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स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) को कैश क्रेडिट लोन न चुकाने के मामले में बड़ी राहत मिली है। चंडीगढ़ की सिविल जज (जूनियर डिवीजन) डॉ. अंबिका शर्मा की अदालत ने बैंक के पक्ष में फैसला सुनाते हुए मोहाली की कंपनी दून केमिकल्स एंड पेंट्स और उसकी प्रोपराइटर उष
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जानिए पूरा मामला
मामला 2018 का है जब मोहाली इंडस्ट्रियल एरिया फेज-7 स्थित दून केमिकल्स एंड पेंट्स की प्रोपराइटर उषा सिंह ने अपने कारोबार के लिए एसबीआई की एसएमई शाखा, सेक्टर-68, मोहाली से 6 लाख रुपए की कैश क्रेडिट लिमिट ली थी। बैंक ने उधारी की प्रक्रिया पूरी करने के बाद 24 मई 2018 को लोन की मंजूरी दी थी। इसके तहत उधारकर्ता ने बैंक के साथ लेटर ऑफ अरेंजमेंट और लोन-कम-हाइपोथिकेशन एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए थे। बैंक ने लोन पर ब्याज दर 10.9 प्रतिशत वार्षिक (बेस रेट से 2.75 प्रतिशत अधिक) तय की थी, जबकि डिफॉल्ट की स्थिति में 2 प्रतिशत पेनल इंटरेस्ट लगाने का प्रावधान रखा गया था।
नहीं किया समय पर भुगतान
एसबीआई की ओर से अदालत में कहा गया कि उषा सिंह ने बैंक से ली गई कैश क्रेडिट लिमिट का समय पर भुगतान नहीं किया और खाते में बार-बार अनियमितता की गई। बैंक ने कई बार भुगतान के लिए नोटिस जारी किए, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद बैंक ने खाते को 29 अप्रैल 2019 को एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट) घोषित कर दिया। इसके बाद बैंक ने 17 फरवरी 2020 को रजिस्टर्ड डाक से उधारी की पूरी रकम की वसूली के लिए रिकॉल नोटिस भेजा, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।
इसके बाद बैंक ने अदालत में ₹7,19,170 की रिकवरी के लिए केस दायर किया, जिसमें मूल रकम, ब्याज और पेनल ब्याज शामिल था। बैंक की ओर से मुकदमे की पैरवी एडवोकेट सुरक्षा शारदा ने की, जबकि आरोपी पक्ष की ओर से कोई लिखित जवाब दाखिल नहीं किया गया। अदालत ने 13 अगस्त 2025 को आरोपी को एक्स-पार्टी (एकतरफा) घोषित कर दिया।
कोर्ट में केस हुआ एकतरफा साबित
मुकदमे की सुनवाई के दौरान बैंक की ओर से जीवनजोत कौर को गवाह के रूप में पेश किया गया, जिन्होंने एफिडेविट के जरिए बैंक का पक्ष रखा और लोन से जुड़े सभी दस्तावेज अदालत में पेश किए। अदालत ने माना कि बैंक ने लोन मंजूरी, हाइपोथिकेशन एग्रीमेंट, रिकॉल नोटिस और खाते के विवरण जैसे सभी दस्तावेज पेश कर यह साबित कर दिया है कि उसका दावा सही है। कि वास्तव में आरोपी ने लोन लिया और भुगतान में लापरवाही की। अदालत ने कहा कि बैंक के दिए गए सबूत साफ़ और भरोसेमंद हैं। चूंकि आरोपी की तरफ़ से कोई जवाब या विरोध नहीं आया, इसलिए मामला एकतरफा साबित हो गया।
बैंक ₹7,19,170 वसूलने का हकदार
अदालत ने बैंक के हक में फैसला देते हुए कहा कि बैंक ₹7,19,170 की रकम वसूल करने का हकदार है। हालांकि, अदालत ने बैंक द्वारा मांगी गई ब्याज दर 11.10 प्रतिशत को अधिक मानते हुए इसे 9 प्रतिशत साधारण ब्याज (मुकदमे की तारीख से फैसले तक) और 6 प्रतिशत ब्याज (फैसले की तारीख से वसूली तक) निर्धारित किया। अदालत ने आदेश दिया कि डिक्री शीट तैयार की जाए और सभी कानूनी औपचारिकताओं के बाद फाइल रिकार्ड रूम में भेज दी जाए।
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चंडीगढ़ कोर्ट का दून केमिकल्स एंड पेंट्स पर फैसला: 7.19 लाख वसूलने के आदेश, नहीं चुकाया कैश क्रेडिट लोन, एसबीआई ने दायर की याचिका – Chandigarh News
