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चंडीगढ़ के डॉक्टर महेश चंद्र की याचिका को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अश्वनी कुमार की अदालत ने खारिज कर दिया है। यह याचिका निचली अदालत के उस आदेश के खिलाफ दायर की गई थी, जिसमें डॉक्टर विदुर भल्ला और डॉक्टर राज बहादुर के खिलाफ दर्ज की गई शिकायत को खारिज क
.
अदालत ने यह भी कहा कि शिकायतकर्ता पहले ही डॉक्टर विदुर भल्ला की नियुक्ति को लेकर केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण में चुनौती दे चुके हैं, इसलिए इस मामले में दोबारा आपराधिक कार्रवाई नहीं की जा सकती।
जानिए पूरा मामला क्या था
डॉक्टर महेश चंद्र ने शिकायत में कहा था कि जीएमसीएच सेक्टर-32 के यूरोलॉजी विभाग में कार्यरत डॉक्टर विदुर भल्ला को फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र के आधार पर नियुक्त किया गया। उन्होंने आरोप लगाया था कि उस समय निदेशक प्राचार्य रहे डॉक्टर राज बहादुर ने डॉक्टर भल्ला को गलत अनुभव प्रमाण पत्र जारी किया था, ताकि उन्हें गलत तरीके से पद दिलाया जा सके।
शिकायत में कहा गया कि डॉक्टर भल्ला 2008 से केवल दो दिन (शुक्रवार और शनिवार) ही जीएमसीएच में आते थे और उनके पास आवश्यक शिक्षण अनुभव नहीं था। डॉक्टर महेश चंद्र ने पुलिस में शिकायत दी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई, जिसके बाद उन्होंने अदालत में मामला दायर किया।
कोई सबूत पेश नहीं कर सके
न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी की अदालत ने कहा था कि शिकायतकर्ता कोई सबूत पेश नहीं कर सके जिससे यह साबित हो कि डॉक्टर विदुर भल्ला और डॉक्टर राज बहादुर की कोई गलत या धोखाधड़ी की मंशा थी। अदालत ने पाया कि प्रमाण पत्र में यह नहीं लिखा कि डॉक्टर भल्ला के पास दो साल का शिक्षण अनुभव है, बल्कि सिर्फ इतना लिखा गया कि उन्होंने स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों को पढ़ाया। इसलिए शिकायत को खारिज कर दिया गया था।
सेशन कोर्ट ने भी माना आदेश सही
डॉक्टर महेश चंद्र ने इस आदेश को चुनौती दी, लेकिन सेशन कोर्ट ने भी कहा कि प्रमाण पत्र को झूठा या फर्जी साबित करने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं दिया गया। अदालत ने कहा कि दस्तावेजों और गवाहों के आधार पर यह नहीं कहा जा सकता कि प्रमाण पत्र फर्जी है या धोखाधड़ी की मंशा से जारी किया गया था।
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चंडीगढ़ डॉक्टर द्वारा दायर फर्जी प्रमाण पत्र मामला-याचिका खारिज: कोर्ट बोला: कोई ठोस सबूत नहीं, मजिस्ट्रेट का आदेश सही, GMCH यूरोलॉजी के डॉक्टर पर आरोप – Chandigarh News