवर था। गुरजीत ठेकेदार के घर कालांवाली मंडी में ही रहता था। वह सुबह के समय जब घर पर पहुंचा तो उसने गेट खोलने के लिए आवाज लगाई। इसी दौरान उसकी हार्टअटैक से मौत हो गई। गुरजीत नशे का आदी बताया जा रहा है।

चौथे मामले में कालांवाली के ही वार्ड नंबर एक निवासी 25 वर्षीय युवक की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। इस मामले की पुलिस को कोई भी सूचना नहीं दी गई। उसका अंतिम संस्कार कर दिया। बताया जा रहा है यह युवक भी नशे का आदी था, जिसके कारण उसकी मौत हो गई है। 

ग्रामीण बोले,  गांव में बच्चा-बच्चा कर रहा है नशा

वहीं, गांव पक्का शहीदा के ग्रामीणों का कहना है गांव में अब बच्चा बच्चा ही चिट्टे नशे का आदी है। गांव में सरेआम नशे की सप्लाई होती है। पुलिस नशे के धंधे में लिप्त लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करती। गांव के युवा ही चिट्टे व नशे में उपयुक्त होने वाली मेडिकल गोलियों का इंजेक्शन लगाते हैं, जिसके कारण उनके गांव की स्थिति अब काफी खराब हो चुकी है। 

नशे के कारण एक युवक की मौत होने का मामला प्रकाश में आया है। परिजनों के बयान दर्ज करने के बाद पोस्टमार्टम करवा शव परिजनों को सौंप दिया है। परिजनों के बयान पर गांव की ही चार लोगों के खिलाफ गैरइरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया है। जल्द ही आरोपियों को काबू किया जाएगा।  -ओम प्रकाश, थाना प्रभारी, कालांवाली।

भयावह स्थिति : घर से आटा, चावल और दाल बेचकर खरीदने लगे नशीली गोलियां

सिरसा जिले में स्थिति काफी भयावह हो चुकी है। खुलेआम बाजारों में बिकती नशीली गोलियां बच्चों और युवाओं की जिंदगी को बर्बाद करने पर तुली है। यही वजह है कि नशे के आदी युवक घर से चावल, दाल, आटा और अन्य सामान बेचकर नशीला पदार्थ खरीदने लगे हैं। मुख्य रूप से कालांवाली क्षेत्र का गांव पक्का शहीदा में तस्करों ने गहरी जड़ें जमा रखी हैं। ग्रामीणों ने नशा तस्करी को रोकने के लिए करीब एक वर्ष पहले ही 20 सदस्य कमेटी का गठन किया था। ग्रामीणों ने जब तस्करों को पकड़वाना शुरू किया तो उनकी जान पर बन आई। तस्कर बाहर आकर कमेटी के सदस्यों को जान से मारने की धमकियां देने लगे। इसके बाद कमेटी के सदस्यों ने निगरानी करनी ही बंद कर दी। अब बिना रोकटोक के ही गांव में नशे की सप्लाई हो रही है। 

तस्करों को पकड़वाने के लिए बनाई कमेटी, धमकियां मिली तो काम करना पड़ा बंद

पक्का शहीदा निवासी शोकरण सिंह ने बताया कि गांव में अब छोटे-छोटे बच्चे भी नशीले पदार्थों का इस्तेमाल करने लगे हैं। हर दुकान पर नशे में उपयुक्त होने वाली गोलियां और तस्करों से चिट्टा आसानी से मिल जाता है। नतीजतन गांवों के युवा नशे के आदी हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि करीब एक वर्ष पहले गांव की पंचायत ने 20 सदस्यीय कमेटी का गठन किया था। रात-दिन गांव में टिक्करी पहरा देकर नशा की सप्लाई देने वाले तस्करों को पुलिस को पकड़वाते थे, जिसके चलते कुछ हद तक स्थिति ठीक थी। हालांकि तस्कर कुछ समय बाद ही जेल से बाहर आ जाते और कमेटी के सदस्यों को धमकियां देनी शुरू कर देते थे। इस कारण गांव में डर का माहौल बनना शुरू हो गया। अब बीते छह माह से कमेटी ने भी काम करना बंद कर दिया है। सरेआम गांव में चिट्टा और नशे में उपयुक्त होने वाली गोलियां मिल जाती हैं। 

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