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Faridabad News: 7 सितंबर की रात लगने वाले साल के अंतिम चंद्र ग्रहण का असर गर्भवती महिलाओं और रोगियों पर गहरा हो सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि इस दौरान बाहर का भोजन न खाएं यात्रा से बचें.
खास बात यह है कि यह ग्रहण भारत में पूर्ण रूप से दृश्य होगा. शास्त्रों में इसे लेकर कई तरह की मान्यताएं बताई गई हैं, खासकर गर्भवती महिलाओं को इस दौरान विशेष सावधानियां बरतने की सलाह दी जाती है. मान्यता है कि चंद्र ग्रहण का असर गर्भस्थ शिशु पर भी पड़ सकता है इसलिए छोटी-सी चूक भी नुकसान पहुंचा सकती है.
फरीदाबाद के सर्वोदय अस्पताल के आयुर्वेदिक कंसल्टेंट डॉ. चेतन शर्मा ने Local18 से बातचीत में बताया कि 7 सितंबर को लगने वाले चंद्र ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं और पुराने रोगियों को विशेष ध्यान रखने की जरूरत है. आयुर्वेद के अनुसार जब चंद्र ग्रहण लगता है तो चंद्रमा की प्रकृति, नकारात्मक रूप में बदल जाती है. इनका असर सीधा हमारे शरीर और मन पर पड़ता है. गर्भवती महिला पर इसका असर दोहरी तरह से होता है…एक मां पर और दूसरा गर्भ में पल रहे बच्चे पर। इसलिए जरूरी है कि इस दौरान महिलाएं बाहर निकलने से बचें और अनावश्यक सफर न करें.
डॉ. शर्मा का कहना है कि ग्रहण के समय बाहर का भोजन बिल्कुल नहीं खाना चाहिए. कोशिश करें कि घर पर ही ताजा भोजन बनाकर खाएं. खासतौर पर रेस्त्रां या होटल से खाना मंगाने से बचना चाहिए क्योंकि इस दौरान बाहर का भोजन शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है. साथ ही घर में ऐसे स्थान पर रहें जहां चंद्रमा की किरणें सीधी न पड़ें. माना जाता है कि ग्रहणकाल में जहां-जहां चांद की रोशनी पड़ती है वहां उसका असर अवश्य होता है.
विशेषज्ञों के अनुसार गर्भवती महिलाएं ग्रहण के समय आराम करें, मानसिक तनाव से बचें और जितना हो सके शांत वातावरण में रहें. यह अवधि कुछ ही घंटों की होती है, लेकिन लापरवाही से इसके दुष्परिणाम लंबे समय तक परेशान कर सकते हैं. आयुर्वेद और परंपराओं में कही गई इन सावधानियों का पालन करके मां और गर्भस्थ शिशु दोनों को सुरक्षित रखा जा सकता है. आखिरकार सावधानी हटी और दुर्घटना घटी जैसी कहावतें यूं ही नहीं कही जातीं.
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