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चंडीगढ़ इलाज के फॉलोअप के लिए मोबाइल पर आएगा मैसेज: पीजीआई ने किया सॉफ्टवेयर तैयार, किडनी ट्रांसप्लांट मरीजों को समय पर मिलेगा इलाज – Chandigarh News Chandigarh News Updates

चंडीगढ़ इलाज के फॉलोअप के लिए मोबाइल पर आएगा मैसेज:  पीजीआई ने किया सॉफ्टवेयर तैयार, किडनी ट्रांसप्लांट मरीजों को समय पर मिलेगा इलाज – Chandigarh News Chandigarh News Updates

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इलाज के रिमाइंडर के लिए आपके मोबाइल फोन पर आएगा मैसेज।

चंडीगढ़ में अगर कोई किडनी ट्रांसप्लांट करवाता है और उसे समय पर दोबारा चेक करवाना डॉक्टर को याद नहीं रहता तो उसे घबराने की जरूरत नहीं है। पीजीआई ने एक ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार किया है जो आपके मोबाइल फोन पर मैसेज भेजकर आपको डॉक्टर को चेक करवाने के लिए रिमाइं

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पीजीआई ने अपने वेटिंग लिस्ट मैनेजमेंट सिस्टम में नया फीचर जोड़ा है,जिसमें ब्रेन डेड डोनर प्रोग्राम में रजिस्टर्ड मरीजों को उनका फॉलोअप का समय आते ही अपने आप मोबाइल पर मैसेज मिल जाएगा। इससे मरीज समय पर पीजीआई पहुंचेंगे और उनका इलाज बिना रुके जारी रहेगा। अभी तक डॉक्टरों के लिए हर मरीज तक समय पर जानकारी पहुंचाना मुश्किल होता था, क्योंकि कैडेवर वेटिंग लिस्ट करीब 8800 मरीजों तक पहुंच गई है।

नया फीचर ऐसे करेगा काम

पीजीआई ने पहले ही एक सॉफ्टवेयर तैयार किया था जिसमें ब्रेन डेड (कैडेवर) और जिंदा डोनर (लाइव) से किडनी ट्रांसप्लांट करवाने वाले मरीजों की पूरी जानकारी रखी जाती है। इसमें लिखा होता है कि किस मरीज को कब अस्पताल आना है। अब इस सॉफ्टवेयर में नया फीचर एड किया गया है जो मरीजों को ऑटो-जनरेटेड मैसेज भेजेगा।

किडनी ट्रांसप्लांट करते डॉक्टर।

मरीज इलाज बीच में छोड़ देते हैं

नेफ्रोलॉजी विभाग के हेड डॉ. एच.एस. कोहली के मुताबिक, कैडेबर प्रोग्राम में मरीजों की संख्या ज्यादा रहती है। कई बार मरीज कहीं और ट्रांसप्लांट करवा लेते हैं या इलाज बीच में छोड़ देते हैं। इस वजह से फॉलोअप छूट जाता था। अब नए फीचर से यह परेशानी काफी कम होगी और मरीजों तक समय पर पहुंचना आसान होगा।

पहले मरीजों को ट्रांसप्लांट के लिए 12 से 16 महीने तक इंतजार करना पड़ता था। लेकिन यूरोलॉजी विभाग को लाइसेंस मिलने के बाद वेटिंग लिस्ट घटकर 3 महीने तक रह गई है। पिछले साल पीजीआई में 350 से ज्यादा किडनी ट्रांसप्लांट किए गए।

1973 में हुआ था पहला ट्रांसप्लांट

देश में सबसे ज्यादा रिनल ट्रांसप्लांट करने वाले पीजीआई ने पहला किडनी ट्रांसप्लांट 21 जून 1973 को किया था। अब तक हजारों मरीजों को यहां नई जिंदगी मिल चुकी है। पीजीआई को नैशनल आर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन के तहत रीजनल आर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन का दर्जा भी मिल चुका है।

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