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चंडीगढ़ नगर निगम की मेयर हरप्रीत कौर बबला।
चंडीगढ़ नगर निगम को वित्तीय संकट के बीच एक और बड़ा झटका लगा है। क्योंकि यूटी प्रशासन ने गौ सेस राजस्व में निगम की हिस्सेदारी को भारी रूप से घटा दिया है। निगम को मिलने वाली राशि 2020-21 में 15.15 करोड़, 2021-22 में 21.02 करोड़ और 2022-23 में 20.25 करो
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गौ सेस से मिलने वाली यह राशि गोशाला संचालन, देखभाल, रखरखाव और गौ कल्याण से जुड़े अन्य कार्यों पर खर्च की जाती है। लेकिन अब इस कटौती से निगम के लिए इन कार्यों को जारी रखना मुश्किल हो सकता है। वित्तीय संकट से जूझ रहे नगर निगम ने प्रशासन से 2020-21 के स्तर की गौ सेस राशि बहाल करने की मांग की है।
खर्चा निगम का आय प्रशासन को
चंडीगढ़ के सीनियर डिप्टी मेयर जसबीर सिंह बंटी ने कहा कि पहले से आर्थिक संकट झेल रहे निगम की आय बढ़ाने के बजाय प्रशासन गौ सेस में भी कटौती कर चुका है। इससे गौशालाओं के संचालन और रखरखाव में मुश्किलें आ रही हैं। उन्होंने कहा कि निगम ने प्रशासन से रजिस्ट्रेशन एंड लाइसेंसिंग अथॉरिटी (RLA) और डिस्पेंसरियों को निगम को सौंपने की मांग की थी, जिससे आय बढ़ सके, लेकिन प्रशासन ने अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया।

चंडीगढ नगर निगम के सीनियर डिप्टी मेयर जसबीर बंटी।
शहर की सड़कों की मरम्मत और स्ट्रीट लाइट्स का रखरखाव नगर निगम करता है, लेकिन इससे होने वाली पूरी आय प्रशासन के पास जाती है। पार्षदों और मेयर ने कई बैठकों में यह मुद्दा उठाया है कि या तो प्रशासन इन कामों को खुद करवाए या फिर पूरे विभाग को निगम के हवाले कर दे।

जीएसटी में हिस्से की मांग
मेयर हरप्रीत कौर बबला ने कहा कि निगम की वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए प्रशासन से जीएसटी में भी हिस्सेदारी मांगे जाने पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जब तक निगम के पास फंड नहीं आता, तब तक विकास कार्यों को रोकना पड़ा है। जैसे ही निगम को फंड मिलेगा, सभी पार्षदों के वार्डों में रुके हुए कार्य शुरू कर दिए जाएंगे।
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चंडीगढ़ में खर्चा निगम का, राजस्व ले रहा प्रशासन: गौ सेस में कटौती की, वित्तीय संकट में फंसा, GST में मांगी जाएगी हिस्सेदारी – Chandigarh News