राष्ट्र संत महायोगी उपाध्याय 108 डाॅ. गुप्ति सागर महाराज ने श्रद्धालुओं को चातुर्मास का महत्व समझाया। उन्होंने कहा कि चातुर्मास का अर्थ है ठहराव, यही वह समय है, जब सारी धरती जीवों की उत्पत्ति का स्थान बन जाती हैं, इसलिए श्रमण संस्कृति के अनुसार ऋषि मुनि, सन्यासी एक स्थान पर रुककर आत्म साधना करते हुए अपने भक्तों का सत्संग में मन लगाकर उन्हें बुराइयों से बचाते हैं।
डॉ. गुप्ति सागर महाराज रविवार को सेक्टर-15 स्थित पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर में 48वें पावन वर्षा योग स्थापना के भव्य कार्यक्रम में प्रवचन कर रहे थे। इससे पहले मंदिर परिसर में डाॅ. गुप्ति सागर महाराज का भव्य स्वागत किया गया। उन्होंने कहा कि रसायन विज्ञान के अनुसार चातुर्मास में उत्तम स्वास्थ्य के लिए साग सब्जी खाना निषेध है। वजह यही है कि इनके सेवन से कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियां जन्म लेती हैं। इस दौरान साधु, संत-महात्मा अपने भक्तों के साथ मिलकर देश व समाज की समस्याओं का समाधान खोजते हैं।
चातुर्मास में सोनीपत में निवास करेंगे राष्ट्र संत 108 डाॅ. गुप्ति सागर महाराज