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चंडीगढ़ उपभोक्ता आयोग की हेल्थ बीमा कंपनी को फटकार: पॉलिसी रद्द कर क्लेम खारिज कर दिया था, अब 9% ब्याज समेत देनी होगी राशि – Chandigarh News Chandigarh News Updates

चंडीगढ़ उपभोक्ता आयोग की हेल्थ बीमा कंपनी को फटकार:  पॉलिसी रद्द कर क्लेम खारिज कर दिया था, अब 9% ब्याज समेत देनी होगी राशि – Chandigarh News Chandigarh News Updates

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चंडीगढ़ जिला उपभोक्ता आयोग ने स्टार हेल्थ एंड एलाइड इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को क्लेम खारिज करने पर फटकार लगाई।

चंडीगढ़ जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने हेल्थ पॉलिसी पर अहम फैसला दिया। स्टार हैल्थ एंड एलाइड इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को सेवा में कमी और अनुचित व्यापारिक व्यवहार का दोषी मानते हुए बीमाधारक महिला के परिजनों को 25 लाख रुपए का बीमा दावा भुगतान करने

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आयोग ने कहा कि कंपनी ने 6 साल तक नियमित कवरेज देने के बाद अचानक पॉलिसी रद्द कर क्लेम खारिज किया, जो आईआरडीएआई (IRDAI) के नियमों का उल्लंघन है। आयोग ने आदेश में कहा कि बीमा कंपनी को 25 लाख रुपए की पूरी बीमित राशि का भुगतान करना होगा।

जिस पर 6 जून 2024 से 9 प्रतिशत साधारण ब्याज भी लागू होगा। यह राशि मृतक बीमाधारक के उत्तराधिकारियों में समान रूप से बांटी जाएगी। इसके अतिरिक्त, आयोग ने कंपनी को मानसिक पीड़ा के लिए 15 हजार रुपए और मुकदमेबाजी खर्च के लिए 10 हजार रुपए भी देने के निर्देश दिए।

अब जानिए पूरा मामला

चंडीगढ़ की रहने वाली सरिता दत्ता ने 2018 में स्टार हेल्थ की पॉलिसी ली थी, जिसमें 25 लाख रुपए का कवरेज था। साल 2024 में उन्हें फेफड़ों में फैलाव की बीमारी हुई और इलाज पर लगभग 35 लाख रुपए का खर्च आया। इलाज के दौरान 6 सितंबर 2024 को उनका निधन हो गया। परिजनों ने बीमा क्लेम के लिए आवेदन किया, लेकिन कंपनी ने दावा खारिज कर दिया।

कंपनी का तर्क था कि 2017 में हुई ओवेरियन सिस्ट ऑपरेशन की जानकारी पॉलिसी में नहीं दी गई थी। परिजनों के वकील ने कहा कि यह ऑपरेशन कैंसर नहीं बल्कि सौम्य सिस्ट के लिए था, और 2024 की बीमारी का 2017 की सर्जरी से कोई संबंध नहीं था। उन्होंने बताया कि दिल्ली के आर्मी हॉस्पिटल (आर एंड आर) की बायोप्सी रिपोर्ट भी इसे स्पष्ट करती है।

उपभोक्ता के अधिकारों का हनन

आयोग ने अपने फैसले में कहा कि पॉलिसी की निरंतरता और 6 वर्षों तक बिना किसी आपत्ति कवरेज देना बीमा कंपनी की स्वीकृति को दर्शाता है। ऐसे में अचानक पॉलिसी रद्द कर दावा खारिज करना अनुचित और उपभोक्ता के अधिकारों का हनन है। आयोग ने स्पष्ट किया कि बीमा कंपनियों को उपभोक्ता के साथ पारदर्शिता और संवेदनशीलता से व्यवहार करना चाहिए।

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