चंडीगढ़ नगर निगम में वित्तीय संकट के बीच संपत्ति कर समेत कई मुद्दों पर सुनवाई न होने से नाराज शहर की मेयर ने भाजपा पार्षदों समेत इस्तीफे की चेतावनी दी है। प्रदेश अध्यक्ष जतिंदर पाल मल्होत्रा के साथ मंगलवार को पार्टी कार्यालय में हुई बैठक में मेयर हरप्रीत काैर बबला और भाजपा के सभी पार्षदों ने अपनी पीड़ा सुनाई।
पार्षदों ने कहा कि नगर निगम में चुने गए जनप्रतिनिधियों को अधिकारी भाव नहीं देते। सभी फैसले बंद कमरे में होते हैं। नगर निगम में अधिकारी और प्रशासन पूरी तरह से हावी है। यही नहीं, मेयर तक की भी कोई सुनवाई नहीं होती। इससे अच्छा तो इस्तीफा ही दे देना चाहिए।
शहर में संपत्ति कर तीन गुना तक बढ़ा दिया है। पार्किंग शुल्क बढ़ाने की तैयारी है। बिजली पर प्रति यूनिट सेस बढ़ा दिया है। कई साल से सड़कों का काम नहीं हुआ। कर्मचारियों को समय से वेतन तक नहीं मिल रहा है। सबसे बड़ी हैरानी वाली बात है कि केंद्र में भाजपा की सरकार है, उसके बावजूद नगर निगम वित्तीय संकट झेल रहा है। किसी भी काम के लिए बजट मिलने में दिक्कत आ रही है। यहां तक कि बजट के लिए मेयर खुद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से गुहार लगा चुकी हैं। लंबे समय से फंड के लिए केंद्र सरकार समेत यूटी प्रशासन के अधिकारियों के सामने मांग की जा रही है, लेकिन शहर के विकास पर किसी का ध्यान नहीं है।
31 मार्च के बाद चली गईं सैकड़ों नाैकरियां
मेयर हरप्रीत काैर बबला के कार्यकाल में ही सैकड़ों लोगों की नाैकरी चली गईं। नगर निगम ने 31 मार्च के बाद फायर समेत कई विभागों में सैकड़ों लोगों को नौकरी से निकाल दिया। इसके पीछे दलील दी गई कि मानक के हिसाब से कर्मचारियों की संख्या ज्यादा है। दूसरी ओर, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के पार्षद सदन में इस बात का विरोध कर रहे थे कि किसी भी व्यक्ति की नौकरी नहीं जानी चाहिए। इस तरह के मुद्दों पर भी पार्षदों के लिए जवाब देना मुश्किल हो रहा था।
काम नहीं होगा तो कुर्सी पर बैठने का क्या फायदा
जनता ने पार्षदों को अपने कार्यों को पूरा कराने के लिए चुना है। अगर काम ही नहीं होंगे तो कुर्सी पर बैठकर क्या फायदा। बढ़े संपत्ति कर और कलेक्टर रेट की नोटिफिकेशन रद्द होनी चाहिए, अन्यथा मेयर समेत सभी पार्षद प्रशासक के समक्ष इस्तीफा दे देंगे। -जेपी मल्होत्रा, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष
नाकामियों को छिपाने के लिए जुमला छोड़ा
भाजपा जो कहती है. वह करती नहीं। यह एक और जुमला है। यह अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए जुमला छोड़ा है। इस्तीफा देना होता तो दे दिए होते। भाजपा को जनता का दर्द नहीं दिखाई देता। -एचएस लक्की, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष
कुछ फिक्सिंग जैसा लगता है
यह मेयर समेत पार्षदों का एक ड्रामा है। संपत्ति कर समेत सभी टैक्स में बढ़ोतरी के पीछे भाजपा का ही हाथ है। केंद्र में उनकी सरकार है। यह दिल्ली सरकार के इशारे पर कुछ फिक्सिंग जैसा प्रतीत होता है। -प्रेमलता, पार्षद एवं महिला विंग अध्यक्ष आम आदमी पार्टी
घड़ियाली आंसू रो रही भाजपा
भाजपा घड़ियाली आंसू रो रही है। सबसे बड़ा सवाल है कि संपत्ति कर बढ़ाने का एजेंडा कौन लाया। ये शहर की जनता को पता होना चाहिए कि मेयर खुद संपत्ति कर बढ़ाने का एजेंडा लेकर आईं। अगर वो एजेंडा नहीं लाती तो संपत्ति बढ़ाने का प्रस्ताव प्रशासन के पास जाता ही नहीं, इसलिए भाजपा की तरफ से लोगों की आंखों में धूल झोंकने का काम किया जा रहा है। – तरुणा मेहता, डिप्टी मेयर