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पंजाब यूनिवर्सिटी में शहीदी पर्व को लेकर विवाद।
गुरू तेग बहादुर के 350 वें शहीदी पर्व पर पंजाब यूनिवर्सिटी PU चंडीगढ़ में होने वाले सेमिनार को लेकर विवाद बना हुआ है। PU प्रशासन की तरफ से सेमिनार की मंजूरी नहीं दी है, जबकि स्टूडेंट ऑर्गेनाइजेशन सथ के सदस्य सेमिनार करवाने को लेकर अड़े हुए हैं। यह सेमि
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स्टूडेंट ऑर्गेनाइजेशन सथ के नेता अशमीत सिंह।
सेमिनार में वक्ताओं को लेकर है विवाद स्टूडेंट ऑर्गेनाइजेशन सथ के स्टूडेंट श्री गुरु तेग बहादुर जी के 350 वे शहीदी पर्व पर PU में सेमिनार करवाने का ऐलान किया हुआ है। इस सेमिनार में सिख हिस्टोरियन अजमेर सिंह मुख्य वक्ता के तौर पर आ रहे हैं, उनके साथ जसवंत सिंह खालड़ा के भाई अमरजीत सिंह खालड़ा ने आना है। इसे लेकर ही विवाद खड़ा हुआ है। यूनिवर्सिटी की तरफ से यह कहकर मंजूरी नहीं दी गई है कि उनके सेमिनार में आने वाले वक्ता विवादित हैं और इसे लेकर अब विवाद और गहरा गया है। ऑर्गेनाइजेशन नेता और पंजाब यूनिवर्सिटी स्टूडेंट ऑर्गेनाइजेशन के उपाध्यक्ष अशमीत सिंह ने आरोप लगाया है कि उन्हें यहां पर सेमिनार नहीं करने दिया जा रहा है। यूनिवर्सिटी के डीन ऑफ स्टूडेंट वेलफेयर DSW अमित चौहान का कहना है कि जिस वक्ता को बुलाया गया है कि वह विवादित शख्सियत हैं। इसलिए उन्हें यहां संबोधन की इजाजत नहीं दी जा सकती है।

उस सेमिनार का पोस्टर जिसे लेकर विवाद है।
कौन हैं अजमेर सिंह, जिन्हें लेकर विवाद अजमेर सिंह बठिंडा के मंडी कलां में पैदा हुए। 1984 में श्री हरिमंदिर साहिब पर हुए हमले के बाद वह दिल्ली चले गए और वहां से अखबार निकालने लगे थे। उनका ज्यादा समय अंडर ग्राउंड गुजरा है। वह लेखक हैं और पंजाब के काले दौर के दौरान पंजाबियों पर हुए अत्याचार की बात करते हैं। उनकी विचारधारा से काफी संख्या लोग सहमत नहीं होते हैं। उनके द्वारा पंजाब के हालातों पर चार किताबें भी लिखी गई हैं।

श्री फतेहगढ़ साहिब से सांसद मालविंदर सिंह कंग।
सांसद कंग ने भी लिखा यूनिवर्सिटी VC को पत्र श्री फतेहगढ साहिब से सांसद और PU के एलूमिनी कंग की तरफ से वाइस चांसलर रेनू विज को पत्र लिखा है। उनकी तरफ से लिखा गया है कि छात्र संगठन ने मुझसे संपर्क किया है और मेरा ध्यान श्री गुरु तेग बहादुर की 350वीं शहादत वर्षगांठ को समर्पित एक सेमिनार की अनुमति देने से अनुचित रूप से इनकार करने की ओर दिलाया है। सांसद मालविंदर कंग ने कहा कि वह इस बात का लेकर निराश हैं कि प्रशासन ने इस सेमिनार के लिए अनुमति नहीं देने का फैसला किया है, जिसमें अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त एक सम्मानित सिख राजनीतिक विश्लेषक और विद्वान सरदार अजमेर सिंह की भागीदारी को लेकर कथित चिंताओं का हवाला दिया गया है।
यह तर्क कि सरदार अजमेर सिंह अपने अतीत के कारण एक “विवादास्पद व्यक्ति” हैं, यह सही नहीं है। तीन दशकों से अधिक समय से सरदार अजमेर सिंह जनता के बीच खुलेआम जा रहे हैं और उनके खिलाफ कोई कानूनी मामला लंबित नहीं है। सिख विद्वत्ता में उनके योगदान को व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है और उन्हें पंजाब और उसके बाहर के विश्वविद्यालयों सहित कई प्रतिष्ठित मंचों पर बोलने के लिए आमंत्रित किया गया है।
ऐसे व्यक्ति को विश्वविद्यालय के दर्शकों को संबोधित करने के लिए अयोग्य करार देना न केवल शैक्षणिक स्वतंत्रता का अपमान है, बल्कि बौद्धिक विमर्श की उस भावना के साथ भी घोर अन्याय है, जिसका पंजाब विश्वविद्यालय लंबे समय से समर्थन करता रहा है।
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चंडीगढ़ में शहीदी पर्व पर सेमिनार को लेकर विवाद: PU की इजाजत नहीं, फिर भी करवाने पर अड़ी स्टूडेंट ऑर्गेनाइजेशन सथ – Chandigarh News

