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चंडीगढ़ में लांग रूट की बसें लोकल रूट पर चलेंगी: हटेंगी 100 डीजल बसें, ट्रांसपोर्ट विभाग की वैकल्पिक योजना तैयार – Chandigarh News Chandigarh News Updates

चंडीगढ़ में लांग रूट की बसें लोकल रूट पर चलेंगी:  हटेंगी 100 डीजल बसें, ट्रांसपोर्ट विभाग की वैकल्पिक योजना तैयार – Chandigarh News Chandigarh News Updates

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चंडीगढ़ की सड़कों से जल्द ही 100 पुरानी डीजल बसें हटने जा रही हैं। जिसके बाद लोगों को किसी भी तरह की कोई परेशानी न आए, उसी के चलते जिन लांग रूट्स पर यात्रियों की संख्या कम है, वहां की बसों को बंद कर उन्हें लोकल रूट्स में लगाया जाएगा, ताकि लोगों को आन

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इन बसों की मियाद पूरी हो चुकी है और कई बसें अब काला धुआं छोड़ने लगी हैं। हालांकि, ट्रांसपोर्ट विभाग ने यात्रियों की सुविधा को देखते हुए वैकल्पिक योजना तैयार की है। विभाग अब कम यात्रियों वाले लांग रूट की बसों को बंद कर उन्हें लोकल रूट पर चलाने की तैयारी में है, ताकि शहरवासियों को किसी तरह की दिक्कत न हो।

केंद्र सरकार ने दी 385 ई-बसों की मंजूरी

केंद्र सरकार ने यूटी प्रशासन को नई 385 इलेक्ट्रिक बसों की खरीद की मंजूरी दे दी है। प्रशासन ने बताया कि इन ई-बसों की खरीद प्रक्रिया को तेज किया जाएगा, ताकि जो डीजल बसें हटाई जा रही हैं, उनकी जगह जल्द ही ई-बसें सड़कों पर उतारी जा सकें। पहले 85 सीएनजी बसों को किराए पर लेने का प्रस्ताव रखा गया था, लेकिन उच्च अधिकारियों ने इसे मंजूरी नहीं दी थी।

चंडीगढ़ सीटीयू बस।

पुरानी बसें बन चुकीं परेशानी

सीटीयू डिपो नंबर-4 में खड़ी इन 100 पुरानी डीजल बसों की हालत काफी खराब हो चुकी है। इनमें से कई बसें अब सड़कों पर चलते समय काला धुआं छोड़ने लगी हैं। ये बसें साल 2010 में दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान एक स्कीम के तहत चंडीगढ़ को मिली थीं। ट्रांसपोर्ट विभाग के निदेशक प्रधुम्न सिंह का कहना है कि विभाग का प्रयास रहेगा कि बसों को हटाने के बाद किसी भी तरह की असुविधा न हो।

सीटीयू की ये बसें मुख्य रूप से चंडीगढ़, मोहाली और पंचकूला के बीच चलती हैं। कुछ बसें शहर के अंदरूनी रूट्स पर भी संचालित हैं। आंकड़ों के मुताबिक, चंडीगढ़ आने वाले 65 प्रतिशत यात्री सीटीयू बसों से ही सफर करना पसंद करते हैं। रोजाना हजारों लोग पंचकूला और मोहाली से चंडीगढ़ काम के लिए इन बसों के जरिए आते हैं। सीटीयू की बसें ट्राईसिटी में 20 से 25 किलोमीटर तक का सफर तय करती हैं।

मेट्रो प्रोजेक्ट अब भी फाइलों में कैद

शहर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट का पूरा सिस्टम इस समय बसों पर निर्भर है। मेट्रो प्रोजेक्ट को लेकर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा सका है। प्रशासन के पास फंड की कमी है और केंद्र सरकार की ओर से भी इस दिशा में विशेष रुचि नहीं दिखाई जा रही है। ऐसे में प्रशासन बस सर्विस को ही मजबूत कर ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने की योजना पर काम कर रहा है। मेट्रो प्रोजेक्ट साल 2010 से अब तक सिर्फ फाइलों में ही अटका हुआ है।

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